हिमाचल के मिनी जू रेणुकाजी में बाड़ों में बढ़ाई गई चौकसी

 लंपी त्वचा रोग को लेकर वन्य प्राणी विभाग भी हरकत में आ गया है। विभाग ने मिनी जू रेणुकाजी में पलने वाले जंगली जानवरों के रखरखाव को लेकर एहतियात बरतने के साथ उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य के भी पुख्ता प्रबंध शुरू कर दिए हैं।

लंपी स्किन रोग

पशुओं में फैल रहे लंपी त्वचा रोग को लेकर वन्य प्राणी विभाग भी हरकत में आ गया है। विभाग ने मिनी जू रेणुकाजी में पलने वाले जंगली जानवरों के रखरखाव को लेकर एहतियात बरतने के साथ उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य के भी पुख्ता प्रबंध शुरू कर दिए हैं। हालांकि, किसी भी जंगली जानवर में अभी तक ऐसे कोई भी लक्षण नहीं पाए गए हैं। बावजूद इसके वन्य प्राणी विभाग अपने स्तर पर पूरी सतर्कता बरते हुए है। जंगली जानवरों के बाड़ों में पूरी साफ-सफाई के साथ-साथ उनकी रखवाली करने वालों को भी मुस्तैद कर दिया है। उनको ग्लब्ज के साथ साफ-सुथरे कपड़े पहनकर सेवाएं देने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि किसी भी तरह की रोग की आशंका से बचा जा सके

वन्य प्राणी विहार रेणुकाजी में तेंदुए और काले भालू समेत कई अन्य जंगली जानवर भी बाड़ों में पल रहे हैं। फिलहाल, लंपी रोग की आशंका गाय प्रजाति के जानवरों में अधिक है। इनमें सांभर, काकड़, बारहसिंघा हिरण और चीतल आदि जानवर शामिल हैं। रेणुकाजी में पलने वाले ऐसे जानवरों की संख्या 28 है। यहां विभाग पूरी तरह से एहतियात बरते हुए हैं। वरिष्ठ वन्य जीव विशेषज्ञ डॉ. कार्तिक चौधरी ने बताया कि वन्य प्राणी विहार रेणुकाजी पल रहे सांभर, काकड़, बारहसिंगा, हिरण और चितल आदि की सुरक्षा, रखरखाव और खानपान पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है। साथ ही इन जानवरों की नियमित स्वास्थ्य जांच भी की जा रही है। लंपी रोग लक्षण दिखाई देने पर वैक्सीनेशन किया जाएगा।  वन्य प्राणी विहार रेणुकाजी के आरओ नंदलाल ठाकुर ने बताया कि चारों बाड़ों में दो केयर टेकर तैनात हैं। उनको पूरी सावधानी और एहतियात बरतने के लिए कहा है। साथ ही विभाग की ओर से जारी निर्देशों के तहत समय-समय पर बाड़ों की जांच भी की जा रही है