Una में “आप” के राजीव गौतम ने मुकाबले को बनाया रोचक, सत्ती व रायजादा को सीधी चुनौती

शिमला, 31 अक्तूबर : ऊना सदर विधानसभा सीट प्रदेश की हॉट सीट है। परम्परागत दो राजपूत विरोधियों के बीच तीसरे ब्राह्मण ने आकर चुनाव को रोचक बना दिया है। अब तक भाजपा के सतपाल सत्ती व कांग्रेस के सतपाल रायजादा के मध्य चुनावी मुकाबला होता रहा है। मगर इस दफा कांग्रेस के पूर्व दिवंगत विधायक वीरेंद्र गौतम के पुत्र व आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार राजीव गौतम ने चुनाव को त्रिकोणीय बना दिया है। पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्र में “आम आदमी पार्टी” का कुछ असर दिखाई दे रहा है। चुनाव क्षेत्र में चुनाव से पूर्व हिंसा के मामले भी दर्ज हो रहे है। यहां दो बार रायजादा व सत्ती समर्थकों में भिड़ंत हो चुकी है। दोनों नेता दबंग है। समर्थकों में भी खूब गर्मजोशी दिखाई दे रही है।

ऊना सदर का राजनीतिक इतिहास

ऊना सदर विस क्षेत्र में जातिगत आधार पर देखा जाए तो यह सीट ओबीसी बाहुल्य है। राजपूतों की संख्या भी काफी तादाद में है। 1967 व 1972 में  कांग्रेस के प्रकाश चंद विधायक रहे। 1977 व 1982 में देशराज यहां से पहले जनता पार्टी व फिर बीजेपी के टिकट पर जीते। 1985 में यहां कांग्रेस के वीरेंद्र गौतम पहली मर्तबा चुनाव मैदान में भाजपा के देशराज को शिकस्त दी। 1990 में भाजपा के देशराज तीसरी बार विधायक बने। वो शांता सरकार में राज्य मंत्री भी बने। 1993 में यहां कांग्रेस के वीरेंद्र गौतम का टिकट काटकर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत बेअंत सिंह के प्रेस सेक्रेटरी ओपी रत्न को दिया। ओपी रतन ने निर्दलीय वीरेंद्र को 802 मतों हरा दिया।

भाजपा के देशराज को तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। 1998 में वीरेंद्र गौतम ने फिर कांग्रेस के टिकट पर विजय प्राप्त की। ओपी रतन को यहां हिविकां के टिकट पर चुनाव लड़ाया गया, मगर वह तीसरे स्थान पर रहे। फिर भाजपा ने 2003 में युवा नेता सतपाल सत्ती को मैदान में उतारा। जिन्होंने  2007 व 2012 में लगातार जीतकर जीत की हैट्रिक लगाई। 2017 में कांग्रेस के सतपाल रायजादा ने सत्ती के विजय क्रम को विराम लगा दिया।

उम्मीदवारों के सबल व निर्बल पक्ष 

भाजपा के सतपाल सत्ती व कांग्रेस के सतपाल रायजादा दोनों का ताल्लुक राजपूत बिरादरी से है। दोनों छात्र राजनीति से होकर विधानसभा पहुंचे है। सतपाल सत्ती थोड़े स्पष्ट वक्ता व आक्रामक वाणी के चलते 2017 में चुनाव हारे। सत्ती यदि जीतते तो सरकार में बड़ा अहोदा हासिल कर सकते थे। क्योंकि धूमल के चुनाव हारने पर सत्ती का लॉटरी लगना स्वाभाविक था। कैबिनेट मंत्री तो वह हर हाल में बनते। इस हार ने उन्हें सबक सिखाया।

हारने के बाद उन्होंने ऊना में सत्तारूढ़ पार्टी होने के चलते कई विकास कार्यों को अंजाम दिया। स्वभाव में भी थोड़ा परिवतर्न किया। मगर कुछ दिन पहले ही सत्ती की एक ऑडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। जिसमें वह एक सरकारी मुलाजिम को राजनीति में ज्यादा शामिल न  होने की नसीहत दे रहे है। वहीं कांग्रेसी सतपाल रायजादा भी काफी दबंग किस्म के नेता हैं। युवाओं की आक्रामक टोली हमेशा उनके साथ रहती है। वहीं आप के टिकट पर उतरे पूर्व दिवंगत नेता के पुत्र राजीव गौतम स्वभाव से काफी शालीन हैं। मगर नए उम्मीदवार होने के चलते उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। फ़िलहाल तीनों उम्मीदवारों ने चुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है।

