अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी झड़प हुई है। इसमें भारत के छह जवान घायल बताए जा रहे हैं, जबकि चीन के 19 से ज्यादा सैनिकों को गंभीर चोटें लगी हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, कई चीनी सैनिकों के हाथ और पैर की हड्डियां टूटी हैं। कइयों के सिर फट गए हैं। ये घटना नौ दिसंबर की है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी मंगलवार को संसद के दोनों सदनों में घटना की पूरी जानकारी दी और मौजूदा स्थिति के बारे में भी बताया। ये पहली बार नहीं है जब चीन ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश की और भारतीय जवानों के साथ हाथापाई हुई है। इसके पहले भी कई बार चीनी सैनिक भारतीय सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश कर चुके हैं और भारतीय जवानों के साथ हिंसक झड़प भी हो चुकी है।
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इस तरह से भारतीय सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश करके और भारतीय जवानों के साथ हाथापाई करके चीन क्या संदेश देना चाहते है? आइए समझते हैं…
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पहले जानिए नौ दिसंबर को क्या-क्या हुआ?
रिपोर्ट्स के मुताबिक नौ दिसंबर को 300 से ज्यादा चीनी सैनिक अरुणाचल प्रदेश में तवांग के यंगस्टे में 17 हजार फीट की ऊंचाई पर भारतीय सीमा में घुसपैठ करने लगे। यहां भारतीय पोस्ट को हटाने के लिए चीनी सैनिक कंटीले लाठी डंडे और इलेक्ट्रिक बैटन लेकर आए थे। भारतीय सेना भी चीनी सैनिकों का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह से मुस्तैद थी। जैसे ही चीनी सैनिकों ने हमला किया, भारतीय जवानों ने भी जोरदार जवाब देना शुरू कर दिया। उस वक्त भारतीय पोस्ट पर 50 सैनिक ही थे, लेकिन सभी ने कंटीले लाठी-डंडों से चीनी सैनिकों को जवाब दिया। इसमें चीन के 19 से ज्यादा सैनिक बुरी तरह से घायल हो गए। कुछ की हड्डियां टूटी, तो कुछ के सिर फट गए।
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जवाबी हमले के बाद भारतीय अफसरों ने तुरंत हस्तक्षेप किया और चीनी सैनिक अपनी लोकेशन पर वापस चले गए। 11 दिसंबर को दोनों देशों के लोकल कमांडर ने शांति व्यवस्था बहाल करने के लिए फ्लैग मीटिंग की और घटना के बारे में चर्चा की। दोनों देशों ने सीमा पर शांति व्यवस्था कायम रखने पर सहमति दी। भारत ने कूटनीतिक तौर पर भी इस मुद्दे को चीन के सामने उठाया है।
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इससे पहले 15 जून 2020 को लद्दाख के गलवां घाटी में दोनों सेनाओं के बीच हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे, जबकि चीन के 38 सैनिक मारे गए थे। हालांकि, चीन ने केवल चार सैनिक मारे जाने की बात ही कबूली थी। गलवां के बाद ये दूसरी बड़ी झड़प है। तवांग सेक्टर की बात करें तो इससे पहले यहां 1975 में भी विवाद हो चुका है। तब भी दोनों देशों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसमें चार भारतीय जवान शहीद हुए थे।
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बार-बार ऐसा क्यों कर रहा है चीन?
डोकलाम, गलवां और अब तवांग। ये तीन घटनाएं हैं, जिसकी जानकारी सभी के पास है, लेकिन ऐसा नहीं है कि केवल तीन बार ही चीनी सेना ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की है और जवानों के साथ हाथापाई की है। कई ऐसे वीडियो सामने आ चुके हैं, जो 2020 और 2021 के बताए जा रहे हैं। मतलब साफ है कि चीन इस तरह की कई बार हरकतें कर चुका है और हर बार भारतीय सेना ने उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया है। अब सवाल उठता है कि चीन ऐसा कर क्यों रहा है? इसे समझने के लिए हमने रक्षा मामलों के जानकार रिटायर्ड कर्नल जाहिद सिद्दीकी से बात की। उन्होंने चीन की इस साजिश के पीछे दो बड़े कारण बताए।
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1. भारत को उकसाने की कोशिश: ये चीन की बड़ी साजिश है। चीन जानता है कि भारत पहले चीन पर हमला नहीं करेगा। इसलिए अपने सैनिकों के जरिए वह बार-बार भारत को उकसाने की कोशिश कर रहा है। इसके जरिए वह भारत को अस्थिर करने की कोशिश करता है। ऐसा होने से भारत में आंतरिक राजनीतिक हलचल बढ़ जाती है। सरकार पर सवाल खड़े होने लगते हैं।
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2. आंतरिक समस्याओं से ध्यान भटकाने का तरीका: चीन इस वक्त गृह युद्ध जैसे स्थिति से निपट रहा है। चीन के अंदर मौजूद शी जिनपिंग सरकार के खिलाफ विद्रोह के स्वर उठने लगे हैं। ताइवान और हॉन्गकॉन्ग में भी चीन को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे में अब वह आंतरिक कलह से दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए भारतीय सीमा पर इस तरह की कोशिशें कर रहा है। चीन की कोशिश है कि ऐसा करके अंतरराष्ट्रीय मीडिया को भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर बात करने के लिए मजबूर कर देंगे और लोग चीन की आंतरिक मुद्दों पर चर्चा नहीं करेंगे।