India Taliban Relations: अफगानिस्‍तान में पाकिस्‍तान पर बरस रही गोलियां, तालिबान राज में भारत ने बढ़ाई पकड़, साथ आया जापान

India Taliban Vs Pakistan In Afghanistan: भारत और तालिबान सरकार के बीच रिश्‍ते लगातार जहां बेहतर हो रहे हैं, वहीं पाकिस्‍तान के साथ हालात बहुत तनावपूर्ण होते जा रहे हैं। अफगानिस्‍तान में पाकिस्‍तान के राजदूत को काबुल में दूतावास पर 100 से ज्‍यादा गोलियां बरसाकर मारने की कोशिश की गई है। इससे पाकिस्‍तान बौखलाया हुआ है।

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तालिबान राज में पाकिस्‍तान पर हमले तेज, भारत ने बढ़ाई पकड़

काबुल: अफगानिस्‍तान में तालिबान राज आने के बाद पाकिस्‍तान को उम्‍मीद थी कि वह अब इस युद्धग्रस्‍त देश पर पर्दे के पीछे से राज करेगा। यही वजह थी कि पाकिस्‍तान की सरकार और सेना ने तालिबान की खुलकर मदद की। हालांकि अफगानिस्‍तान में तालिबान राज आने के एक साल बाद हालात बहुत खराब हो गए हैं। एक तरफ अफगान सीमा पर जहां पाकिस्‍तान और तालिबान के बीच जंग जैसे हालात हैं, वहीं राजधानी काबुल में पाकिस्‍तानी राजदूत को जान से मारने की कोशिश हुई है। इस बीच भारत बहुत तेजी से तालिबान सरकार में भी अपनी पकड़ को फिर से मजबूत कर चुका है। यही नहीं भारत के हरी झंडी दिखाने के बाद अब जापान भी अफगानिस्‍तान में दूतावास खोलने जा रहा है।

हिंदुस्‍तान टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक जापान ने इस साल जब अफगानिस्‍तान में फिर से दूतावास खोलने पर विचार शुरू किया था तब उसने भारत से सलाह ली थी ताकि जमीनी हालात की सटीक जानकारी ली जा सके। भारत ने इस साल जून 2022 में ही अपने दूतावास को सीमित रूप से खोल दिया था। भारत की सलाह के बाद जापान ने भी अपनी योजना को आगे बढ़ाया और 21 अक्‍टूबर को इसका ऐलान कर दिया। रिपोर्ट के मुताबिक यह बताता है कि भारत ने एक बार फिर से तालिबान राज में भी अफगानिस्‍तान में अपनी स्थिति को मजबूत कर लिया है।

आईएसआई और तालिबान के बीच करीबी रिश्‍ते

इससे पहले तालिबान राज आने के ठीक पहले भारत ने खुद को पूरी तरह से काबुल से निकाल लिया था। भारत के इस कदम पर विदेशी मामलों के विशेषज्ञों ने सवाल उठाए थे। भारत के जाने के बाद इस बात की आशंका बढ़ गई थी कि पाकिस्‍तान अफगानिस्‍तान का खुलकर इस्‍तेमाल करेगा। पाकिस्‍तान की हमेशा से ही कोशिश रही है कि वह अफगानिस्‍तान में भारत के प्रभाव को कम करे। साथ ही अफगानिस्‍तान को कश्‍मीर में सक्रिय आतंकियों के लिए पनाहगार के रूप में इस्‍तेमाल करे।
भारत के इस डर की वजह पाकिस्‍तानी सेना, आईएसआई और तालिबान के बीच करीबी रिश्‍ते थे। यही नहीं सितंबर 2021 में तालिबान सरकार आने के बाद आईएसआई के तत्‍कालीन चीफ फैज हामिद ने काबुल का दौरा भी किया था। हालांकि एक साल में अब हालात बहुत बदल चुके हैं। पाकिस्‍तानी सेना और तालिबान के बीच आए दिन सीमा पर भीषण गोलाबारी और हवाई हमले हो रहे हैं। तालिबान ने पाकिस्‍तान को अलग करने वाली डूरंड लाइन को मानने से इंकार कर दिया है। यही नहीं तालिबान के राज में तहरीक-ए-तालिबान आतंकियों ने पाकिस्‍तान पर हमले तेज कर दिया है।

भारत विकास परियोजनाओं को फिर से शुरू करने जा रहा

टीटीपी के अफगानिस्‍तान में 4000 आतंकी सक्रिय हैं। टीटीपी और पाकिस्‍तानी सेना के बीच तालिबान की मध्‍यस्‍थता से हुआ शांति समझौता भी टूट गया है। टीटीपी ने फिर से खून बहाना शुरू कर दिया है। कहा यह भी जा रहा है कि टीटीपी ने इस्‍लामिक स्‍टेट खुरासान प्रांत से हाथ मिला लिया है। इसी आईएस ने काबुल में पाकिस्‍तानी राजदूत को मारने की कोशिश की है। तालिबान राज आने के बाद पाकिस्‍तान में हमलों में 50 फीसदी की तेजी आई है।

वहीं भारत की अभी अफगानिस्‍तान में मौजूदगी एक संवेदनशील मामला है। भारत ने अभी एक तकनीकी टीम को ही भेजा है। पाकिस्‍तान का करीबी तालिबानी गृहमंत्री सिराजुद्दीन हक्‍कानी भी कह चुका है कि वह भारत विरोधी तत्‍वों के खिलाफ ऐक्‍शन लेगा। भारत ने अफगानिस्‍तान की जनता के लिए बड़े पैमाने पर गेहूं भेजा है। भारत विकास परियोजनाओं को फिर से शुरू करने जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की स्थिति अच्‍छी है लेकिन उसे सतर्कतापूर्वक कदम उठाने होंगे।