हिमाचल में “पानी वाला घर”, जाने “H₂O House” की खूबियां

 क्या आप जानते हैं, हिमाचल प्रदेश में एक ‘‘पानी वाला घर’’ भी है। इसे ‘‘ H2O”  के रूप में अंतरराष्ट्रीय ख्याति भी मिल रही है। घर की नैसर्गिक सुंदरता ऐसी है, मानों आप जन्नत में आ गए हों। आईआईएम के एक शोध में इस बात का भी खुलासा हुआ था कि समूचे हिमालय में ऐसा स्थान नहीं है।

दरअसल, हाल ही में “H2O House” एकोमोडेशन ऑफ द ईयर-साटे अवार्ड 2023 (Saate Award 2023) हासिल किया है। ये अवार्ड दक्षिण एशिया ट्रैवल व टूरिज्म एक्सचेंज संगठन (asia travel and tourism exchange organization) द्वारा प्रदान किया गया है, ताकि पर्यटन उद्योग में समाधान संचालित नवाचारों को प्रोत्साहित किया जा सके।

दक्षिण एशिया में 200 स्थानों को अवार्ड के लिए नामांकित किया गया था। इसमें हिमाचल उस समय गौरवान्वित हुआ, जब चंबा मुख्यालय से करीब 8 किलोमीटर दूर नालों के संगम पर स्थित चिमनू गांव के ‘‘पानी वाले घर’’ को अवार्ड मिला। इसके बाद से ये जगह पर्यटन के मानचित्र (tourist map) पर तेजी से उभर गई। उल्लेखनीय ये भी है कि “H2O House” की संचालिका रेनु शर्मा ने चंबा की पारंपरिक वेशभूषा पहन कर अवार्ड को ग्रहण किया।

दिलचस्प बात ये है कि ये हाउस सैंकड़ों बरसों से घराट संस्कृति के संरक्षण व संवर्द्धन का प्रतीक भी बना है। आप ये जानकर भी हैरान होंगे कि एक ही परिवार सैंकड़ों सालों से पीढ़ी दर पीढ़ी घराट संस्कृति का संरक्षण कर रहा है। हाल ही के वर्षों में घर को होमस्टे (Home Stay) में तब्दील किया गया। धीरे-धीरे ये अनोखा होमस्टे पर्यटकों के साथ-साथ सेलिब्रिटीज की भी पसंद बन रहा है।

भूमि का ताम्रपत्र उपलब्ध….
दरअसल, घराट को पुश्त दर पुश्त एक ही परिवार द्वारा संरक्षित किया जा रहा है। चंद बरस पहले इसे होमस्टे में तब्दील किया गया। इसकी बागडोर रेनु शर्मा संभाल रही हैं। चंबा के तत्कालीन शासक राजा बलभद्र बर्मन ने 1656 में ये भूमि अत्री गौत्र के ईश्वर शर्मा को सौंपी थी। घराट से जुड़ा रेवेन्यू रिकाॅर्ड भी परिवार के पास उपलब्ध है। खास बात ये है कि परिवार के पास ताम्रपत्र भी मौजूद है। ऐसे ताम्रपत्र खुद में ही दुर्लभ होते हैं।

क्यों पानी वाला घर….
आपके जहन में समाचार के शीर्षक को पढ़कर लगातार ये सवाल भी पैदा हो रहा होगा कि इसे बार-बार “H2O House” या फिर ‘पानी वाला घर’ क्यों परिभाषित किया जा रहा है। अगर आप 20-30 पहले फ्लैशबैक में जाएंगे तो घराट में कुदरती तौर पर अनाज की पिसाई हुआ करती थी। इसके लिए तेज वेग से बहने वाले पानी का इस्तेमाल हुआ करता था। धीरे-धीरे घराट विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गए, लेकिन सैंकड़ों सालों से परिवार ने घराट को न केवल संरक्षण प्रदान किया, बल्कि इसे पर्यटन के क्षेत्र में एक अनोखी मिसाल कायम की है।

दिलचस्प बातें….
“H2O House” से जुड़ी कई रोचक बातें भी हैं। ये एक समुदाय उन्मुख पहल भी है। पानी वाले घर के होमस्टे को आसपास के गांव की महिलाओं द्वारा समुदाय भागीदारी के तहत संचालित किया जाता है। स्थानीय संस्कृति, समुदाय, शिल्प, व्यंजन का एक अनोखा संगम हर किसी को रोमांचित कर सकता है। महिलाओं के सामाजिक व आर्थिक विकास के लिए वैकल्पिक आजीविका भी उपलब्ध हो रही है।

स्वयं सहायता समूहों को इससे जोड़ा गया है। प्लास्टिक व पाॅलीथीन से तौबा की गई है। खाने से लेकर रहने तक हर बात में फील गुड महसूस होता हैै। इसका कारण ये भी है कि केवल और केवल उसी वस्तु का इस्तेमाल किया जाता है जो कुदरत ने बख्शी है।

Not On Map “H2O House” …
हिमाचल के क्रिकेट खिलाड़ी रहे मनुज शर्मा हमेशा से ही कुछ हटकर करना चाहते थे। Not On Map एक संस्था बनाई, ताकि सामाजिक कार्यों में भागीदारी तो हो ही, साथ ही ऐसे व्यंजनों, लोक संस्कृति, कला व टैलेंट को सामने ला सकें, जो पर्यटन के मानचित्र पर ही न हो। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए मनुज शर्मा ने पानी वाले घर के बारे में भी सोचा था, क्योंकि ऐसा स्थान पहले से टूरिज्म के मानचित्र पर नहीं था।

एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में मनुज शर्मा ने कहा कि अवार्ड टीम की कड़ी मेहनत व प्रतिबद्धता एक वसीहत है। टीम ने होमस्टे को पर्यटन के मानचित्र पर अग्रणी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि आगंतुकों को अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करने के प्रति कृत संकल्प है।