जी-20 की अध्यक्षता से बढ़ा भारत का कद, जानें कैसे होगा फायदा

भारत अगले एक साल के लिए जी-20 का अध्यक्ष चुना गया है। पीएम मोदी ने इस मौके पर कहा कि भारत इस दौरान दुनिया में एकता की सार्वभौमिक भावना को बढ़ावा देगा। उन्होंने फिर से कहा कि यह युद्ध का युग नहीं है। चाहे कोरोना वैक्सिनेशन का मामला हो या यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद के हालात, वैश्विक मंच पर भारत की हैसियत लगातार बढ़ी है।

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जी-20 की अपनी अध्यक्षता शुरू करने से पहले ही पीएम नरेंद्र मोदी ने यह साफ कर दिया कि भारत इस दौरान दुनिया में एकता की सार्वभौमिक भावना को बढ़ावा देगा। उन्होंने फिर से कहा कि यह युद्ध का युग नहीं है। भारत गुरुवार से अगले साल नवंबर तक के लिए जी-20 का अध्यक्ष बना है। आज दुनिया भारत को उम्मीद की नजर से देख रही है तो वह यूं ही नहीं है। चाहे कोरोना वैक्सिनेशन का मामला हो या यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद के हालात, वैश्विक मंच पर भारत की हैसियत लगातार बढ़ी है। भारत लगातार विकासशील और गरीब देशों की ओर से आवाज उठा रहा है।

मोदी कह चुके हैं कि भारत अपनी जी-20 प्राथमिकताओं को दुनिया के दक्षिणी हिस्से के उन साथी देशों के भी परामर्श से निर्धारित करेगा, जिनकी बातें अक्सर अनसुनी कर दी जाती हैं। भारत की हैसियत इसलिए भी बढ़ी है कि उसने महाशक्तियों की राजनीति से खुद को बचाते हुए हमेशा आर्थिक और मानवीय विकास पर फोकस बनाए रखा है। आज जब दुनिया के कई देश मंदी से घिरे हैं, तब भारत इस वित्त वर्ष में लगभग सात फीसदी की ग्रोथ हासिल करने जा रहा है। क्लाइमेट चेंज से लड़ाई में भारत ने ग्लोबल लीडरशिप दिखाई है। लेकिन उसने जी-20 की अध्यक्षता ऐसे वक्त में संभाली है, जब दुनिया जबरदस्त संकट से गुजर रही है। जी-20 के 19 सदस्य देशों में से तीन में मुद्रास्फीति की दर 10 फीसदी से अधिक है तो 7 में यह 7.5 से 10 प्रतिशत के बीच है।

यूक्रेन युद्ध के चलते ऊर्जा और फूड चेन की हालत भी इस समय बेहद खराब हो चुकी है। इसीलिए प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए बातचीत की अपील कर चुके हैं। बाली में हुई जी-20 की पिछली बैठक में चीन को भी आखिरकार यही बात कहनी पड़ी, जिसे पीएम मोदी ने शंघाई को-ऑपरेशन समिट से ही कहना शुरू कर दिया था और जिसे वल्दाई फोरम में रूस ने समझा था। बाली समिट में भारत की कोशिशों से ही साझा बयान जारी हो पाया। जी-20 की अध्यक्षता के दौरान भारत के पास ग्लोबल अजेंडा तय करने का मौका है और सरकार की योजना भी ऐसी ही लग रही है।

वह पहले ही दुनिया की पांचवीं बड़ी आर्थिक ताकत बन चुका है और इस दशक के खत्म होने से पहले चीन, अमेरिका के बाद तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। इसलिए इसमें जरा भी संदेह नहीं है कि भारत की बात दुनिया ध्यान से सुनेगी। अपनी स्वतंत्र विदेश नीति की वजह से उसकी साख दशकों से बनी हुई है और इधर वह और मजबूत हुई है। भारत ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि जी-20 की अध्यक्षता के दौरान उसकी प्राथमिकता क्या होगी। पीएम मोदी समग्र मानवता के कल्याण के लिए कोशिश करने का इरादा जता चुके हैं। वसुधैव कुटुम्बकम का मंत्र देने वाले भारत की यही परंपरा भी रही है।