भारत अब नहीं रहा पांचवीं बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था वाला देश, महज 13 अरब डॉलर से रह गया पीछे, कौन सा देश निकला आगे?

नई दिल्‍ली. कोरोना महामारी के झटकों से उबर रही भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को तेज सुधारों के बावजूद 5वीं बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था वाले देश का ओहदा गंवाना पड़ा है. विश्‍व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार अब ब्रिटेन दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था बन गया है.

भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था कोरोना काल पूर्व से 17 फीसदी आगे निकल चुकी है.

बिजनेस स्‍टैंडर्ड ने वर्ल्‍ड बैंक के हवाले से बताया कि वैसे तो ब्रिटेन से भारत महज 13 अरब डॉलर पीछे है लेकिन आर्थिक वृद्धि में वह ब्रिटेन से कहीं आगे है. एक्‍सपर्ट का कहना है  यह रिपोर्ट साल 2021 पर आधारित है, जबकि भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था वित्‍तवर्ष यानी 2021-22 के हिसाब से चलती है.

मौजूदा समय में दोनों अर्थव्‍यवस्‍था 32 खरब डॉलर के आकार की हैं, लेकिन 2021 की समाप्ति तक भारतीय अर्थव्‍यक‍ि यह सिर्फ एक साल की बात है और भारत फिर ब्रिटेन को पीछे छोड़ देगा. वास्‍तविक टर्म में देखा जाए तो दोनों की जीडीपी के आकार में कोई अंतर नहीं है, लेकिनवस्‍था का आकार 31.7 खरब डॉलर जबकि ब्रिटेन की जीडीपी का आकार 31.9 खरब डॉलर रहा था. 2021 में भारत की जीडीपी महज 13 अरब डॉलर पीछे थी ब्रिटेन की जीडीपी से. 2021-22 में भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में ब्रिटेन के मुकाबले ज्‍यादा तेजी से सुधार आया है.

कोरोना पूर्व स्‍तर से बड़ी छलांग
भारत भले ही जीडीपी के आकार के मामले में ब्रिटेन से पीछे चला गया है, लेकिन कोरोना पूर्व स्‍तर से मौजूदा रिकवरी को देखा जाए तो भारत ने कहीं बड़ी छलांग लगाई है. ब्रिटेन की जीडीपी में 2019 के स्‍तर से 2.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, जबकि भारत ने 2019 के मुकाबले अपनी जीडीपी में 17.8 फीसदी की बढ़त दर्ज की है.

जल्‍द ही फिर आगे होगा भारत
इक्रा की मुख्‍य अर्थशास्‍त्री अदिति नायर का कहना है कि भारत जल्‍द ही फिर ब्रिटेन को पीछे छोड़कर पांचवें स्‍थान पर आ जाएगा. उन्‍होंने कहा कि चालू वित्‍तवर्ष में जिस तरह भारत की अर्थव्‍यवस्‍था तेजी से आगे बढ़ रही है. वित्‍तवर्ष की समाप्ति तक यह फिर पांचवीं बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था वाला देश बन जाएगा.

पीपीपी टर्म में तीसरे पायदान पर भारत
अगर पर्चेजिंग पॉवर पैरिटी (पीपीपी) की बात की जाए तो भारत इस मामले में तीसरे पायदान पर आ गया है. उससे ऊपर अमेरिका और चीन ही हैं. भारत की पीपीपी 2021 में 102.2 खरब डॉलर की थी, जो जापान के 54 खरब डॉलर से करीब दोगुना है. पीपीपी का मतलब है कि किसी देश में रहने की लागत जबकि उसकी स्‍थानीय करेंसी को डॉलर के टर्म में बदला जाए. इस लिहाज से चीन की पीपीपी सबसे ज्‍यादा 273.1 खरब डॉलर की है.