प्रदेश में अब सेब के पौधों की कांटछांट के दौरान निकलने वाली टहनियां बेकार नहीं जाएंगी। इनसे खाना खाने के लिए प्लेटें, कटोरियां और पैकिंग डिब्बे बनेंगे। वहीं भांग के पौधों के रेशों से टी शर्ट और बैग तैयार कर सकेंगे।
हिमाचल प्रदेश में अब सेब के पौधों की कांटछांट के दौरान निकलने वाली टहनियां बेकार नहीं जाएंगी। इनसे खाना खाने के लिए प्लेटें, कटोरियां और पैकिंग डिब्बे बनेंगे। वहीं भांग के पौधों के रेशों से टी शर्ट और बैग तैयार कर सकेंगे। आईआईटी मंडी में हिमालयन स्टार्टअप ट्रेक 2022 की प्रदर्शनी के दौरान कुछ ऐसे ही चौंकाने वाले प्रयोग पेश किए गए। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। सेब की टहनियों से तैयार उत्पादों में खाद्य पदार्थों की पौष्टिकता भी बरकरार रहेगी। इस्तेमाल के बाद 30 दिन में ये उत्पाद अपने आप गल जाएंगे और खाद के काम भी आएंगे।
इससे प्रदेश को प्रदूषण और प्लास्टिक मुक्त करने में भी मदद मिलेगी। शिमला कोटखाई की पोस्ट ग्रेजुएट दंपती भानुउदय और देवांगनी की इस प्रयोग को आईआईटी मंडी में सराहना मिली। रिसर्च संस्थान केरल और आईआईटी मंडी के द्वारा इसे स्वीकृति प्रदान की गई है और शिमला के ठियोग में जल्द इसकी यूनिट लगेगी। चार से सोलह रुपये प्रति उत्पाद कीमत होगी। वहीं, भांग के रेशों और दानों से टी शर्ट और बैग बनाने का स्टार्टअप विशाल विवेक का है। हैंप फाउंडेशन के नाम से इसकी शुरुआत की गई है।
दृष्टि दिव्यांग को सतर्क करेगा चश्मा
स्टार्टअप में खास किस्म का चश्मा भी आकर्षण का केंद्र रहा। मोबाइल से संचालित 8,000 रुपये के चश्मे को जब दिव्यांग पहनेगा तो उसकी आंखों के सामने क्या है, सब सुनाई देगा। 35 ग्राम का कैमरा उसके चारों तरफ की गतिविधियां परखकर फोटो क्लिक करेगा और फोटो से संबंधित हर जानकारी तीन सेकंड में दिव्यांग को सुनाएगा। इससे दिव्यांग सतर्क भी हो जाएगा। अहमदाबाद गुजरात के इंजीनियरों सुकेत अमीन, दीप परमार और रवि जाधव के द्वारा स्टार्टप के तहत बनाया गया है। इस आविष्कार को मुख्यमंत्री ने पहला इनाम एक लाख रुपये दिया।
जंगलों की आग बुझाने के लिए 12 बॉल्स ले जाएगा ड्रोन
जंगलों की आग बुझाने के लिए कुल्लू की एक कंपनी ने ड्रोन किया है। यह ड्रोन एक साथ केमिकल के 12 बॉल्स ले जा सकेगा। एक बॉल नौ स्क्वेयर मीटर एरिया में आग बुझाएगा। ड्रोन 80 किलोमीटर तक अप और डाउन कर सकेगा। कुल्लू के शरद खन्ना और उनकी टीम ने इसे बनाया हैै। इससे बर्फबारी या आपदा प्रभावित इलाकों में दवाइयां, खाना आदि भी भेजा जा सकता है। एक अन्य ड्रोन भी आकर्षण का केंद्र रहा, जो 50 किलो भार उठाकर उड़ान भरता है।
आसानी से समझ और सीख सकेंगे विशेष बच्चे
निधि फाउंडेशन की नीमा ने एक ऐसा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उपकरण तैयार किया है, जिसेे सिर पर पहनने से दिव्यांग किसी भी विषय को आसानी से सीख और समझ सकेंगे।