इंद्रावती: MP के गांव की लड़की, जिसे मोटर बाइक के प्रति उसके जुनून ने लोकप्रिय मैकेनिक बना दिया

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आमतौर पर मोटर बाइक मैकेनिक के रूप में हमने पुरुषों को ही काम करते देखा है. ऐसी धारणा है कि यह काम पुरुषों के लिए ही बना है. लेकिन मध्य प्रदेश के एक गांव की लड़की ने मोटर बाइक मैकेनिक बनकर साबित कर दिया कि महिलाएं कुछ भी कर सकती हैं. इस लड़की का कहना है कि मोटर वाहन मैकेनिक होना कोई ऐसी बात नहीं है जो महिलाओं के लिए असंभव है. वह दुनिया को दिखाना चाहती है कि महिलाएं वाहन भी ठीक कर सकती हैं

यहां हम मध्य प्रदेश के मंडला जिले के एक छोटे से गांव से आने वाली इंद्रावती की बात कर रहे हैं. इंद्रावती ने इंडिया टाइम्स से खास बातचीत की और अब तक सफर शेयर किया है:

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छोटी उम्र से ही इंद्रावती को दोपहिया वाहन पसंद हैं

इंद्रावती बताती हैं कि छोटी उम्र से ही उनको दोपहिया वाहन पसंद हैं. जब भी उन्हें मौका मिलता वो अपने भाई के साथ बाइक की सवारी करतीं. दुर्भाग्य से उनके भाई अब इस दुनिया में नहीं. एक सड़क दुर्घटना में उनकी दुखद मौत हो गई थी. अपने भाई की मृत्यु के बाद इंद्रावती ने महसूस किया कि अब उनके माता-पिता के लिए घर चलाना आसान नहीं है. खेतिहर पिता की मदद और अपने छोटे भाई की मदद के लिए इंद्रावती ने खुद को मजबूत किया.

इंद्रावती साइंस से ग्रेजुएट हैं. ऐसे में उन्हें तकनीकी की अच्छी समझ है. इसको विकसित करते हुए वो अपने जीवन में आगे बढ़ीं और अपने लिए एक नई राह बनाई. उनके मुताबिक प्रोफेशनल असिस्टेंस फॉर डेवलपमेंट एक्शन (PRADAN) नामक एक NGO ने इसमें उनकी मदद की. यह NGO ग्रामीण युवाओं को उनकी अपनी रुचि और बाजार में प्रचलित मांग के अनुसार ट्रेनिंग देने और काम सीखने का अवसर देता है.

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मोटर वाहन मैकेनिक बनने के लिए कड़ा संघर्ष किया  

इंडिया टाइम्स ने PRADAN से भी संपर्क किया और इंद्रावती के बारे में बात की. NGO के मुताबिक इंद्रावती को मोटर वाहन मैकेनिक बनने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा. इस तरह के काम आमतौर पर पुरुष ही करते हैं. लेकिन जब इंद्रावती ने NGO से संपर्क किया तो उसने उन्हें खुशी-खुशी एक प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया और हर संभव मदद की. आगे का सफर इंद्रावती ने अपनी मेहनत से आसान कर लिया.

बातचीत जारी रखते हुए इंद्रावती कहती हैं, “मैं  परिवार की देखभाल करना चाहता थी. भाई की मृत्यु के बाद माता-पिता को सपोर्ट करने के लिए मेरे दिमाग में सबसे पहले मोटर मैकेनिक बनना का ख्याल आया था. शुक्र है कि मुझे PRADAN ने प्रशिक्षित किया गया. अब मुझे लगता है कि मैं यह काम आसानी से कर सकती हूं.”

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अपना खुद का एक टू-व्हीलर वर्कशॉप खोलना चाहती हैं 

बता दें, इंद्रावती के पिता शुरू में अपनी बेटी के मोटर वाहन मैकेनिक बनने के फैसले को लेकर असहज थे. मगर उनकी मां हमेशा अपनी बेटी के साथ खड़ी रहीं. परिणाम सामने है. छह महीने का प्रशिक्षण पूरा करने के बाद, इंद्रावती को जबलपुर में एक दोपहिया सेवा केंद्र में मोटर बाइक मैकेनिक के रूप में रखा गया गया. उन्हें वेतन के रूप में 8000 रुपए प्रति माह भुगतान किया जाएगा. इस तरह उनकी वार्षिक आय करीब 1 लाख रुपए है. 

इंद्रावती का कहना है कि भविष्य में वो नारायणगंज में अपना एक टू-व्हीलर वर्कशॉप खोलना चाहती हैं. उनके मुताबिक लंबे समय तक नौकरी करना अच्छा नहीं होगा. वो आगे व्यापार की कला सीखना चाही हैं ताकि नारायणगंज में अपनी खुद की दोपहिया कार्यशाला स्थापित कर सकें. उन्हें यकीन है कि वो अन्य महिलाओं को मोटर बाइक मैकेनिक बनने के लिए प्रोत्साहित करती रहेंगी. साथ ही उनके लिए नौकरी के अवसर भी पैदा करेंगी.

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PRADAN से जुड़े एक अधिकारी ने इंद्रावती की तारीफ करते हुए कहा, “इंद्रावती निश्चित रूप से अलग हैं. क्योंकि वह अपने दम पर कुछ शुरू करना चाहती हैं, उनका सफर प्रेरणादायक है. ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाली इंद्रावती जैसी लड़कियों को बस एक दिशा की जरूरत होती है. हम इसी दिशा में काम कर रहे हैं”. वाकई इंद्रावती उन लोगों के लिए मिसाल हैं, जो मुसीबत के आगे घुटने देक देते और जीवन भर अपनी किस्मत को दोष देते रहते हैं.