भारत में अमीर और गरीबों की आय को लेकर एक अहम सर्वे सामने आया है। पिछले दो साल में कोविड के चलते मध्यम वर्ग काफी प्रभावित हुआ था। उनकी वर्षों से इकट्ठा की गई जमा पूंजी खत्म हो गई थी। बहुत से लोगों की नौकरी चली गई थी। इसके बाद जीवन को पटरी पर लाने में काफी समय लगा। अब अमीर परिवारों को लेकर एक सर्वे सामने आया है।
नई दिल्ली: दुनिया में मध्यम वर्ग की पहचान के लिए कोई एक परिभाषा नहीं है। ऐसे में जब भी मध्यम वर्ग को लेकर कोई सर्वे होता है तो उसमें कई तरह की समस्याएं सामने आती हैं। ऐसे में एक ताजा सर्वे में सात श्रेणियां बनाई गई हैं। इसमें सबसे नीचे ऐसे बेसहारा गरीबों को रखा गया है जिनकी सालाना पारिवारिक आय 1.25 लाख रुपये (2020-21) है और सबसे ऊपर ‘सुपर रिच’ हैं जिनकी सालाना पारिवारिक आय 2 करोड़ से अधिक है। इनके बीच में बसता है मिडिल क्लास। ‘भारत के मध्यम वर्ग का उदय’ शीर्षक से रिपोर्ट लिखने वाले PRICE के एमडी और सीईओ राजेश शुक्ला का कहना है कि रेंज 50 से 400 मिलियन तक है, जिससे उनकी वास्तविक सामर्थ्य और खरीदने की क्षमता पर कई सवाल खड़े होते हैं।
कोई कार खरीद नहीं पाता, कहीं एक घर में तीन
इस सर्वे में बताया गया है कि सबसे निचली श्रेणी में आने वाले परिवार मुश्किल से एक कार खरीद पाते हैं। एस्पायरर (आकांक्षी) श्रेणी के हर 10 में से पांच से भी कम परिवारों के पास एक गाड़ी (2020-21) थी। ‘सीकर्स’ श्रेणी में ऐसे लोग आते हैं जिनकी आय 5 लाख और 15 लाख सालाना के बीच होती है। इनमें हर 10 में से 3 परिवारों के पास एक कार है। ‘रिच या अमीर’ श्रेणी में ऐसे परिवार आते हैं जिनकी सालाना आय 30 लाख से अधिक होती है, ऐसे घरों में एक कार होती है। ‘करोड़पति’ की श्रेणी में हर परिवार में करीब तीन कारें होती हैं।
AC वाले कहां कितने
इसी प्रकार से, एयरकंडीशनर्स की बात करें तो बेसहारा गरीब परिवारों में यह बिल्कुल नहीं दिखाई देता है। सर्वे के अनुसार एस्पायरर श्रेणी में हर 100 में 2 के पास और आधे सुपर रिच के पास एयरकंडीशनर होता है।
महाराष्ट्र में अमीर सबसे ज्यादा
रिपोर्ट में बताया गया है कि महाराष्ट्र सबसे अमीर राज्य है, जहां 6.4 लाख सुपर रिच परिवार हैं। इनकी 2021 में सालाना कमाई 2 करोड़ रुपये से ज्यादा थी। 1.8 लाख परिवारों के साथ दिल्ली दूसरे नंबर पर, 1.4 लाख के साथ गुजरात तीसरे, 1.3 लाख के साथ तमिलनाडु चौथे और 1.01 लाख परिवारों के साथ पंजाब पांचवें नंबर पर है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि ‘सुपर रिच’ परिवारों की संख्या 1994-95 में 98,000 थी, जो 2020-21 में बढ़कर 18 लाख पहुंच गई। हाई-इनकम सेगमेंट में सूरत और नागपुर की ग्रोथ सबसे ज्यादा रही।
मिडिल क्लास की उलझन
मिडिल क्लास उच्च वर्ग और निम्न वर्ग के बीच में होने के कारण हमेशा अपनी इच्छाएं उच्च वर्ग के समान रखता है। यही वजह है कि यह वर्ग हर समय आर्थिक चुनौती झेलता रहता है। इस वर्ग के भीतर लोगों की व्यापकता के कारण कोई निश्चित परिभाषा भी नहीं दी जा सकती है।