भारत के इस दिलचस्प मंदिर में लड्डू-मिठाई नहीं बल्कि चढ़ाई जाती है पानी की बोतल, जानिए यहां की अनोखी कहानी

मंदिरों में आपने आजतक भक्तों द्वारा भगवान को लड्डू मिठाइयां चढ़ाते हुए देखा होगा, लेकिन क्या कभी पानी की बोतल या पानी के पैकेट चढ़ाते हुए देखा है? नहीं, तो चलिए जानिए फिर उस मंदिर के बारे में जहां भक्त पानी की बोतलें चढ़ाते हैं और प्रसाद में भी पानी की बोतल मिलती है।

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भारत के इस दिलचस्प मंदिर में लड्डू-मिठाई नहीं बल्कि चढ़ाई जाती है पानी की बोतल, जानिए यहां की अनोखी कहानी

मंदिरों में आपने आजतक भक्तों द्वारा भगवान को फल-लड्डू मिठाइयां चढ़ाते हुए देखा होगा और फिर इसे प्रसाद के रूप में बांटा भी जाता है। यही नहीं, आपने कुछ ऐसे मंदिर भी सुने होंगे जहां भगवान को नूडल्स, चाउमीन, ये सब प्रसाद के रूप में लोगों को दिया जाता है और ये कोई नहीं बल्कि कोलकाता का ‘चाइनीज काली मंदिर’ है। लेकिन क्या आपको ये बात पता है, देश में एक ऐसा मंदिर भी है, जहां प्रसाद में कुछ और नहीं बल्कि पानी चढ़ाया जाता है।

जी, गुजरात में मौजूद इस मंदिर में मन्नत पूरी होने पर लोगों को लड्डू-मिठाई के बजाए पानी की बोतलें चढ़ाई जाती हैं। आपको ये मंदिर पाटन से मोढेरा जाते समय दिखाई देगा। मंदिर के बनने की कहानी बेहद अनोखी है, चलिए आपको इस मंदिर के बारे में बताते हैं।

गुजरात के इस मंदिर में पूरी होती हैं मनोकामनाएं –

एक रिपोर्ट के अनुसार, दिखने में कोई भव्य मंदिर नहीं है, बल्कि रास्ते में आपको ये सड़क के किनारे दिख जाएगा, जिसे ईंटों से तैयार किया गया है। जहां लोग मंदिरों में लड्डू, फल चढ़ाते हैं, वहीं इस मंदिर में भक्तों को पानी चढ़ाते हुए देखा जाता है। मंदिर की मान्यता है कि पानी का प्रसाद चढाने से मन्नतें पूरी होती हैं।

मंदिर बनने की कहानी –

इस मंदिर के बनने की कहानी दुखद है। असल में, 21 मई 2013 को यहीं एक ऑटो रिक्शा और कार की जोरदार टक्कर हो गई थी। इस सड़क हादसे में 8 में से 6 लोगों की मौत हो गई थी, रिपोर्ट के अनुसार ऑटो में सवार लोग शादी में जा रहे थे। इस ऑटो में 2 बच्चे भी थे, बच्चे इतने प्यासे थे कि वो लगातार पानी मांग रहे थे। लेकिन किसी ने पानी नहीं पिलाया और फिर उनकी मौत हो गई। इस दुर्घटना के बाद से ही यहां हादसे होने लगे थे।

(सांकेतिक फोटो साभार: pexels.com)

लोग मानते हैं इसे चमत्कार –

इन हादसों के बाद स्थानीय लोगों को महसूस हुआ कि ये सभी हादसे दोनों बच्चों की मौत की वजह से हो रहे हैं। ऐसे में उन 2 बच्चों को देवता मानते हुए स्थानीय लोगों ने कुछ ईंटों का एक छोटा मंदिर बनवा दिया और वहां पूजा करने लगे। ऐसा माना जाता है कि मंदिर के बाद आसपास के कुओं का खारा पानी भी मीठा हो गया था। साथ ही सड़क हादसे भी बंद हो गए। यहां न केवल पानी चढ़ाया जाता, बल्कि लोग ये भी मानते हैं कि इस पानी को प्रसाद के रूप में लेने से शरीर के हर रोग दूर हो जाते हैं।

 

कितनी बोतलों लगी चढ़ने –

जैसे ये बात हर जगह फैली यहां लोगों भारी भीड़ लगनी शुरू हो गई। 12 से लेकर 100 बोतलें और हजारों की संख्या में यहां पानी के पैकेट चढ़ाए जाते हैं।