मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर (Beleshwar Mahadev Jhulelal Mandir) में बीते गुरुवार को हुए हादसे में मरने वालों की संख्या 40 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. मृतकों में एक 1.5 साल का बच्चा भी शामिल है. हालांकि, रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान एकता की मिसाल भी देखने को मिली.
दरअसल, लोगों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे हाजी अब्दुल माजिद फारुकी इतने व्यस्त हो गए कि उन्हें रोजा खोलना भी याद नहीं रहा. उन्होंने कई लोगों की जान बचाई. इंसानियत व एकता की मिसाल बने हाजी माजिद को हिंदू भाइयों ने उनका रोजा खुलवाया. इफ्तार करने के बाद उन्होंने उनका शुक्रिया अदा किया.
गौरतलब है कि मंदिर के बावड़ी की छत ढह जाने की खबर सुनते ही स्थानीय लोग मदद करने के लिए बचाव दल में शामिल हो गए. उन्हीं में एक नाम रोजेदार हाजी अब्दुल माजिद फारुकी का भी है.
हाजी अब्दुल माजिद बने इंसानियत की मिसाल
अब्दुल माजिद का कहना है कि जैसे ही उन्हें घटना के बारे में पता चला, वैसे ही वो मंदिर पहुंचे. चारों तरफ अफरा तफरी मची हुई थी. कोई रस्सी लेकर आ रहा था तो कोई सीढ़ी लगाकर नीचे फंसे लोगों को बचाने की कोशिश कर रहा था. उन्होंने भी खुद की परवाह किए बिना लोगों को बचाने में जुट गए. उनके द्वारा कई लोगों को बचाने में सहयोग किया गया. हाजी अब्दुल माजिद एक सिविल डिफेंस वर्कर के तौर पर काम करते हैं. घटना की खबर उन्होंने अपनी टीम को भी दी. इसके बाद घटनास्थल पर कई लोग रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल होने के लिए पहुंच गए.
हाजी अब्दुल माजिद बताते हैं कि सुबह 11 बजे से लोगों को बचाते हुए कब शाम के 7 बज गए उन्हें पता भी नहीं चला. उस दौरान इलाके में रहने वाले एक हिंदू दोस्त संजय ने उन्हें बताया कि इफ्तारी का समय हो गया है. तब हिंदू भाइयों ने उन्हें इफ्तारी करवाई. अब्दुल माजिद का कहना है कि धर्म में इंसानियत के काम को महत्व दिया गया. इसी लिए वो रोजा रखने के बावजूद मंदिर जाकर लोगों की जान बचाने की मुहिम में शामिल हो गए.