शिफ्टिंग के दौरान शिवाजी की पगड़ी का तुर्रा और तोप गायब हो गई थी। इसे लेकर इंदौर के मराठा समाज ने आपत्ति ली थी और मेयर पुष्यमित्र भार्गव से मिले थे और कहा था कि तुर्रे वाली पगड़ी शिवाजी की शान है। उसका तुर्रा फिर लगाया जाना चाहिए।
इंदौर में व्हाईट चर्च चौराहा का नगर निगम सौंदर्यीकरण कर रहा है। शिवाजी प्रतिमा को शिफ्ट कर पीछे की तरफ लगाया गया और वहां किलेनुमा प्रतिकृति बनाई गई है। घोडे बैठे शिवाजी की प्रतिमा दो साल पहले शिफ्ट की गई थी। अभी चौराहे का निर्माण चल रहा है।शिफ्टिंग के दौरान शिवाजी की पगड़ी का तुर्रा और तोप गायब हो गई थी। इसे लेकर इंदौर के मराठा समाज ने आपत्ति ली थी और मेयर पुष्यमित्र भार्गव से मिले थे और कहा था कि तुर्रे वाली पगड़ी शिवाजी की शान है। उसका तुर्रा फिर लगाया जाना चाहिए। मेयर से समाज के पदाधिकारी मनोहर पवार, बबन कदम, अशोक गायकवाड़, संजय शिंदे, विनोद नागरे मिले थे।
लोहे का तुर्रा निगम ने बनवाया
मराठा समाज की मांग पर दो फीट का लोहे का तुर्रा नगर निगम ने बनवा लिया और अब उसे पगड़ी पर लगाने का काम किया जा रहा है। समाज के पदाधिकारी मनोहर पवार ने बताया कि पहले चौराहे पर अष्टधातू की तोप भी रखी थी, वह भी नहीं मिल रही थी। इसके बारे में भी हमने चर्चा की थी। निगम अफसरों का कहना है कि तोप भी मिल गई है। चौराहे का काम पूरा होने के बाद उसे भी वहां रखा जाएगा।
51 साल पहले इंदिरा गांधी ने किया था प्रतिमा का अनावर
इस प्रतिमा का अनावरण 1971 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था। अश्वरूढ़ शिवाजी प्रतिमा की १७ फीट ऊंची प्रतिमा का निर्माण मुबंई से किया गया था और वहां से प्रतिमा को लाकर यहां स्थापित किया गया था। दो साल पहले लेफ्ट टर्न चौड़ा करने के लिए प्रतिमा को पीछे शिफ्ट किया गया।