हिमाचल वीरभूमि है, कारगिल युद्ध के दौरान ये साफ़ हो चुका है। कारगिल युद्ध में हिमाचल के जांबाज अधिकारियों व सैनिकों ने अपने प्राणों को देशहित में न्योछावर कर प्रदेश का नाम ऊंचा किया था। अब भारतीय पुलिस सेवा के तीन आईपीएस अधिकारी अलग-अलग अशांत राज्यों में अपने साहस और ईमानदारी से दुर्दांत अपराधियों के लिए खौफ का पर्याय बने हुए है।
जी हां, हम बात कर रहे है रियल लाइफ के उन “सिंघम” पुलिस अफसरों की जिनके नाम मात्र से ही अपराधी व देश के दुश्मन थर-थर कांपते है। हैरानी की बात है कि तीनों अधिकारी हिमाचल मूल के है। बावजूद इसके उन्होंने ऐसे हिंसाग्रस्त राज्यों में ड्यूटी करना पसंद किया, जहां जाने से अधिकतर पुलिस अधिकारी कतराते हैं।
कुख्यात से कुख्यात नक्सलियों व अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने वाले ये तीनो अधिकारी अपनी स्वच्छ छवि व कड़क तेवरों के चलते किसी भी प्रकार के राजनीतिक दबाव में काम करना पंसद नहीं करते। जो भी पोस्टिंग मिलती है, उसे बड़ी शिद्दत से निभाते हैं। आइए, अब आपको सिलसिलेवार इन आईपीएस (IPS) अधिकारियों से रूबरू करवाते है।
IPS रुपिन शर्मा … कांगड़ा के धर्मशाला के रहने वाले रुपिन शर्मा को महज 50 साल की उम्र में 24 नवंबर 2017 को नागालैंड के पुलिस महानिदेशक बनने का गौरव हासिल किया। इससे पहले ये रिकाॅर्ड स्वर्गीय केपीएस गिल के नाम पर था। आईपीएस गिल (IPS Gill) 53 साल की उम्र में पुलिस महानिदेशक (DGP) बने थे। हालांकि, इस पद पर वो कुछ समय के लिए रहे, लेकिन पद से हटाने पर उनके समर्थन में जनसैलाब सड़कों पर उतर आया था। बता दें कि आईपीएस रुपिनशर्मा ने नागालैंड में पुलिस की बैकडोर भर्ती के खिलाफ स्वर मुखर किए थे।
बतौर आईपीएस अधिकारी रूपिन शर्मा ने लगभग 25 साल की सेवाएं नागालैंड में ही दी हैं। 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी को ही लोग डीजीपी के पद पर चाहते थे। बेहतरीन कार्यशैली का ही नतीजा था कि न केवल आम लोग, बल्कि पुलिस महकमे के अधिकारी भी उन्हें डीजीपी के पद पर बरकरार रखने के लिए कई दिन तक सड़कों पर उतरे थे, लेकिन निजी तौर पर उन्होंने डीजीपी (जेल) का पद ग्रहण कर लिया था। आपको बता दें कि देश के काबिल पुलिस अधिकारी रूपिन शर्मा के पिता एक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं।
देवभूमि हिमाचल में जन्मे तीनों पुलिस अधिकारी देश के अलग-अलग कोने में सेवाएं देकर प्रदेश का मान बढ़ा रहे हैं। अहम बात यह कि तीनों पुलिस अधिकारियों ने कभी भी सिफारिश से पोस्टिंग नहीं पाई। बल्कि उन्हें जिस भी क्षेत्र में सेवाएं देने के फरमान जारी हुए उन्होंने तुरंत वहां जाकर अपना पदभार संभाला।
IPS मनु महाराज बिहार की राजधानी पटना में एक अरसे से दबंग एसएसपी के तौर पर तैनात मनु महाराज को 2018 में डीआईजी के पद पर प्रमोशन मिली। फ़िलहाल वह डेपुटेशन पर आईटीबीपी (ITBP) में एक विशेष मिशन के तहत अपनी सेवाएं दे रहे है। चंबा के डलहौजी के रहने वाले मनु महाराज भी इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से है।
एनआईटी हमीरपुर (NIT Hamirpur) से इंजीनियरिंग करने के बाद मनु ने जेएनयू दिल्ली (JNU Delhi) से एनवायर्नमेंटल साइंस में पीजी (PG in Environmental Science) की। 2005 में मनु महाराज ने यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। उनका चयन हालांकि मेरिट के हिसाब से आईएएस के लिए हुआ था, मगर बचपन से ही पुलिस अधिकारी बनने का सपना देखने वाले मनु महाराज ने आईपीएस को ही चुना। देश भर में आईपीएस मनु महाराज की पहचान रियल लाइफ सिंघम के तौर पर होती है।
फिल्मी हीरो की तरह स्टाइलिश मूंछ, सुडौल शरीर व दबंग अंदाज से ही अपराधी थर-थर कांपने लगते हैं। देवभूमि के लिए गौरव की बात इस कारण है, क्योंकि देश का एक नामी आईपीएस अधिकारी हिमाचल का बेटा है। खास बात यह है कि अपराध जगत में विषम परिस्थितियों के बावजूद भी मुस्कुराते रहने वाले मनु महाराज का एक अंदाज यह भी है कि वो अपराधियों के साथ भी अपशब्दों का इस्तेमाल नहीं करते। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भी वह पसंदीदा अफसर है।
