Lok Sabha Elections 2024 and Nitish kumar vs 2020 Mamata banerjee: बिहार विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान नीतीश कुमार ने एक सभा में यह कह कर चौंका दिया था कि यह उनका आखिरी चुनाव है। नीतीश कुमार की तर्ज पर ही बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कहा है कि 2024 में बीजेपी सरकार को हटाना ही उनकी अंतिम लड़ाई है।
पटना: 2024 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी और बीजेपी को केंद्र की सत्ता से बेदखल करने के लिए देश के तमाम विपक्षी दल अभी से ही तैयारी में जुट गए हैं। एक तरफ जहां ममता बनर्जी आखरी लड़ाई की बात कह रही हैं, वहीं दूसरी तरफ वर्षों तक बीजेपी के सहयोगी रहे जेडीयू नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी विपक्ष को एकजुट करने का बीड़ा उठाया है।
ममता बनर्जी की आखिरी लड़ाई?
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर बड़ा बयान दिया है। दरअसल, एक सभा को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में केंद्र की सत्ता से बीजेपी को हटाना है, उनकी आखिरी लड़ाई है। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र की सत्ता से बीजेपी को बाहर करने के लिए दिल्ली की वह उनकी आखिरी लड़ाई होगी। हालांकि सभा के दौरान उन्होंने कांग्रेस की घटती ताकत का भी उल्लेख किया। उन्होंने कांग्रेस को याद दिलाया कि 1984 के लोकसभा चुनाव के दौरान जिस कांग्रेस को 400 से ज्यादा सीटें मिली थी आज वह कांग्रेस 3 अंकों तक भी नहीं पहुंच पा रही।
नीतीश का आखिरी चुनाव?
बीजेपी के साथ मिलकर 2020 का विधानसभा चुनाव लड़ने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनावी सभा में यह कहकर चौंका दिया था कि यह उनका आखिरी चुनाव है। दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव के पहले दो फेज़ में महागठबंधन को भारी बढ़त मिलने की खबरें आ रही थी। ऐसा लगने लगा था कि बिहार में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बन सकती है। लिहाजा नीतीश कुमार ने चुनाव के अंतिम दौर में एक सभा के दौरान कहा था कि यह उनका अंतिम चुनाव है। बिहार में विकास के कुछ काम अधूरे रह गए है, जिन्हें पूरा करने के लिए उन्हें एक मौका और चाहिए। बिहार की जनता ने भी उन्हें निराश नहीं किया और एनडीए को बहुमत देकर नीतीश कुमार को सातवीं बार मुख्यमंत्री बनाकर उनकी लाज रखी। लेकिन अब नीतीश कुमार उसी बीजेपी को दरकिनार कर अपने चिर प्रतिद्वंदी और घोर विरोधी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के साथ मिलकर बिहार में सरकार पलट चुके हैं।
आपको याद दिला दें कि 2015 में जेडीयू नेता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल के साथ मिलकर महागठबंधन के बैनर तले चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी। लेकिन लालू परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद 2017 में नीतीश कुमार पलटी मार कर अपने पुराने सहयोगी बीजेपी के साथ एनडीए की सरकार बनाई और छठी बार मुख्यमंत्री के पद पर आसीन हुए। इसके बाद 2020 में बीजेपी के साथ ही जेडीयू ने विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल करने के बाद सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के पद के तौर पर शपथ ली। लेकिन 20 महीने बाद भी नीतीश कुमार ने एक बार फिर लालू यादव के साथ हाथ मिला लिया और बीजेपी को सत्ता से बेदखल कर आठवी बार मुख्यमंत्री के पद पर आसीन हुए।
विपक्ष को एकजुट करना है नीतीश कुमार का अगला लक्ष्य
