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सोलन में कांग्रेस के मोर्चाबंदी ने भाजपा की राह में कांटे बिछाए

सोलन, 4 अप्रैल- सोलन नगर निगम चुनावों में जिस तरह कांग्रेस ने जबरदस्त मोर्चाबंदी करके अपनी पूरी ताकत झोंक दी है , उससे अपनी जीत के प्रति शुरू में आश्वस्त चल रही भाजपा को भी अब पसीना बहाना पड़ रहा है। आलम यह है कि स्वयं मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को मोर्चा संभालने के लिए सोलन के विभिन्न वार्डों में उतरना पड़ा है लेकिन कांग्रेस के मोर्चाबंदी की अभी तक कोई काट नहीं हो पाई है।
कांग्रेस की इस मोर्चाबंदी के पीछे सुजानपुर के विधायक व प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष राजेंद्र राणा की रणनीति व मैनेजमेंट स्किल ने अपना पूरा असर दिखाया है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के मुख्यमंत्री पद के घोषित उम्मीदवार प्रो. प्रेम कुमार धूमल कुमार को शिकस्त देकर प्रदेश की राजनीतिक फिजाएं बदलने वाले राजेंद्र राणा को पार्टी आलाकमान द्वारा सोलन नगर निगम के चुनावों का प्रभारी बनाए जाने की रणनीति सफल होते दिख रही है। विभिन्न गुटों में बंटी कांग्रेस को एक सूत्र में पिरो कर उन्होंने लगातार कार्यकर्ताओं के साथ जबरदस्त संवाद जोड़कर न केवल मुकाबले में ला खड़ा किया बल्कि इन चुनावों में सोलन के सभी कांग्रेसियों की एकजुटता ने भाजपा की राह में भी कांटे बिछा दिए हैं। आज आलम यह है कि कांग्रेस का वर्कर जबरदस्त उत्साह में दिख रहा है और जमीनी मुद्दों को उठाकर कांग्रेस ने भाजपा को हर मोर्चे पर घेर रखा है।
कांग्रेस ने राजेंद्र राणा की रणनीति को आगे बढ़ाते हुए महंगाई, बेरोजगारी , सोलन के विकास में ठहराव और कोविड-19 के दौरान हुए भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर इसे भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है । इन सभी मुद्दों ने सोलन के जनमानस को छूआ है और यही वजह है कि सोलन के हर वार्ड में कॉन्ग्रेस मतदाताओं का समर्थन जुटाने में कामयाब होती दिख रही है। कांग्रेस ने यह सवाल भी खड़ा किया है कि कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य विभाग में जो घोटाला सामने आया था, उसमें विवादास्पद होने वाले नेता को ही नगर निगम के चुनावों की बागडोर सौंपे जाने के पीछे भाजपा की क्या मजबूरी रही है। सोलन में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और राजेंद्र राणा द्वारा ताबड़तोड़ प्रेस कॉन्फ्रेंस करके जो मुद्दे उठाए गए हैं, उसका इस चुनावी दंगल में पूरा असर होता दिख रहा है।