प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में शपथ ग्रहण के बाद से मेक इन इंडिया पर काफी जोर दिया है। यही कारण है कि तीनों सेनाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई तरह के इंपोर्ट बैन भी लगाए गए हैं। इतना ही नहीं, स्वदेशी डिफेंस इंडस्ट्री को विकसित करने के लिए डेडिकेडेट डिफेंस कॉरिडोर पर भी काफी जोर दिया जा रहा है। फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस और आर्मीनिया के साथ पिनाका का सौदा इसी बात का उदाहरण है।
येरवान: एक पुरानी कहावत है कि दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है।भारत की विदेश नीति भी अब उसी राह पर चलती नजर आ रही है। मोदी सरकार ने हाल में ही कई ऐसे देशों के साथ रक्षा समझौते किए हैं, जिनकी भारत के दुश्मनों के साथ दुश्मनी है। इन देशों के नाम हैं फिलीपींस, वियतनाम और आर्मीनिया। भारत ने आज ही आर्मीनिया को दो हजार करोड़ रुपये में मिसाइल, रॉकेट और कई अन्य तरह के गोला-बारूद बेचने के समझौते को मंजूरी दी है। इसके अलावा भारत ने फिलीपींस के साथ 37.4 करोड़ डॉलर में ब्रह्मोस मिसाइल की डील की थी। एक और देश वियतनाम भी भारत के साथ ब्रह्मोस मिसाइल खरीद को लेकर बातचीत कर रहा है। इन सभी देशों के भारत के दुश्मन देशों के साथ पुरानी दुश्मनी है। ऐसे में भारत एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश भी कर रहा है।
डिफेंस एक्सपोर्ट बढ़ाने पर मोदी सरकार का जोर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में शपथ ग्रहण के बाद से मेक इन इंडिया पर काफी जोर दिया है। यही कारण है कि तीनों सेनाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई तरह के इंपोर्ट बैन भी लगाए गए हैं। इतना ही नहीं, स्वदेशी डिफेंस इंडस्ट्री को विकसित करने के लिए डेडिकेडेट डिफेंस कॉरिडोर पर भी काफी जोर दिया जा रहा है। फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस और आर्मीनिया के साथ पिनाका का सौदा इसी बात का उदाहरण है। इसके अलावा अर्जेंटीना के साथ तेजस लड़ाकू विमान की बिक्री को लेकर भी अडवांस स्टेज में बातचीत चल रही है। इंडोनेशिया और थाईलैंड भी हथियारों की खरीद को लेकर भारत के साथ बातचीत कर रहे हैं। इनके अलावा छोटे-छोटे देशों को भी हथियार देकर एक बड़े मार्केट पर कब्जा करने की रणनीति पर भी काम किया जा रहा है।
दुश्मनों के दुश्मन को हथियार दे रहा भारत
भारत ने आर्मीनिया और फिलीपींस के साथ हथियार सौदे को मंजूरी दी है। इन दोनों देशों का भारत के दुश्मनों के साथ पुरानी दुश्मनी है। जैसे कि आर्मीनिया का अजरबैजान के साथ नागोर्नो काराबाख को लेकर कई बार युद्ध हो चुका है। अजरबैजान, भारत के दुश्मन पाकिस्तान और तुर्की का दोस्त है। इन्हीं दो दोस्तों से मिले हथियारों के दम पर अजरबैजान बार-बार आर्मीनिया को गहरा जख्म देता है। भारतीय हथियारों का दूसरा खरीदार फिलीपींस है। फिलीपींस का दक्षिणी चीन सागर में द्वीपों को लेकर चीन से पुरानी दुश्मनी है। चीन स्प्रैटली द्वीप समूह के व्हिटसन रीफ को अपने देश का हिस्सा मानता है। इस रीफ पर कब्जे की कोशिश को लेकर चीन और फिलीपींस के बीच कई बार सैन्य झड़प भी हो चुकी है।
वेपन डिप्लोमेसी से दुनिया को साध रहा भारत
भारत ने इन दिनों वेपन डिप्लोमेसी चालू की है। इसके तहत दोस्त देशों को स्वदेशी हथियारों का निर्यात किया जाएगा। इससे दो तरफा फायदा होने की उम्मीद है। पहली- भारत की डिफेंस इंडस्ट्री मजबूत होगी और दूसरी- संबंधित देश में भारत की साख काफी ज्यादा बढ़ेगी। वैश्विक स्तर पर यह देखा गया है कि हथियार खरीदने वाले और बेचने वाले देशों में बहुत अच्छे संबंध होते हैं। कई बार हथियार खरीदने वाले देशों बेचने वाले देशों के दबाव में झुकना भी पड़ता है। वर्तमान में हथियारों के बाजार पर अमेरिका की बादशाहत है। इस सूची में दूसरे स्थान पर रूस है, जबकि बाकी देश काफी पीछे हैं।