भारत के हाथ लगा लिथियम का नया खजाना, जम्मू-कश्मीर में मिला खान, अब बैटरियां बनाने में आत्मनिर्भर होगा देश!

इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहे भारत के लिए एक अच्छी खबर है। भारत में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा लिथियम भंडार मिला है। इससे बैटरी में इस्तेमाल होने वाले लिथियम आयन को बनाने की दिशा में गति मिलगी और भविष्य में इसके लिए हमें दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।

नई दिल्ली: भारत में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा लिथियन का भंडार मिला है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने पहली बार जम्मू और कश्मीर के रियासी जिले के सलाल-हैमाना इलाके में करीब 5.9 मिलियन टन लिथियम भंडार खोजे हैं। देश में लिथियम की इतनी बड़ी खोज भारत के लिए रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। इससे देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवीएस) और अन्य चार्ज करने वाले डिवाइस में लिथियम-आयन बैटरी के प्रमुख घटक लिथियम की कमी को दूर करने में मदद मिलेगी। भारत के पास अब विश्व स्तर पर लिथियम का सातवां सबसे बड़ा संसाधन है, लेकिन इसे भंडार में बदलने में समय लगेगा।

लिथियम के लिए दूसरे देशों पर रहना पड़ता है निर्भर
भारत को वर्तमान में लिथियम के आयात पर बहुत अधिक निर्भर रहना पड़ता है क्योंकि इस महत्वपूर्ण धातु के प्रमुख भंडार अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, चिली, चीन, अर्जेंटीना और बोलीविया में स्थित हैं। लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते ये आपूर्ति फिलहाल बंद है, इस वजह से ये काफी महंगी भी हो गई है। 98 मिलियन टन लिथियम संसाधनों में से केवल 26 मिलियन टन को विश्व स्तर पर उपयोग के लिए तैयार रूप में माना जाता था।

क्या होता है लिथियम, कहां इस्तेमाल होता है
लिथियम नाम ग्रीक शब्द ‘लिथोस’ से आया है। इसका मतलब ‘पत्थर’ होता है। यह अलौह धातु है। इसका इस्तेमाल मोबाइल-लैपटॉप, गाड़ियों समेत सभी तरह की चार्जेबल बैटरी बनाने में किया जाता है। मूड स्विंग और बाइपोलर डिसऑर्डर जैसी बीमारियों के इलाज में भी यह मददगार है।

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भारत में कहां मिला इसका भंडार?
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण को जम्मू-कश्मीर में रियासी जिले के सलाल-हैमाना इलाके में 59 लाख टन लिथियम संसाधन मिला है। अभी तक भारत लिथियम के लिए पूरी तरह दूसरे देशों पर निर्भर है। अभी इसके 50% भंडार तीन दक्षिण अमेरिकी देशों- अर्जेंटीना, बोलीविया और चिली में हैं। लेकिन दुनिया का आधा प्रॉड्क्शन ऑस्ट्रेलिया में होता है।

इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए क्यों अहम?
लिथियम और आयन से बनी बैटरियों में लेड-एसिड बैटरियों या निकेल-मेटल हाइड्राइड बैटरियों की तुलना में ज्यादा ऊर्जा घनत्व होता है। इसलिए समान एनर्जी को स्टोर करने वाली लिथियम बैटरी अन्य बैटरियों के मुकाबले काफी छोटी होती हैं। साथ ही, रीचार्जेबल होने के साथ लाइफ भी ज्यादा होती है। जैसे एक इलेक्ट्रिक गाड़ी को 600 किलो लिथियम-आयन बैटरी पर जितनी ऊर्जा मिलेगी, उतनी ही ऊर्जा हासिल करने के लिए 4000 किलो वाली लेड-एसिड बैटरी की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में आने वाले वक्त में एनर्जी का बड़ा स्रोत लिथियम-आयन बैटरी होंगी। यही कारण है कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए लिथियम अहम हो गया है। यह पैट्रोलियम प्रॉडक्ट्स में निर्भरता कम करने में सहायक है।

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भारत कहां से मंगाता है लिथियम?
साल 2020 से भारत लिथियम आयात करने के मामले में दुनिया में चौथे नंबर पर है। भारत अपनी लिथियम-आयन बैटरियों का करीब 80% हिस्सा चीन से मंगाता है। भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए अर्जेंटीना, चिली, ऑस्ट्रेलिया और बोलिविया जैसे लिथियम के धनी देशों की खदानों में हिस्सेदारी खरीदने पर काम कर रहा है। देश में ही लिथियम मिलने से बैटरी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा।

कितनी है लिथियम की कीमत?
कमोडिटी मार्केट में मेटल की कीमत भी रोज तय होती है। इस समय एक टन लिथियम की कीमत 57.36 लाख रुपये है। भारत में 59 लाख टन लिथियम का भंडार मिला है यानी इसकी वैल्यू आज के वक्त में 3,384 अरब रुपये होगी।