मध्यप्रदेश के सतना जिले में रामनगर गोलीकांड को लेकर फैसला आया है। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीक्ष सतना ने 65 में से 49 आरोपियों को सात-सात साल की सजा सुनाई है। साथ ही चार-चार हजार रुपये जुर्माना लगाया है।
20 साल बाद सतना जिले के बहुचर्चित रामनगर गोलीकांड मामले पर अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाया है। मामले के 65 आरोपियों में से 49 आरोपियों को 7-7 साल के कारावास के साथ 4-4 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई है। सभी आरोपियों के खिलाफ अलग-अलग छह मामलों पर 32 धाराओं के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया था।
बता दें कि एक आदिवासी युवक की सामान्य मौत पर डॉक्टरों की ओर से पीएम नहीं किए जाने पर ग्रामीणों ने उग्र प्रदर्शन किया था। इस पर तत्कालीन जिले के एसपी, कलेक्टर समेत पुलिस फोर्स पर पथराव हुआ था। पुलिस की तरफ से भी फायरिंग की गई थी। इस घटना में दोनों ही पक्ष के दर्जनों लोग घायल हुए थे और तीन लोगों की पुलिस फायरिंग में मौत भी हुई थी।
ये था मामला?
30 अगस्त 2002 को रामनगर में एक आदिवासी युवक महेश कोल की सामान्य मौत हो गई थी, जिसे सामान मौत बताया गया था। लेकिन डॉक्टरों की ओर से शव का पीएम नहीं किया गया। इससे ग्रामीण आक्रोशित हो गए और बीजेपी नेता अरुण द्विवेदी के नेतृत्व में शव को सड़क पर रखकर उग्र प्रदर्शन किया गया था। प्रदर्शन को शांत कराने के लिए मौके पर तत्कालीन कलेक्टर एसपी समेत भारी मात्रा में पुलिस बल भी मौके पर मौजूद था। हालात इतने बेकाबू हो गए थे कि उग्र भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को गोली चलानी पड़ी थी, जिससे तीन प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी। दर्जनों ग्रामीण घायल हो गए थे। ग्रामीणों ने भी पुलिस पर पत्थर बरसाए थे, जिसमें तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राजाबाबू सिंह समेत कई पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।
उसके बाद पुलिस ने आंदोलनकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया। एक ही घटना में पुलिस ने छह अलग-अलग मामले दर्ज किए। इसमें बीजेपी नेता अरुण द्विवेदी समेत 65 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इनके खिलाफ 32 धाराएं लगाई गई थी। यह मामला 20 साल से न्यायालय में लंबित था, जिस पर द्वितीय सत्र न्यायाधीश, सतना ने फैसला सुनाया है। कुछ आरोपी नाबालिग थे और कुछ लोगों की मौत हो गई है। शेष 49 आरोपियों को न्यायालय ने 7-7 साल का कारावास और चार 4-4 हजार के अर्थदंड से दंडित किया है। सभी आरोपियों को जेल भेज दिया गया है।