पिता की नौकरी के दौरान मनु महाराज ने राज्य के कई हिस्सों में बचपन बिताया। इसमें सबसे ज्यादा नाहन व धर्मशाला की यादें उनके जहन में ताजा हैं। नाहन के चौगान मैदान में हॉकी खेलना भी नहीं भूल पाए हैं। उल्लेखनीय है कि बिहार जैसे राज्य में अपराध पर अंकुश लगाना एक पुलिस अधिकारी के लिए आसान नहीं होता, लेकिन हिमाचली बेटे ने कर दिखाया है।
यह हैं खूबियां…
1- रात के वक्त पटना की सडक़ों पर जब सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने निकलते थे तो सरकारी वाहन की बजाए बाइक पर जाते हैं। चेहरे पर नकाब पहन लेते हैं, ताकि कोई पहचाने न। जान बूझकर हेलमेट नहीं पहनते, ताकि पता चले कि पुलिसकर्मी चैकिंग करेंगे या नहीं।
2- एक मर्तबा आईपीएस अधिकारी ने अपने चेहरे पर गमछा लगा लिया। पैर में टूटी चप्पल पहनकर साइकिल पर सवार होकर चल पडे। रास्ते में पुलिसवालों को बोले साहब मजदूरी करके लौट रहा था रास्ते में बदमाशों ने लूट लिया। मदद की बात अनसुनी करने वाले पुलिसकर्मियों पर उचित एक्शन लिया गया।
3- एंटी नक्सल ऑपरेशन के स्पेशलिस्ट होने की वजह से भी मनु महाराज को बिहार पुलिस में दबंग माना जाता है। उपलब्धियों पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।
4- अब तक 1 लाख से अधिक खूंखार अपराधियों को सलाखों के पीछे धकेल चुके हैं।
5- नक्सल प्रभावित क्षेत्र रोहतास में तैनात रहने के दौरान आईपीएस की कोशिश से ही तीन दशक से नक्सलवाद के जाल में फंसे लोगों को खुले में सांस लेने का मौका मिला। कईयों ने आत्मसमर्पण किया। कुख्यात नक्सली मुन्ना समेत 4 ने मनु महाराज के सामने घुटने टेके।
6-एक मर्तबा बेबाक स्टाइल का सहारा लिया गया। सिंघम के नाम से चर्चित मनु महाराज ने बेहद सुरक्षित कोतवाली थाना से खुद ही जीप चोरी कर ली, ताकि पता लगा सकें कि कर्मी कितने अलर्ट हैं। साहब का इस तरह का स्टाइल देखकर खुद पुलिस कर्मी दंग रह गए।
IPS स्वप्न शर्मा
आजकल पंजाब में खालिस्तान आंदोलन के पुरोधा बने अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी का जिम्मा संभालने वाले आईपीएस अधिकारी स्वप्न शर्मा काफी चर्चा में हैं। वह हिमाचल के कांगड़ा के प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालामुखी के समीप गांव ढ़ोग में जन्में है।10 अक्टूबर 1980 को जन्मे शर्मा के पिता रिटायर्ड कर्नल है।
2009 बैच के आईपीएस अधिकारी स्वप्न शर्मा पंजाब कैडर के अधिकारी है। इससे पहले उनका चयन एचएएस के रूप में भी हो गया था, मगर उन्होंने यूपीएससी क्रैक करने का मन बना लिया था। चौपाल में इस दौरान वह बीडीओ भी रहे। शर्मा ने बठिंडा के इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक के बाद ही आईपीएस बनने की तैयारी शुरू कर दी। बाद में आईपीएस बनकर उन्होंने पंजाब का रुख किया।
पंजाब में नौकरी के दौरान उन्होंने शराब तस्करों व गैंगस्टरों के खिलाफ कई अभियान चलाए। अपनी शुरूआती तैनाती में शर्मा ने राजपुरा, लुधियाना जैसे शहरों में प्रोबेशन पूरा किया। बाद में उन्होंने फजिल्का, बठिंडा, रोपड़, संगरूर, जालंधर और अमृतसर ग्रामीण में एसएसपी के पद पर रहते हुए राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय तस्करों के खिलाफ अभियान चलाए।
अपनी सख्त कार्यशैली को लेकर वह अपराधियों के लिए खौफ पर्याय बने रहे। शर्मा को चार बार उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए डीजीपी डिस्क अवार्ड मिला है। 10 महीने तक उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री की सुरक्षा का जिम्मा भी संभाला। दो बार उन्हें एआईजी काउंटर इंटेलिजेंस (AIG counter intelligence) के रूप में भी महत्वपूर्ण तैनाती मिली। इसके अलावा उन्होंने पंजाब में कई गैंगस्टरों का सफाया किया।
24 जनवरी 2023 को पंजाब सरकार ने उन्हें डीआईजी प्रमोट किया। ताजा घटनाक्रम में स्वप्न शर्मा दो महीने पहले ही जालंधर रेंज के डीआईजी बने। पंजाब सरकार व गृह मंत्रालय के निर्देश के बाद उन्हें ऑपरेशन अमृतपाल को लीड करने का जिम्मा सौंपा गया है। यह ऑपरेशन लगभग समाप्ति की ओर है। शर्म बेहद सचेत अधिकारी हैं। इसलिए वह इस मुहिम में फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं।
वह जानते हैं कि अमृतपाल की गिरफ्तारी से माहौल बिगड़ सकता है। सरकार ने उनके अलावा किसी और को इसका जिम्मा नहीं दिया। इससे साफ है कि हिमाचल के अधिकारी अपनी कर्तव्यनिष्ठा व ईमानदारी के लिए पूरे देश में अलग ही मुकाम बनाए हुए हैं।