In Himachal, Harad can be cultivated even without land

हिमाचल में ,बिना ज़मीन के भी हरड़ की हो सकती है खेती

उत्तरी भारत में ,जंगलों में औषधीय गुणों की खान माने जाने वाला ,हरड़ का पौधा, बहुतायत में पाया जाता है, लेकिन इस की उन्नत किस्म को, हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री कॉलेज नेरी हमीरपुर के विशेषज्ञों ने ,तैयार किया है. इसकी 6 उन्नत किस्म ,तैयार की गई हैं. इतना ही नहीं, ग्राफ्टिंग तकनीक के माध्यम से, तैयार की गई ,किस्स से दो साल उम्र में, गमले में ही फसल भी ली जा रही है ,महज 2 साल के भीतर ही उन्नत किस्म के यह हरड़ के पौधे, फसल भी दे रहे हैं, जबकि पारंपरिक हरड़ के पेड़ ,10 से 12 साल के बाद ही,   फल देते हैं और उनका वजन महज ,10 से 15 ग्राम होता है.

इन छह उन्नत किस्म के हरड़ के पौधों की प्रजातियों, की  खास बात यह भी है कि, किचन गार्डन में जहां जगह कम रहती है वहां पर भी, इनकी फसल ली जा सकती है. पौधे गमले में ही, फसल देना शुरू कर देते हैं. जब पौधा बड़ा होता है तो, क्विंटल के हिसाब से, इसमें फल तैयार होता है, लेकिन कुछ सालों तक गमले में ही, इसकी फसल आराम से ली जा सकती है. मसलन जहां पर यदि किसी के पास ,जमीन की कमी हो, या फिर जमीन ना हो तो, वह भी अब अपने आंगन या बालकनी में ,हरड़ का पौधा लगाकर ,इसके औषधीय गुणों का फायदा उठा सकते हैं.