अफ़ग़ानिस्तान में अपनी उपस्थिति को दोबारा से बनाने की दिशा में गुरुवार को भारत ने एक अहम क़दम उठाया. भारत ने काबुल में अपने दूतावास में एक “तकनीकी टीम” की तैनाती की है और इसी के साथ ही अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी में एक बार फिर से अपनी राजनयिक उपस्थिति स्थापित की है.
इस बीच बुधवार को अफ़ग़ानिस्तान मे आए भूकंप और उससे हुए नुक़सान को देखते हुए भारत की ओर से सहायता की पहली खेप भी भेजी गई है. यह भूकंप इतना भयावह था कि अब तक इससे कम से कम 1000 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की जा चुकी है.
अफ़ग़ानिस्तान में बीते 10 महीनों के बाद से भारत अपना दूतावास दोबारा खोल रहा है. बीते साल अगस्त महीने में अफ़ग़ानिस्तान में हुए तख़्तापलट और तालिबान के नियंत्रण के बाद से ही भारत समेत दुनिया के कई देशों ने अपने दूतावास बंद कर दिए थे.
इस क़दम के कुछ दिनों पहले ही, 2 जून को भारतीय विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव जेपी सिंह के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल का दौरा किया था. अफ़ग़ानिस्तान में पिछले साल तालिबान की सरकार बनने के बाद से भारत के किसी सरकारी दल का ये पहला काबुल दौरा था.
जेपी सिंह के नेतृत्व में इस शिष्टमंडल ने तालिबान के विदेश मंत्री आमिर ख़ान मुतक्क़ी से मुलाक़ात की थी. इसके लगभग 20 दिनों बाद भारत की ओर से यह अहम क़दम उठाया गया है.
माना जा रहा है कि तालिबान नेताओं से सुरक्षा का आश्वासन मिलने के बाद ही भारत ने यह क़दम उठाया है.
भारत के इस क़दम के साथ ही काबुल में दूतावास खोलने वाला वह 15वां देश बन गया है. इससे पहले रूस, चीन, पाकिस्तान, ईरान, तुर्की, क़तर,सऊदी अरब, इंडोनेशिया, यूरोपीय संघ पहले ही वहाँ दूतावास को दोबारा से संचालित कर रहे हैं.
अधिकारियों का कहना है कि काबुल में दूतावास खोलना तालिबान शासन के साथ मिलकर काम करने की दिशा में उठाया गया एक अहम क़दम है. ख़ासतौर पर ऐसे में जबकि भारत चरमपंथी समूहों और ड्रग्स के व्यापार को लेकर चिंतित है.
सूत्रों के अनुसार, सुरक्षा और इंजीनियरिंग वर्कर्स की एक टीम को काबुल भेजा गया है, जिसका मुख्य उद्देश्य वहां काउंसलिंग और वीज़ा सुविधा को दोबारा से पटरी पर लाना है. इसके साथ ही यह टीम विकास से जुड़े रख-रखाव के काम देखेगी. ये टीम उन परियोजनाओं की भी देख रेख करेगी जो भारत ने तालिबान से पहले की सरकार के दौर में वहां शुरू की थीं.