आंकड़ों में ऊना विधानसभा

वर्ष 1993 में यहां से कांग्रेस के ओपी रतन विजयी हुए। उन्हें 31.03 % मत हासिल हुए। वहीं निर्दलीय वीरेंद्र गौतम को 29.25 प्रतिशत मत हासिल हुए। भाजपा के प्रत्याशी देश राज 25.83 प्रतिशत मत लेकर तीसरे स्थान पर लुढ़क गए। 1998 में कांग्रेस के वीरेंद्र गौतम 38.32 % मत हासिल कर विजयी हुए। वहीं, भाजपा के सुभाष सहोड़ 26.16 प्रतिशत मत हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे। ओपी रतन हिविकां के टिकट पर तीसरे स्थान पर रहे। 2003 में पहली दफा चुनाव में उतरे भाजपा के सतपाल सत्ती के कांग्रेस के वीरेंद्र गौतम को मात्र 51 मतों से हराकर पहली बार जीत दर्ज की। मुकाबला इतना नजदीक हुआ कि सत्ती को 48.05% तो वीरेंद्र गौतम को 48.48% मत हासिल हुए। 2007 में सतपाल सत्ती ने फिर एक बड़े मार्जिन से वीरेंद्र गौतम को हराया। सत्ती को 33,050 मत हासिल हुए। वहीं वीरेंद्र गौतम को 21, 98 मतों पर ही संतोष करना पड़ा। 2012 में सतपाल सत्ती ने फिर विजय प्राप्त की। उन्हें 49.65 % मत हासिल हुए, वहीँ पहली दफा कांग्रेस की टिकट पर लड़ने वाले सतपाल रायजादा को 40.87%  मत हासिल हुए। वर्ष 2017 में रायजादा ने सत्ती को 3196 मतों के अंतर से हरा  दिया। कांग्रेस उम्मीदवार को 50.2 % मत हासिल हुए। वहीं भाजपा के सत्ती को 45.09% मतों पर संतोष करना पड़ा।

चल-अचल संपति 

ऊना सदर से सिटिंग विधायक सतपाल सिंह रायजादा का परिवार 10.30 करोड़ की चल एवं अचल संपति का मालिक है। रायजादा ऊना सदर से इस बार दोबारा चुनाव मैदान में हैं। उन्होंने नामांकन के दौरान चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में परिवार की चल संपति 59 लाख और अचल संपति 9.71 करोड़ दिखाई है।

            सतपाल रायजादा के पास 47.54 लाख की चल संपति है, जबकि उनकी पत्नी के नाम 9.91 लाख, दो बेटों के नाम क्रमशः 38 हज़ार व 42 हज़ार और रायजादा वेलफेयर ट्रस्ट के नाम करीब 44 हज़ार रुपये हैं। इसके अलावा उनकी 8.01 करोड़ की अचल संपति है। जबकि उनकी पत्नी 1.70 करोड़ की अचल संपति की मालकिन है। उन पर 5.46 करोड़ और पत्नी पर 56.35 लाख की देनदारियां हैं। सतपाल रायजादा ने होटल व रिजॉर्ट के निर्माण के लिए कांगड़ा सहकारी बैंक ऊना से 5 करोड़ से अधिक का लोन उठाया है। इसके अलावा उन्होंने कार खरीदने के लिए हिमाचल विस से 23.89 लाख भी लोन लिया है।

           ऊना सदर से आम आदमी पार्टी की टिकट पर किस्मत आजमा रहे 39 वर्षीय ऋषि गौतम के नाम भी करोड़ों को संपति है। वह 8.45 करोड़ की संपति के मालिक हैं। चुनावी हलफनामे में उन्होंने अपनी चल संपति 6.24 लाख दिखाई है। उनकी पत्नी की चल संपति 15.74 लाख है। इनमें 13.74 लाख की ज्वेलरी है। ऋषि गौतम के पास 8.24 करोड़ की अचल संपति है। इसमें एग्रीकल्चर लैंड, रेजिडेंशियल और कॉमर्शियल बिल्डिंग हैं। ऋषि गौतम पर 27.90 लाख की देनदारियां भी हैं।

            3 बार विधायक रहे पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती एक बार फिर ऊना सदर से भाजपा की टिकट पर चुनाव में उतरे हैं। चुनावी हलफनामे में सतपाल सिंह सत्ती की चल एवं अचल संपति 2.65 करोड़ पाई गई है। हलफनामे के मुताबिक सतपाल सिंह सत्ती के पास 46.03 लाख, पत्नी के पास 23.48 लाख और दोनों बेटियों के नाम लगभग पांच-पांच हज़ार की राशि है। इस तरह उनके परिवार के नाम 69.48 लाख की चल संपत्ति है।

            इसके अलावा उनकी 1.96 करोड़ की अचल संपति है। सतपाल सिंह सत्ती के नाम 1.88 करोड़ और पत्नी के नाम 8 लाख की अचल संपति है। सत्ती के पास 98 लाख की एग्रीकल्चर लैंड, 50 लाख की नॉन एग्रीकल्चर लैंड और 40 लाख की रेसिडेंशिल बिल्डिंग है। उन्होंने डबल स्टोरी बिल्डिंग के लिए हिमाचल विधानसभा से 5.66 लाख का लोन भी लिया है।

 मतदातओं का आंकड़ा  विधानसभा क्षेत्र 84419 मतदाता है इसमें महिलाओ का आंकड़ा 41654 का है। पुरुष मतदातओं की संख्या 42765 है।