बिहार में सत्ता परिवर्तन करने के साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह कहा था कि पिछले 8 साल में केंद्र की सरकार में विकास का कोई काम नहीं किया, सिर्फ प्रचार करने का ही काम हुआ है। हालांकि नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन इस बयान से स्पष्ट है कि 2024 में वह केंद्र से बीजेपी को सत्ता से बेदखल करना चाहते हैं। कुमार यह भी कह चुके हैं कि प्रधानमंत्री के पद के लिए उनकी कोई लालसा नहीं है, न ही उन्होंने इस विषय मे कभी सोचा है। हालांकि जेडीयू की ओर से ही नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री का सबसे बेहतर उम्मीदवार बताया जा रहा है।
मिशन 2024 को लेकर मैदान में उतरे नीतीश
2024 लोकसभा चुनाव में विपक्षी एकता को बनाए रखने और केंद्र से मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने की मुहिम में नीतीश कुमार अब मोदी विरोधी नेताओं से मुलाकात करना शुरू कर चुके हैं। इसी क्रम में तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर से पटना में मुलाकात होनी है। बताया जाता है कि के चंद्रशेखर राव और नीतीश कुमार की मुलाकात विपक्षी एकता के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो सकती है।
हालांकि सवाल यह भी उठाए जा रहे हैं कि क्या पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिन्हें प्रधानमंत्री का दावेदार बताया जा रहा है वह एक साथ एक मंच पर टिक सकेंगे। राजनीतिक विशेषज्ञ बताते हैं कि 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी दलों के सभी नेता अपने आप में प्रधानमंत्री के प्रबल दावेदार हैं। ऐसे में लोकसभा चुनाव तक सभी नेताओं की राजनीतिक महत्वाकांक्षा अपने चरम होगी और विपक्ष 2024 में भी बिखरा हुआ ही नजर आएगा।
केसीआर- नीतीश मुलाकात विपक्षी एकता का ताजा कॉमेडी-शो: सुशील मोदी
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी का कहना है कि तेलंगाना की टीआरएस भी बिहार के आरजेडी की तरह भ्रष्टाचार में डूबी परिवारवादी पार्टी के नेता चंद्रशेखर राव जनाधार खो चुके हैं। सुशील कुमार मोदी ने कहा तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर भी लालू प्रसाद की तरह परिवारवाद और भ्रष्टाचार में डूबे हैं। उनका जनाधार खिसक रहा है और नीतीश कुमार से उनका मिलना विपक्षी एकता के कॉमेडी शो का ताजा एपीसोड होगा। उन्होंने कहा कि तेलंगाना में हाल के विधान सभा उपचुनाव में सत्तारूढ़ टीआरएस दुब्बक और हुजूराबाद, दोनों जगह पराजित हुई। हैदराबाद नगर निगम के चुनाव में जहां बीजेपी 4 से 48 सीट पर आयी, वहीं टीआरएस 99 से घट कर 56 सीटों पर रह गई।
सुशील मोदी कहा कि 2019 के संसदीय चुनाव में बीजेपी ने तेलंगाना की 4 सीटें जीतीं, जबकि मुख्यमंत्री केसीआर अपनी बेटी कविता को नहीं जिता पाए। ठीक उसी प्रकार 2014 में लालू प्रसाद भी अपनी बेटी को लोकसभा नहीं भेज पाए थे।
सुशील मोदी ने कहा कि ममता बनर्जी, केसीआर और नीतीश कुमार अपने-अपने राज्य में जनाधार खो चुके हैं। ये लोग भ्रष्ट और परिवारवादी दलों को साथ लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पराजित करने का सपना देख रहे हैं। यह विपक्षी एकता मेंढक तौलने जैसा हो गया है। विपक्ष का हर नेता खुद को पीएम मैटेरियल मान रहा है, जबकि कांग्रेस राहुल गांधी पर कोई समझौता करने को तैयार नहीं। उन्होंने कहा कि विपक्षी मुख्यमंत्रियों का मेलजोल दरअसल बीजेपी के बढ़ते जनाधार और प्रधानमंत्री मोदी की अपार लोकप्रियता से डरे-सहमे लोगों की हताशा का परिणाम है।