India’s First Aluminium Freight Rake: एल्युमिनियम रैक सामान्य रैक की तुलना में 10 साल ज्यादा चलेंगे। इनका मेंटीनेंस भी कम है। इसमें जंग भी नहीं लगती है। इसकी रीसेल वैल्यू भी 80 प्रतिशत तक है। हालांकि ये रैक सामान्य स्टील रैक से 35 फीसदी महंगे हैं। ये सामान्य स्टील रेक से 3.25 टन हल्के हैं।
नई दिल्ली: रेल मंत्री श्विनी वैष्णव ने भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन से हरी झंडी दिखा कर देश की पहली एल्युमिनियम के डिब्बों वाली मालगाड़ी (India’s First Aluminium Freight Rake) को रवाना किया। ये पहली मालगाड़ी है जिसके डिब्बे एल्युमिनियम (Aluminium) के बनाए गए हैं। ये रैक मेक इन इंडिया के तहत बनाए गए हैं। रेलवे ने RDSO, BESCO और Hindalco की मदद से ये रैक तैयार करवाए हैं. ये रैक मेक इन इंडिया के तहत बनाए गए हैं। एल्युमिनियन रैक होने की वजह से ये सामान्य स्टील रेक से 3.25 टन हल्के हैं। इसकी वजह से ये 180 टन ज्यादा भार ढोने में सक्षम हैं। एल्युमिनियन रैक से कार्बन उत्सर्जन कम होगा। वहीं ये ईंधन की भी बचत करेगा।
सामान्य रैक से 10 साल ज्यादा चलेंगे एल्युमिनियम रैक
एल्युमिनियम रैक सामान्य रैक की तुलना में 10 साल ज्यादा चलेंगे। इनका मेंटीनेंस भी कम है। इसमें जंग भी नहीं लगती है। इसकी रीसेल वैल्यू भी 80 प्रतिशत तक है। हालांकि ये रैक सामान्य स्टील रैक से 35 फीसदी महंगे हैं। ये एल्युमिनियम रैक अपने पूरे सेवा काल में करीब 14,500 टन कम कार्बन उत्सर्जन करेगा।
विशेष रूप से माल ढुलाई के लिए गया है बनाया
इन डिब्बों को विशेष रूप से माल ढुलाई के लिए बनाया गया है। इनकी डिजाइन भी इसी तरह से की गई है। इसमें स्वचालित स्लाइडिंग प्लग दरवाजे लगे होते हैं और आसान संचालन के लिए लॉकिंग व्यवस्था के साथ ही एक रोलर क्लोर सिस्टम से लैस होते हैं।
डिब्बों में स्वचालित स्लाइडिंग प्लग दरवाजे लगाए गए हैं
केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए जाने वाले 2 लाख रेलवे वैगनों में से पांच प्रतिशत अगर एल्यूमीनियम के हैं। इससे एक साल में करीब 1.5 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन को बचाया जा सकता है। विशेष रूप से माल ढुलाई के लिए डिज़ाइन किए गए, डिब्बों में स्वचालित स्लाइडिंग प्लग दरवाजे होते हैं और आसान संचालन के लिए लॉकिंग व्यवस्था के साथ एक वायवीय रूप से वापस लेने योग्य रोलर फ्लोर सिस्टम से लैस होते हैं।