जिला में 1200 रुपए प्रति क्विंंटल; रेट देख पशुपालकों के उड़े होश, किसानों की बढ़ी चिंताएं
स्टाफ रिपोर्टर- गगरेट
खाद्य पदार्थों के दाम में लगी आग ने आम आदमी के मुंह से निवाला छीना ही था कि अब पशुचारे के दाम में आए उछाल ने पशुपालकों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। प्रमुख चारे के रूप में पशुओं को दी जाने वाली तूड़ी के दाम ही एक हजार प्रति क्विंटल से पार निकल कर साढ़े ग्यारह सौ रुपए से लेकर बारह सौ रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं। हालात यह हैं कि गेहूं की फसल की कटाई अप्रैल माह के अंत में शुरू होगी। ऐसे में नई तूड़ी मई माह में उपलब्ध हो सकेगी। तब तक तूड़ी के दाम नीचे आने के आसार भी कम ही हैं। गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य केंद्र सरकार ने 1975 रुपए प्रति क्विंटल तय किया ही है, लेकिन इसके भूसे यानी तूड़ी के दाम भी बारह सौ रुपए प्रति क्विंटल पहुंच गए हैं। इससे बेसहारा पशुओं की बढ़ती आमद के बीच आने वाले दिनों में सड़कों पर बेसहारा पशुओं की संख्या में इजाफा होने की आशंका और प्रबल हो गई है। इस तरह पशु चारे के दाम आसमान छू रहे हैं उसे देखकर कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में कई पशुपालक पशुओं को खुले में छोडऩे पर विवश हो सकते हैं। जाहिर है कि जो तूड़ी गेहूं की फसल की कटाई के समय चार रुपये प्रति क्विंटल के करीब थी उसके दाम बेतहाशा उछल कर अब साढ़े ग्यारह सौ रुपए से लेकर बारह सौ रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं।
ऐसे में पशुपालकों के लिए पशुओं के लिए चारा खरीदना बस की बात नहीं रही है। हालांकि पशुपालक गेहूं की फसल की कटाई के समय तूड़ी को स्टाक करके रखते हैं, लेकिन इन दिनों आकर तूड़ी का स्टाक खत्म हो जाने पर अमूमन तमाम पशुपालकों को तूड़ी खरीद कर ही पशुओं को डालनी पड़ती है। तूड़ी की सप्लाई इन दिनों पंजाब से हो रही है और तूड़ी के दाम न तो सरकार द्वारा तय किए जाते हैं और न ही तूड़ी के टाल चलाने वाले कहीं रजिस्ट्रर हैं। उधर, पशु चिकित्सालय गगरेट के पशु चिकित्सक डा. राकेश शर्मा का कहना है कि इन दिनों पशुचारे की किल्लत जरूर है लेकिन पशुपालन विभाग न तो तूड़ी के रेट निर्धारण करता है और न ही पशुपालकों के लिए तूड़ी की व्यवस्था करने की कोई योजना है।