सोलन में दशकों पहले जब सामान उठाने वाले मज़दूर नहीं होते थे तब लोग घोड़े खच्चरों पर अपना सामान ढोते थे | उस समय सोलन में सड़कें भी नहीं होती थी छोटी छोटी पगडंडियों पर यह खच्चर आसानी से सामान लेकर चले जाते थे | आज सोलन बेहद विकसित हो चूका है | सड़कों का जाल बिछ चुका है | घर घर सड़क पहुंचाने के बहुत बड़े बड़े दावे भी सरकारें करती है | उसके बावजूद भी वर्षों पुरानी सामान ढोने की यह विधि आज तक ज़िंदा है | जिसमे सिरमौर के कुछ लोग आज भी सोलन में खच्चरें पाल रहे है और उस से ढुलाई कर अपने परिवार का गुजर बसर कर रहे है | खच्चरों से ढुलाई में लगे कुछ सिरमौर के लोगों से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि सोलन में अभी भी कई स्थान है जहाँ गाड़ियां घर तक नहीं पहुंचती | ढुलाई में लगे मज़दूर माल ढोने के लिए जब अत्याधिक पैसे की मांग करते है तब उनकी मांग बढ़ जाती है और लोग उन्हें सम्पर्क करते है | तो वह बेहद कम पैसों में माल की ढुलाई कर देते है | खच्चरों से समय भी कम लगता है और खर्च भी कम आता है | यही वजह है कि खच्चरों से ढोने की विधि आज तक सोलन में चल रही है | उन्होंने कहा कि खच्चरों का चारा लगातार महंगा होता जा रहा है जिसकी वजह से अब उन्हें दिक्क्तों का सामना करना पड़ रहा उस पर सरकार को कुछ नियंत्रण करने की आवश्यतका है |

सोलन में आज भी खच्चरों से होती है ढुलाई

( SOLAN) सोलन में दशकों पहले जब  सामान उठाने वाले मज़दूर नहीं होते थे तब लोग घोड़े खच्चरों पर अपना सामान ढोते थे | उस समय सोलन में सड़कें भी नहीं  होती थी छोटी छोटी पगडंडियों पर यह खच्चर आसानी से सामान लेकर चले जाते थे | आज सोलन बेहद विकसित हो चूका है | सड़कों का जाल बिछ  चुका है | घर घर सड़क पहुंचाने के बहुत बड़े बड़े दावे भी सरकारें करती है | उसके बावजूद भी वर्षों पुरानी सामान ढोने की यह विधि आज तक ज़िंदा है | जिसमे सिरमौर के कुछ लोग आज भी सोलन में खच्चरें पाल रहे है और उस से ढुलाई कर अपने परिवार का गुजर बसर कर रहे है | 
खच्चरों से ढुलाई में लगे कुछ सिरमौर के लोगों से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि सोलन में अभी भी कई स्थान है जहाँ गाड़ियां घर तक नहीं पहुंचती | ढुलाई में लगे मज़दूर माल ढोने के लिए   जब अत्याधिक पैसे की मांग करते है तब  उनकी मांग बढ़ जाती है और लोग उन्हें सम्पर्क करते है | तो वह बेहद कम पैसों में माल की ढुलाई कर देते है | खच्चरों से समय भी कम लगता है और खर्च भी कम आता है | यही वजह है कि खच्चरों से ढोने की विधि आज तक सोलन में चल रही है | उन्होंने कहा कि खच्चरों का चारा लगातार महंगा होता जा रहा है जिसकी वजह से अब उन्हें दिक्क्तों का सामना करना पड़ रहा उस पर सरकार को कुछ नियंत्रण करने की आवश्यतका है |