बेंगलुरु में अंग्रेजी प्रोफ़ेसर साजी वर्गीज़ ने पर्यावरण के हित में अपनी इनोवेशन से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहना बटोरी है. क्राइस्ट यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर ने नारियल के पत्तों से एक प्रोडक्ट तैयार किया, जो न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि तटीय क्षेत्रों में ग्रामीण महिलाओं को रोज़गार भी दे रहा है. ये इनोवेशन एक मील का पत्थर साबित हो सकता है. खासकर ऐसे समय में, जब हम प्लास्टिक की समस्या का सामना कर रहे हैं.
TOI की रिपोर्ट के अनुसार, वर्गीज को ये आईडिया तब आया, तब वो 2017 में अपने कॉलेज कैंपस में जा रहे थे और उन्होंने सूखे नारियल के पत्तों को देखा. उन्हें ये बिल्कुल स्ट्रॉ की तरह दिखे. 2018 की शुरुआत में, वर्गीज ने नारियल के पत्ते से एक इस आईडिया को सफलतापूर्वक विकसित किया. उनका बनाया यह इनोवेटिव स्ट्रॉ आर्गेनिक है, इसे फ़ूड ग्लू से चिपकाकर बनाया जाता है. यह 12 महीने से अधिक समय तक चल सकता है और पानी में 6 घंटे तक खराब नहीं होगा.
प्रोफेसर ने कहा, “शुरू में, हमने बुनियादी मशीनरी का उपयोग करके पुआल (स्ट्रॉ) का उत्पादन शुरू किया. हमने मदुरई, तूतीकोरिन और कासरगोड जिलों में तीन यूनिट्स स्थापित कीं और ग्रामीण महिलाओं को स्ट्रॉ बनाने का काम दिया.
उन्होंने अपने इस ब्रांड का नाम SunBird रखा, यह जल्द ही लोगों के बीच मशहूर हो गया. एक साल के भीतर उन्हें विदेशों से भी ऑर्डर आए. अब अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ के देशों सहित 25 देशों को स्ट्रॉ निर्यात किए जा रहे हैं. प्रत्येक स्ट्रॉ कीमत 5 रुपये है.
उन्हें अपने प्रोडक्ट के लिए पेटेंट मिल गया है और अब बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन शुरू कर दिया है. शहरी गरीब और ग्रामीण महिलाओं को, मुख्य रूप से कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों में लोगों को उनकी वजह से काम मिल रहा है.
इस इनोवेशन के लिए उन्हें IIT दिल्ली से स्वदेशी स्टार्टअप अवॉर्ड 2018 और स्कॉटलैंड से सामाजिक प्रभाव के लिए Swiss Re Shine Entrepreneur award and Climate Launchpad Award 2018 मिल चुका है.