नई दिल्ली. फंडिंग संबंधी गतिविधियों में जारी सुस्ती के बावजूद एक अरब डॉलर से अधिक मूल्यांकन वाली ‘यूनिकॉर्न’ या स्टार्टअप कंपनियों की संख्या अगले चार साल में 200 के पार निकल जाएगी. एक रिपोर्ट में यह संभावना जताई गई है. हालांकि, रिपोर्ट कहती है कि इस समय दुनियाभर में लिक्विडिटी संबंधी चुनौतियां पैदा होने से भारतीय स्टार्टअप को तेजी से वित्त नहीं मिल पा रहा है. इसके बावजूद यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल करने वाले स्टार्टअप की संख्या में बढ़ोतरी जारी रहेगी.
हुरुन रिसर्च इंस्टिट्यूट की तरफ से बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया कि देश में यूनिकॉर्न कंपनियों की संख्या फिलहाल 84 है जबकि एक साल पहले इनकी संख्या सिर्फ 51 ही थी. इसी के साथ 122 ऐसे स्टार्टअप भी हैं जिनका आकार फिलहाल 20 करोड़ डॉलर से अधिक है लेकिन अगले दो-चार वर्षों में उनके यूनिकॉर्न बनने की पूरी संभावना है. इन सभी कंपनियों की सम्मिलित पूंजी फिलहाल 49 अरब डॉलर है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय स्टार्टअप कंपनियों में सबसे ज्यादा पूंजी लगाने वाली उद्यम पूंजी फर्म सिकोया है. इन 122 स्टार्टअप में से 39 को सिकोया से फंडिंग मिली है.
भारत के पास 51 गजैल और 71 चीता
हुरुन की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के पास फिलहाल 51 गजैल हैं. गजैल उन स्टार्टअप्स को कहा जाता है जो अगले 2 साल में यूनिकॉर्न (1 अरब डॉलर के मूल्यांकन वाली कंपनी) बन जाएंगी. वहीं, स्टार्टअप्स की भाषा चीता उन्हें कहते हैं जो अगले 4 साल में यूनिकॉर्न बन जाएंगे. हुरुन का कहना है कि इस दावे का आधार उन कंपनियों द्वारा नियामक को दी गई जानकारी और दूसरे उद्यमियों व कुछ ऐंजल इन्वेस्टर से लिया गया फीडबैक है.
कौन सी कंपनियां जल्द बन सकती हैं यूनिकॉर्न
हुरुन की रिपोर्च के अनुसार, जोमैटो द्वारा समर्थित लॉजिस्टिक स्टार्टअप शिपरॉकेट, क्विक कॉमर्स कंपनी जैप्टो, इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने वाली एथर मोबिलिटी स्टार्टअप रेपिडो और निंजाकार्ट इसकी प्रबल दावेदार हैं. इन 122 कंपनियों में से 15 की सह-संस्थापक महिलाएं हैं जबकि 5 स्टार्टअप्स के शीर्ष पर महिलाएं हैं. भारत में स्टार्टअप फाउंड की औसत आयु 38 वर्ष है. सबसे कम उम्र के उद्यमी जेप्टो के केवल्या वोहरा (19) और आदित पलिचा (20) हैं. जबकि सबसे अधिक उम्र के स्टार्टअप फाउंडर ईकॉम एक्सप्रेस के के. सत्यनारायण हैं.