2022-09-02
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आजादी से पहले अंग्रेजी हुकूमत के वायसराय निवास रहा संस्थान का यह भवन 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 1947 में राष्ट्रपति निवास बना। 20 अक्तूबर 1965 तत्कालीन राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान को देकर इसका उद्घाटन किया। पोस्ट डाक्टरेट स्तर के शोध और फेलोशिप देने वाले इस संस्थान के पहले निदेशक प्रो. निहार रंजन रे ने ईस्ट वेस्ट सेंटर हवाई, ऑल सोल कॉलेज ऑक्सफोर्ड जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के शोध संस्थानों का दौरा करने के बाद संस्थान की रूपरेखा तैयार की थी। संस्थान में मौजूद आवासीय सुविधा को देखते हुए लगभग 45 अध्येताओं को ही प्रवेश दिया जा सकता है। जो दो साल तक वर्ष में नौ माह यहीं रह कर यहां के पुस्तकालय, सुविधाओं का उपयोग कर अपने शोध कार्यों को पूरा करते हैं। संस्थान में साहित्य, विधि, सामाजिक विज्ञान, दर्शन शास्त्र, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, अंतरराष्ट्रीय संबंध जैसे विषयों पर पोस्ट डॉक्टरेट स्तर के शोध, अध्ययन होते हैं।
अंतर विश्वविद्यालय केंद्र
मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान में शोध को बढ़ावा देने के उद्देश्य से संस्थान में अंतर विश्वविद्यालय केंद्र भी है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और संस्थान के बीच हस्ताक्षरित संगम ज्ञापन के अनुरूप यहां अंतर विश्वविद्यालय केन्द्र (आईयूसी) संचालित किया जा रहा है। देश के विश्वविद्यालय तथा महाविद्यालयों में कार्यरत अध्यापकों को तीन सालों में तीन बार एक-एक महीने की अवधि के लिए यहां आ कर शोध कार्य करने के लिए भेजा जाता है। लगभग 20 सह अध्येता अपना शोधकार्य कर सकते हैं।
परिसर में उपलब्ध सुविधाएं
भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में अध्येताओं के लिए परिसर में स्थित छोटे बंगलों में निशुल्क आवास सुविधा है। इन आवासों को गर्म रखने का प्रावधान है। संस्थान की ईपीएबीएक्स से दूरभाष सुविधा है। अध्येताओं को एक अध्ययन जो उन्हें एक या दो अन्य अध्येताओं के साथ साझा करना होता है को लेखन आदि सामग्री दी जाती है।
संस्थान का पुस्तकालय…
संस्थान का पुस्तकालय देश के सबसे बेहतरीन पुस्तकालयों में से एक है। इसे आरसी मजूमदार, अब्दुल मजीद खान, एचसी रे चौधरी, अजीत घोष, तेज बहादुर सप्रू जैसे प्रख्यात विद्वानों के निजी संग्रह को प्राप्त कर समृद्ध बनाया है। पुस्तकालय में पुस्तकों, पत्रिकाओं, माइक्रो फिल्मों और अन्य दस्तावेजों के 1.50 लाख से अधिक संस्करणों का संग्रह है। दर्शन शास्त्र, धर्म, ललित कला, सामाजिक, भाषा विज्ञान, मनोविज्ञान, भाषा विज्ञान समेत कई पुस्तकें यहां उपलब्ध हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है संस्थान
संस्थान परिसर में बहुत सुंदर और बड़ा उद्यान है, जिसमें कई प्रकार के फूल, पौधे और पेड़ हैं। यह उद्यान शायद दुनिया के सबसे ऊंचाई वाले भूदृश्य में स्थित उद्यानों में से एक है। उद्यान संस्थान के वर्षा जल संचयन की खास व्यवस्था से ही हरा-भरा रहता है। बारिश के पानी का संग्रहण करने को लॉन के नीचे बने टैंक के पानी से बागीचों की सिंचाई होती है। उद्यान में तीन नर्सरियां हैं जिनमें कुछ में दुर्लभ हिमालयी पौधे लगाए गए हैं।
औषधालय
संस्थान में रहने वाले अध्येताओं और कर्मचारियों के लिए परिसर में औषधालय और आवासी चिकित्सा अधिकारी फार्मासिस्ट सेवारत है।
संस्थान के प्रकाशन
स्थापना के बाद से अब तक संस्थान ने 500 से भी अधिक पुस्तकों का प्रकाशन या सह प्रकाशन किया है। पुस्तकें अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं। इन पुस्तकों की ई-बुक्स किंडल बुक स्टोर पर भी है।
खेल परिसर
संस्थान में मनोरंजन और अध्येताओं को शारीरिक एवं मानसिक तौर पर स्वस्थ रखने के लिए खेल परिसर बना है, जहां बिलियर्ड्स, बैडमिंटन, टेबल टेनिस और कैरम जैसे खेलों की सुविधा है। ब्रिटिश राज के समय खेल परिसर में स्टिकी टेनिस, लॉन टेनिस और स्क्वैश के संयोजन से बना एक दुर्लभ खेल खेला जाता था। दुनिया में स्टिकी टेनिस के केवल तीन वर्किंग कोर्ट हैं, उनमें से दो इंग्लैंड में और एक इस संस्थान में है।
एनकेएन कैंपस नेटवर्क
संस्थान के अध्येता, सह अध्येता, अधिकारी, कर्मचारी और आगंतुक संस्थान में कहीं पर भी वेब तक पहुंचने और संसाधन संबंधी सूचनाओं के आदान-प्रदान का लाभ ले सकते हैं। राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क के माध्यम से उपलब्ध करवाए गए ब्रॉडबैंड कनेक्शन से 100 से अधिक पीसी, दो हाई एंड सर्वर इंटरनेट से जुड़े हैं। संस्थान की शासी निकाय को वित्तीय सलाह देने के लिए एक वित्त समिति है। वित्त समिति में मानव संसाधन विकास; शिक्षा मंत्रालय का सदस्य हैं।
शायद यही संस्थान के संस्थापक देश के द्वितीय राष्ट्रपति तथा महान दार्शनिक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की परिकल्पना थी कि एक छत के नीचे जब विभिन्न विषयों से जुडे़ श्रेष्ठ विद्वान मानवीय महत्व के विषयों तथा राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर परस्पर समीक्षात्मक विमर्श चर्चा करेंगे तो शोध का वास्तविक रूप सामने आएगा जो न केवल शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा अपितु समाज और राष्ट्र के लिए भी प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप में हितकर होगा। अध्येताओं के अतिरिक्त संस्थान में लघु अवधि के लिए विजिटिंग प्रोफेसर, विजिटिंग स्कॉलर तथा विजिटिंग फैलो भी आमंत्रित किए जाते हैं जो अपनी रूचि से संबंधित विषयों पर संस्थान के अकादमिक समुदाय के समक्ष व्याख्यान प्रस्तुत करते। शोध परियोजनाओं पर आधारित अध्येताओं की पांडुलियों तथा संगोष्ठियों में प्रस्तुत शोध पत्रों पर आधारित 550 से अधिक पुस्तकों के प्रकाशन का श्रेय संस्थान को प्राप्त है। -प्रो. नागेश्वर राव(लेखक भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में कार्यवाहक निदेशक हैं)
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