शिमला, 30 अक्तूबर : हिमाचल प्रदेश के चुनाव मैदान में एक बैड लक ( Bad Luck)वाला प्रत्याशी भी तीसरी बार किस्मत आजमा रहा है। लगातार 10 साल से हार कर भी सिकंदर बन रहा है, लेकिन विधानसभा की दहलीज पार नहीं कर पाया। शिमला संसदीय क्षेत्र से सात बार सांसद रहे दिवंगत केडी सुल्तानपुर के बेटे विनोद सुल्तानपुरी (40) को कांग्रेस ने इस बार भी चुनाव मैदान में उतारा है।
आपके जेहन में लाजमी तौर पर यह सवाल उठ रहा होगा कि आखिर उन्हें बैड लक वाला कैंडिडेट क्यों बताया जा रहा है। दरअसल, 2017 के विधानसभा चुनाव में कसौली विधानसभा क्षेत्र से विनोद सुल्तानपुरी को महज 442 मतों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। यदि 221 वोट भाजपा प्रत्याशी के पाले से ले लेते तो मुकाबला बराबर हो जाता।
2017 के विधानसभा चुनाव में विनोद सुल्तानपुरी ने 23,214 वोट प्राप्त किए थे, जबकि भाजपा के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल को 23656 मत प्राप्त हुए थे। अगर बात 2012 के विधानसभा चुनाव के कर ली जाए तो दो सुल्तानपुरी को मात्र 24 मतों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। डॉ. सैजल के खाते से 12 वोट इधर आ जाते तो परिणाम बदल सकता था।
2012 के चुनाव में विनोद सुल्तानपुरी को 19,936 वोट हासिल हुए थे, जबकि भाजपा के राजीव सैजल ने 19,960 वोट प्राप्त किए थे। कांग्रेस भी इस बात को बखूबी जानती है कि सुल्तानपुरी केवल बैड लक की वजह से ही चुनाव हारे हैं। दो बार लगातार चुनाव हारने के बावजूद कांग्रेस ने विनोद सुल्तानपुरी को ही मैदान में उतारा है।
2012 के चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के अलावा 2492 वोट शेष उम्मीदवारों को भी प्राप्त हुए थे, जबकि 2017 में मैदान में मौजूद 4 उम्मीदवारों ने 1805 वोट प्राप्त किए थे। इस चुनाव में नोटा को 503 वोट मिले थे, यदि विनोद सुल्तानपुरी नोटा के ही 502 वोट ले लेते तो 61 वोट से चुनाव भी जीत सकते थे।
कुल मिलाकर देखना होगा कि इस बार के चुनाव में विनोद सुल्तानपुरी की बैड लक को मतदाता गुडलक में बदलते है या नहीं। उल्लेखनीय है कि 2007 में कांग्रेस के रघुराज ने डॉक्टर सहजल को हराया था इसके बाद से भाजपा 2007 के बाद लगातार तीन चुनाव जीत चुकी है। डॉ सैजल हैट्रिक बना चुके हैं।