Beed News: हिंदुओं में पूरे साल के दौरान साढ़े तीन मुहूर्त बहुत शुभ माने जाते हैं। ये साढ़े तीन मुहूर्त हैं–गुड़ी पड़वा, अक्षय तृतीया, दशहरा और दिवाली, दिवाली को आधा मुहूर्त माना जाता है। इस मौके पर कई लोग नए साल की शुरुआत के तौर पर कोई बिजनेस या कोई बड़ा घर या कार खरीदते हैं। लेकिन महाराष्ट्र के बीड जिले के चोपनवाड़ी के एक किसान ने अपने प्यारे बकरे का नाम गुड़ी पड़वा के दिन रखा है।
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आठ महीने का है बकरा ‘चेतक’
किसान विठ्ठल डीसले ने बकरे का नामकरण संस्कार किया। खास बात यह है कि आठ महीने के इस बकरे का नामकरण संस्कार बड़े ही उत्साह के साथ किया गया। किसान ने किसी बच्चे के जन्म की रस्म की तरह ही यह कार्यक्रम किया है।
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बकरे का नामकरण करने वाला किसान कौन?
गुडी पड़वा के अवसर पर महाराष्ट्र के बीड जिले के माजलगांव तालुका के चोपनवाड़ी गांव के एक किसान विठ्ठल डीसले ने बकरे का नामकरण संस्कार किया। डीसले ने बकरी पालन का व्यवसाय कृषि के साथ-साथ अपने जुनून के कारण शुरू किया है। उसने आठ माह का बीटल जात का बकरा 70 हजार रुपए में खरीदा। इस बकरे का नाम उसने गुडी पड़वा के अवसर पर रखा।
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बकरे को सजाकर किया नामकरण
गुडी पड़वा मनाने के बाद दोपहर में किसान ने अपने ही खेत में यह नामकरण संस्कार आयोजित किया। हिरन के गले में एक हार, एक मोटी पीतल की चेन, आगे के दोनों पैरों में पीतल के टुकड़े, शरीर के चारों ओर चार या पांच जगहों पर रिबन बंधे हुए थे।
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बकरे का नाम ‘चेतक’ रखा
नामकरण संस्कार में उमड़े लोग
बकरे के नामकरण संस्कार में बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। इस दौरान घर और मोहल्ले की महिलाओं ने धूप, गुलाल लगाकर और आरती करके बकरे का नामकरण किया। इस बकरे का नाम ‘चेतक’ रखा गया। इस समारोह में डीसले परिवार की कई महिलाओं, बच्चों, किसानों और बकरी चरवाहों ने भाग लिया। -
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पूरे इलाके में बकरे के नामकरण की चर्चा
नामकरण समारोह के बाद डीसले परिवार की ओर से गांव वालों को जलपान भी कराया गया। इस अनोखे समारोह की खबर पूरे गांव में फैलने के बाद डीसले के खेत में हिरन देखने के लिए नागरिकों का हुजूम उमड़ पड़ा। इस बकरे की चर्चा बीड सहित पूरे महाराष्ट्र में हो रही है।