अर्मेनिया और अजरबैजान (Armenia and Azerbaijan) के बीच जारी संघर्ष के बीच ही पिछले दिनों खबर आई कि भारत में बने मल्टी बैरल रॉकेट सिस्टम पिनाका (Pinaka MBRLS) अर्मेनिया को दिया जाएगा। इस देश ने अमेरिका (US) में बने रॉकेट सिस्टम की जगह भारतीय सिस्टम को तरजीह दी है। रक्षा विशेषज्ञ इसे देश के रक्षा उद्योग के लिए एक बड़ी उपलब्धि करार दे रहे हैं।
येरवान: पिछले दिनों भारत के रक्षा उद्योग के लिए अर्मेनिया से एक गुड न्यूज आई। अजरबैजान के साथ जारी संघर्ष के बीच ही अर्मेनिया ने 2000 करोड़ रुपए के कॉन्ट्रैक्ट के साथ भारत में बने पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट सिस्टम को खरीदने का मन बनाया है। खास बात है कि पिनाका को खरीदने के लिए अर्मेनिया ने अमेरिकी रॉकेट सिस्टम को खारिज कर दिया। विशेषज्ञों की मानें तो यह कॉन्ट्रैक्ट न केवल बढ़ते हुए भारतीय रक्षा उद्योग के बारे में बताता है बल्कि यह भी बताता है कि किस तरह से पिछले कुछ वर्षों में भारत की रक्षा निर्यात नीति में बड़ा बदलाव हुआ है। यह एक सकारात्मक कदम है और इससे दुनिया के नक्शे पर भारत एक अलग पहचान हासिल करने में कामयाब हो पाएगा।
अमेरिकन सिस्टम काफी महंगा
अर्मेनिया ने पिनाका को चुना है और इसकी भी एक खास वजह है। अमेरिका का हीमर्स रॉकेट सिस्टम काफी महंगा था। पिनाका के फीचर्स हीमर्स के जैसे ही ही हैं। हीमर्स को लॉकहीड मार्टिन ने तैयार किया है और पिनाका को भारत के डीआरडीओ ने बनाया है। जो कॉन्ट्रैक्ट साइन हुआ है उसके तहत अर्मेनिया को पिनाका Mk-1 रॉकेट सिस्टम दिया जाएगा न कि पिनाका Mk-2। पिनाका-2 की रेंज को गाइडेड रॉकेट्स के साथ बढ़ाया गया है। पिनाका-2 ने यूजर ट्रायल्स को पूरा कर लिया है। अभी तक इनका उत्पादन हालांकि शुरू नहीं हुआ है।
बिना रुके होगा निर्यात
अगर बात पिनाका-1 की करें तो इसकी पहली रेजीमेंट भारतीय सेना में फरवरी 2000 में तैयार हुई थी। जबकि इनका उत्पादन अभी जारी है। सेना की तरफ से 10 पिनाका-1 के साथ रेजीमेंट्स को तैनात करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। सिस्टम प्रोडक्शन के अलावा पिनाका-1 रॉकेट की उत्पादन क्षमता को भी तैयार किया गया है। हर साल पांच हजार सिस्टम का उत्पादन हो सकेगा। इसकी वजह से भारत बिना किसी प्रभाव के इनका निर्यात भी कर सकेगा और उसकी रक्षा तैयारियों पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा।
क्या है खासियतें
पिनाका Mk-1 एक फ्री-फ्लाइट आर्टिलरी रॉकेट एरिया बॉम्बार्डमेंट सिस्टम है जिसकी रेंज 38 किलोमीटर है। यह तेजी से उच्च क्षमता के साथ फायरिंग करता है। एक पिनाका सिस्टम 44 सेकेंड्स के अंदर 12 रॉकेट्स एक साथ फायर कर सकता है। जबकि इसकी बैटरी एक बार में 72 रॉकेट्स फायर कर सकती है। 214 एमएम बोर वाले पिनाका रॉकेट करीब 100 किलो तक का बारूद सह सकता है। इसके अलग-अलग हथियारों जैसे एंटी-टैंक माइन्स पर फिट किया जा सकता है। पिनाका की एक बैटरी में छह लॉन्चर्स, छह लोडर और रिफिलिंग वाहन, तीन रिफिलिंग वाहन और एक कमांड पोस्ट व्हीकल होता है जो फायर कंट्रोल कंप्यूटर और एक मौसम संबंध रडार होती है।
इसलिए रूस से नहीं खरीदा हथियार
अर्मेनिया की सेनाएं सोवियत दौर के हथियारों से लैस हैं। साल 2015 में इस देश ने कुछ नए रूसी सिस्टमों को खरीदा था। यूक्रेन के साथ जारी जंग के बीच इस समय रूस अर्मेनिया की अतिरिक्त हथियार की मांग को पूरा नहीं कर सकता है। पिनाका को डीआरडीओ ने रूस के ग्रैड BM-21 के रिप्लेसमेंट के तौर पर चुना है। इसके अलावा पिनाका-1 उस क्षमता से भी लैस जो किसी भी ड्रोन को ढेर कर सकता है और तुरंत ही उस जगह से गायब भी हो सकता है। इसे हमले से पहले किसी भी तरह के सर्वे या फिर स्थिति के बारे में पता करने की जरूरत नहीं होती है