Nepal India NHPC West Seti Projects: भारत नेपाल के वेस्ट सेती पनबिजली परियोजना को शुरू करने जा रहा है। पीएम मोदी के नेपाल दौरे के दौरान इस परियोजना को लेकर सहमति बनी थी। अब नेपाल और भारत की सरकारी कंपनी एनएचपीसी के बीच गुरुवार को एक एमओयू पर हस्ताक्षर होने जा रहा है।
काठमांडू: चीन के धोखा देने के बाद अब भारत नेपाल के महत्वाकांक्षी बिजली प्रॉजेक्ट वेस्ट सेती को पूरा करने जा रहा है। नेपाल के निवेश बोर्ड और भारत की सरकारी कंपनी एनएचपीसी लिमिटेड के बीच वेस्ट सेती और सेती रिवर-2 पनबिजली परियोजना के लिए गुरुवार को एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर होने जा रहा है। इसके बाद एनएचपीसी इस प्रॉजेक्ट के लिए जरूरी अध्ययन करेगी और खुदाई आदि काम का शुरू करेगी। इसके बाद निर्माण का कार्य शुरू होगा। इससे पहले चीन इस परियोजना से साल 2018 में अलग हो गया था।
नेपाल निवेश बोर्ड के प्रवक्ता अमृत लामसाल ने काठमांडू पोस्ट अखबार से कहा कि एनएचपीसी की टीम 18 अगस्त को काठमांडू आ रही है और यहां पर एमओयू पर हस्ताक्षर होगा। इससे पहले नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने एनएचपीसी के अध्ययन करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी जिसके तहत 750 मेगावाट के वेस्ट सेती स्टोरेज हाइड्रोपावर प्रॉजेक्ट और 450 मेगावाट के सेती रिवर-6 हाइड्रोपावर प्रॉजेक्ट को सुदूरपश्चिम प्रांत में बनाया जाना है।
वेस्ट सेती को लेकर चीन और नेपाल के बीच कई मुद्दों पर हुआ था विवाद
चीन पहले साल 2012 में इसे बनाना चाहता था और वह साल 2018 तक इस परियोजना से जुड़ा रहा लेकिन बाद में वह इससे अलग हो गया। चीन के हटने के बाद अब पीएम मोदी की 16 मई को नेपाल के लुंबिनी की यात्रा के बाद भारत इस परियोजना को पूरा करने जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस पूरे प्रॉजेक्ट पर 2.4 अरब डॉलर का खर्च आएगा। भारत में बिजली की भारी कमी को देखते हुए नई दिल्ली और काठमांडू के बीच पावर प्रॉजेक्ट को लेकर सहयोग काफी बढ़ता दिख रहा है।
यह नेपाल में भारत की ओर से पनबिजली के क्षेत्र में चलाई जा रही तीसरी योजना है। वेस्ट सेती प्रॉजेक्ट को चीन से पहले ऑस्ट्रेलिया को बनाने का काम दिया गया था लेकिन वह अलग हो गया था। इससे पहले वेस्ट सेती प्रॉजेक्ट को लेकर चीन और नेपाल के बीच कई मुद्दों पर विवाद हो गया था। इसमें बिजली बनने के बाद उसकी खरीद दर प्रमुख था। चीनी कंपनी ने नेपाल की ओर से बताए गए बिजली के दर को नाकाफी बताया था लेकिन काठमांडू ने भी अपनी दर में कोई बदलाव नहीं किया था। बताया जा रहा है कि चीन मनमानी दर पर बिजली बेचना चाहता था लेकिन नेपाल उसके दबाव में नहीं आया था।