Republic Day India Egypt PM Modi: भारत और मिस्र के बीच रिश्ते में एक नया मोड़ आ गया है। पीएम मोदी ने खाड़ी के इस बेहद अहम देश के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल सीसी को गणतंत्र दिवस समारोह का मुख्य अतिथि बनाया। राष्ट्रपति सीसी कर्तव्यपथ पर भारत की सांस्कृतिक विविधता से लेकर महाविनाशक ताकत के गवाह बने।
काहिरा/नई दिल्ली: भारत के 74वें गणतंत्र दिवस पर ‘गुटनिरपेक्ष देश’ मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल सीसी मुख्य अतिथि हैं। राष्ट्रपति सीसी कर्तव्यपथ पर भारत की महाविनाशक ताकत और संस्कृति से रू-ब-रू हुए। कोरोना महासंकट के बाद मिस्र बदहाल है और उसे मुस्लिम देश भी कर्ज देने से आनाकानी कर रहे हैं। यही नहीं मिस्र इस समय विद्रोहियों के बड़े खतरे का भी सामना कर रहा है। इस बुरे वक्त में अब भारत ने मिस्र का हाथ थामा है। मोदी सरकार ने मिस्र के साथ रक्षा समेत कई समझौतों पर हस्ताक्षर किया है। विश्लेषकों का मानना है कि राष्ट्रपति सीसी के नेतृत्व में मिस्र एक उदार सुन्नी मुस्लिम देश बन गया है। यही वजह है कि भारत ने पंडित नेहरू के समय से दोस्त रहे मिस्र की ओर एक बार फिर से दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। भारत सऊदी अरब, यूएई, जॉर्डन और अब मिस्र के साथ रिश्ते मजबूत करके खाड़ी के मुस्लिम देशों में पकड़ को मजबूत कर रहा है। आइए समझते हैं….
अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ सी राजा मोहन ने इंडियन एक्सप्रेस में लिखे अपने लेख में कहा कि भारत खाड़ी देशों में उदार सुन्नी देशों का एक नया गठबंधन बना रहा है। इसमें जॉर्डन, सऊदी अरब और यूएई शामिल है। ये तीनों ही खाड़ी के सबसे ताकतवर देशों में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने द्विपक्षीय रिश्तों से इतर मिस्र को भी इस गठबंधन में शामिल कर लिया है। भारत का मानना है कि इससे खाड़ी देशों और दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता को बढ़ावा दे सकता है। दरअसल, पाकिस्तान, तुर्की, तालिबान समेत कई मुस्लिम देश दुनियाभर में धार्मिक कट्टरवाद को भड़का रहे हैं।
पाकिस्तान को यूएई ने दिया झटका, भारत को मिली सफलता
भारत की कोशिश उदार सुन्नी मुस्लिम देशों के साथ रिश्ते मजबूत करके इस पाकिस्तानी चाल को नाकाम करना है। पाकिस्तान न केवल कश्मीर में बल्कि भारत के अन्य हिस्सों में धार्मिक हिंसा और कट्टरता को बढ़ावा दे रहा है। आए दिन आतंकवाद की फैक्ट्री कहे जाने वाले पाकिस्तान के इशारे पर भारत में हमले होते रहते हैं। यही नहीं पाकिस्तान इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी के जरिए भी भारत के खिलाफ जहरीले बयान दिलवाते रहता है। यही वजह है कि भारत ने अब सुन्नी मुस्लिम देशों के साथ अपने रिश्ते को मजबूत कर लिया है। भारत की यह मेहनत रंग ला रही है और पिछले दिनों कश्मीर पर यूएई ने पाकिस्तान को बड़ा झटका देते हुए निवेश करने का ऐलान किया था।
सी राजा मोहन कहते हैं कि राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग के जरिए अपने पड़ोस को स्थिर करने की नीति भारत की मिस्र के रिश्ते में शीर्ष प्राथमिकता में है। उन्होंने कहा कि भारत की खाड़ी के देशों के प्रति वर्तमान नीति पहले से पूरी तरह से जुदा है। मिस्र के साथ दोस्ती को मजबूत करके भारत अब खाड़ी के सभी बड़े देशों के साथ रिश्ते बेहतर कर चुका है। वह कहते हैं कि भारत की कोशिश अब अपनी नीतियों को देश के मुख्य हितों से जोड़ने की है। भारत और मिस्र की इस रणनीतिक भागीदारी से इस पूरे इलाके में हिंदुस्तान की भूमिका के लिए रास्ता खुल गया है। अमेरिका के हिंद प्रशांत क्षेत्र पर ज्यादा फोकस करने से अब इस इलाके के देश अपने भागीदार देशों में विविधता लाना चाहते हैं।
कतर- तुर्की की चाल को फेल कर रहे यूएई और सऊदी अरब
इससे पहले अमेरिका ने इराक से लेकर अफगानिस्तान तक में व्यापक सैन्य अभियान चलाया जिससे पूरे इलाके में हिंसा का एक बड़ा दौर शुरू हो गया था। एक तरफ जहां अमेरिका चीन पर नकेल कसने के लिए हिंद प्रशांत क्षेत्र पर अपना पूरा ध्यान लगा चुका है। वहीं चीनी ड्रैगन की नजर इस खाड़ी के इलाके पर हो गई है। यही नहीं ताजा हालात में खाड़ी देशों से भारत का बड़ा हित जुड़ा हुआ है। भारत जहां सबसे ज्यादा तेल खाड़ी देशों से मंगाता है, वहीं अरबों डॉलर का निर्यात इन देशों को भारत से होता है। इसके अलावा लाखों की तादाद में भारतीय कामगार यूएई, कतर, सऊदी अरब, ओमान जैसे देशों में काम करते हैं। इसी को देखते हुए मोदी सरकार ने यूएई और सऊदी अरब के साथ राजनीतिक और सुरक्षा समझौता भी किया है।
राजा मोहन ने कहा कि मिस्र के साथ दोस्ती करके भारत ने खाड़ी देशों में संतुलन को स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि साल 2011 में अरब क्रांति के बाद मिस्र और खाड़ी के अन्य उदार मुस्लिम देश सुन्नी कट्टरपंथी संगठनों के खिलाफ खड़े हो गए थे। इन सुन्नी कट्टरपंथी संगठनों में मुस्लिम ब्रदरहूड शामिल था जिसका तुर्की और कतर समर्थन करते हैं। तुर्की और कतर की इन कट्टरपंथी नीतियों का असर पाकिस्तान के रास्ते भारत तक आ रहा है। तुर्की और कतर दोनों ही पाकिस्तान को बढ़ावा देते हैं। सऊदी अरब, यूएई और मिस्र तीनों ही कतर और तुर्की के कट्टरवाद को मुंहतोड़ जवाब देने में लगे हैं। सऊदी प्रिंस और यूएई के राष्ट्रपति देश में सुधारों को बढ़ावा दे रहे हैं और कट्टरपंथी नियमों को बदल रहे हैं। इसी वजह से भारत इन देशों के साथ रिश्ते को मजबूत कर रहा है।