भारतीय टीम को साउथ अफ्रीका से टी-20 वर्ल्ड कप में हार का सामना करना पड़ा है। इस हार के बाद एक गजब का संयोग बना हे। भारत ने जब 2011 में वर्ल्ड कप जीता था तब भी उसे सिर्फ साउथ अफ्रीका से हार मिली थी। इस बारे में वीरेंद्र सहवाग ने ट्वीट किया है।
पर्थ: टॉप फॉर्म में चल रहे सूर्यकुमार यादव (68 रन, 40 गेंद, 6 फोर, 3 सिक्स) ने मुश्किल हालात में अपने करियर की एक और यादगार पारी खेली और फिर उभरते सितारे तेज गेंदबाज अर्शदीप सिंह (2/25) ने पहले ही ओवर में दो विकेट निकालकर टी20 वर्ल्ड कप के मुकाबले में टीम इंडिया को साउथ अफ्रीका के खिलाफ मजबूत स्थिति में पहुंचा दिया। हालांकि, डेविड मिलर (59* रन) और एडेन मार्कराम (52 रन, 41 गेंद, 6 फोर, 1 सिक्स) ने जोरदार पारी खेलकर टीम इंडिया से जीत छीन ली।
हार में छिपा है वर्ल्ड कप जीता का राज इस हार के साथ ही 2011 वाला संयोग बना है। वनडे वर्ल्ड कप जीतने के दौरान भारतीय टीम ने एक मैच साउथ अफ्रीका से गंवाया था और उसके बाद उसने खिताब जीता था। इसके अलावा एक संयोग पहले ही बन चुका था। आयरलैंड ने 2011 की ही तरह इंग्लैंड को हराकर बड़ा उलटफेर किया है। 2011 वर्ल्ड कप विनिंग टीम के सदस्य रहे वीरेंद्र सहवाग ने इस ओवर इशारा करते हुए कहा- साउथ अफ्रीका ने शानदार खेल का प्रदर्शन किया। भारत ने अंत तक अच्छा संघर्ष किया लेकिन 133 पर्याप्त नहीं था 2011 के विश्व कप में भारत लीग चरण में दक्षिण अफ्रीका से हार गया था। उम्मीद है यहां से सभी जीतेंगे।
मैच जिताऊ पार्टनरशिप भारत ने लुंगी एनगिडी (4/29) और वेन पार्नेल (3/15) की घातक गेंदबाजी के बावजूद सूर्यकुमार के अर्धशतक की मदद से नौ विकेट पर 133 रन बनाए। यह जीत सुनिश्चित करने वाला टोटल नहीं था। हालांकि, अर्शदीप ने पारी के दूसरे ओवर और अपनी पहली तीन गेंदों पर खतरनाक क्विंटन डि कॉक (1) और रिली रोसो (0) को चलता कर भारत को मुकाबले में बराबरी पर ला खड़ा किया। इसके टीम इंडिया के बोलर मिलर और मार्कराम का तोड़ नहीं निकाल सके। इन्हें चौथे विकेट के लिए 60 गेंदों पर 76 रन की मैच विनिंग पार्टनरशिप करने से नहीं रोक सके। साउथ अफ्रीका ने दो गेंद शेष रहते पांच विकेट खोकर लक्ष्य को हासिल कर लिया। टूर्नामेंट के तीन मैचों में उनकी दूसरी जीत है। वह अब पांच अंकों के साथ ग्रुप में टॉप पर पहुंच गया है जबकि भारत तीन मैचों में पहली बार के बाद ग्रुप में दूसरे स्थान पर खिसक गया है।
राहुल फिर हुए फेल पर्थ की तेज पिच पर टॉस रोहित शर्मा ने जीता और उन्होंने पहले बैटिंग का फैसला किया। इस टूर्नामेंट के शुरुआती दो मैचों में बड़ा स्कोर बनाने में नाकाम रहे ओपनर केएल राहुल पर दबाव था और पर्थ की तेज पिच पर यह दबाव थोड़ा ज्यादा दिखा। पहला ओवर मेडन निकालने के बाद जब उन्होंने सिक्स के साथ अपना खाता खोला तो लगा कि वह अपने आलोचकों का मुंह बंद कर देंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और इस वर्ल्ड कप में वह लगातार तीसरी बार दोहरे अंक में नहीं पहुंच सके। इस मैच में टीम इंडिया एक बदलाव के साथ उतरी। अक्षर पटेल की जगह दीपक हूडा को शामिल किया गया। पर्थ में एक अतिरिक्त बल्लेबाज की जरूरत महसूस हुई थी। टीम इंडिया ने सातवें ओवर में सिर्फ 41 के टोटल पर टॉप-3 बल्लेबाज (राहुल, रोहित और विराट) के विकेट गंवा दिए। यहां हार्दिक पंड्या और दिनेश कार्तिक से पहले हूडा को पारी संवारने के लिए भेजा गया, लेकिन हूडा सिर्फ तीन गेंद खेलकर बिना खाता खोले आउट हो गए।
रफ्तार नहीं पढ़ सके डीके हूडा के जाने के बाद सूर्य के साथ पारी को संवारने का जिम्मा हार्दिक पंड्या (2) पर आ गया। पाकिस्तान के खिलाफ मुश्किल वक्त में विराट के साथ दूसरे छोर पर डट जाने वाले हार्दिक यहां चूक गए। एनगिडी ने उन्हें भी चलता कर दिया। 49 के टोटल तक आधी टीम पविलियन लौट चुकी थी। टीम पर तीन अंकों के टोटल के भीतर सिमट जाने का खतरा मंडराने लगा। यहां सूर्या को दिनेश कार्तिक का साथ मिला। दोनों ने 40 गेंदों पर 52 रन की साझेदारी की। हालांकि, इस साझेदारी में डीके का योगदान सिर्फ 6 रनों का रहा, जो उन्होंने 15 गेंदों पर बनाए।