भारत हमेशा श्रीलंका के साथ खड़ा है, फिलहाल कोई शरणार्थी संकट नहीं: विदेश मंत्री जयशंकर

तिरुवनंतपुरम. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को कहा कि भारत सरकार हमेशा से श्रीलंका का समर्थन करती रही है और वह आर्थिक संकट का सामना कर रहे अपने पड़ोसी देश की हरसंभव मदद करने की कोशिश कर रही है. जयशंकर ने श्रीलंका की मौजूदा स्थिति के परिणामस्वरूप शरणार्थी संकट की आशंका से भी इनकार किया. केरल के तीन दिवसीय दौरे पर पहुंचे विदेश मंत्री ने तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘हम श्रीलंका का हमेशा से समर्थन करते रहे हैं. हम मदद करने की कोशिश कर रहे हैं और हमने हमेशा ही संकट के समय उनकी बहुत मदद की है.’

आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को भयानक जनविद्रोह का सामना करना पड़ रहा है.

श्रीलंका में मौजूदा आर्थिक संकट के सवाल पर जयशंकर ने कहा, ‘वे अभी अपनी समस्याओं को कम करने के लिए कुछ कदम उठा रहे हैं, इसलिए हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि वे क्या करते हैं.’ यह पूछे जाने पर कि क्या कोई शरणार्थी संकट है, विदेश मंत्री ने कहा, ‘फिलहाल अभी कोई शरणार्थी संकट नहीं है.’ जयशंकर से संवाददाताओं ने उनके दौरे का कारण भी पूछा, जिस पर उन्होंने जवाब दिया कि इस दौरे के कई कारण हैं. उन्होंने कहा कि वह यहां अपने पार्टी सहयोगियों के साथ समय बिताना चाहते हैं और समझना चाहते हैं कि वे कैसे काम कर रहे हैं तथा केरल में क्या हो रहा है.

सात दशकों में सबसे खराब दौर से गुजर रहा है श्रीलंका
केरल में भाजपा की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा कि पार्टी की स्थिति पूरे देश में ही बेहतर है. उन्होंने कहा, ‘इसमें कहीं भी कोई अपवाद नहीं है, लेकिन हम हमेशा कोशिश करेंगे और पार्टी के लिए संभावनाओं को बेहतर बनाने की दिशा में काम करते रहेंगे.’ गौरतलब है कि श्रीलंका एक अभूतपूर्व आर्थिक उथल-पुथल का सामना कर रहा है. 2.2 करोड़ लोगों की आबादी वाला देश सात दशकों में सबसे खराब दौर से गुजर रहा है. श्रीलंका में विदेशी मुद्रा की कमी है, जिससे देश ईंधन और अन्य आवश्यक वस्तुओं के जरूरी आयात के लिए भुगतान कर पाने में असमर्थ हो गया है. इन हालात के बीच जनता सड़कों पर है.

राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे 13 जुलाई को देंगे इस्तीफा
श्रीलंका की संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने ने शनिवार रात को बताया कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे 13 जुलाई को इस्तीफा देंगे. अभयवर्धने ने शनिवार शाम को हुई सर्वदलीय नेताओं की बैठक के बाद राजपक्षे के इस्तीफे के लिए पत्र लिखा था, जिसके बाद राष्ट्रपति राजपक्षे ने इस फैसले के बारे में संसद अध्यक्ष को सूचित किया. अभयवर्धने ने बैठक में लिए गए निर्णयों पर राजपक्षे को पत्र लिखा. प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे के निजी आवास को कल प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया था. अभयवर्धने ने राजपक्षे और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के तत्काल इस्तीफे की मांग की. स्थायी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति नहीं होने की स्थिति में संसद अध्यक्ष कार्यवाहक राष्ट्रपति बनेंगे.