भारतीय क्रिकेट में एक अघोषित पंरपरा ये है कि अगर टीम इंडिया सिरीज़ के बीच में कोई मैच हारती है तो कप्तान प्रेस कॉन्फ़्रेंस के लिए नहीं आता है. अमूमन कप्तान सीरीज़ शुरु होने से पहले मीडिया के सामने आता है या फिर सीरीज़ के बाद. सफेद गेंद की क्रिकेट में तो अक्सर यही होता है.
ऐसे में लॉर्ड्स वन-डे में 100 रन की करारी हार के बाद जहां पत्रकार युज़वेंद्र चाहल का इंतज़ार कर रहे थे तो कप्तान रोहित शर्मा ने सामने आकर हर किसी को चौंका दिया.
दरअसल, कप्तान रोहित की आदत ये है कि वो ज़िम्मेदारी से भागते नहीं हैं. वो महेंद्र सिंह धोनी की ही तरह कैप्टन कूल होते हुए जीत के बजाए हार के दिनों में ख़ासकर क़रारी हार वाले दिनों में टीम का बचाव करने के लिए खुद मैदान में उतरते हैं. गुरुवार को भी लंदन में यही हुआ.
रोहित ने ना सिर्फ शांत तरीके से अपनी टीम की खामियों को माना बल्कि उससे अहम बात ये कि उन्होंने एक बार फिर से अपने पूर्व कप्तान और टीम के दिग्गज बल्लेबाज़ विराट कोहली का बचाव किया. कोहली को लेकर भारत में चल रही आलोचना के बारे में पूछने पर उन्होंने ये कहा कि ये ग़लत बात है.
उसके बाद उन्होंने इस बात को माना कि वाकई में अहम मुकाबलों के दौरान लक्ष्य का पीछा करते हुए टीम इंडिया के टॉप ऑर्डर का धराशायी होना एक गलत पैटर्न का हिस्सा होता दिख रहा है और टीम इस पहलू पर और मेहनत करेगी.
200 से ज़्यादा रनों के लक्ष्य से जूझती टीम इंडिया
सिरीज़ और मैच में जीत के लिए 247 रनों का पीछा करते हुए टीम इंडिया ने महज़ 31 रन पर 4 विकेट खो दिये तो मैदान में मौजूद करीब 30 फीसदी भारतीय फैंस निकल गये और जैसे ही स्कोर 73 रन पर पाँच विकेट हुआ तो 20 फीसदी और निकल गये. इसके बाद जब हार्दिक पंड्या भी 28वें में चल पड़े तो बाहर निकलने वाले दर्शकों का अंदाज़ा लगाना मैंने छोड़ दिया.
लेकिन, इस साल वन-डे क्रिकेट में 200 से ठीक ज़्यादा रनों का स्कोर पीछा करने में नाकामी की आदत टीम इंडिया से छूट नहीं पा रही है. दक्षिण अफ़्रीका के साथ इस साल की शुरुआत में दो बार ऐसा हुआ जबकि उस टीम में कगीसो रबादा और नोकिया भी नहीं थे.
यही मौजूदा सीरीज़ के दूसरे मैच में हुआ जब इंग्लैंड टीम के पास नियमित गेंदबाज़ जोफ्रा आर्चर, क्रिस वोक्स और आदिल रासिद उपलब्ध नहीं थे.
रोहित शर्मा और केएल राहुल तो इस साल फिटनेस की समस्या से गुज़रे हैं और कोहली और धवन ही ज़्यादातर मैचों में साथ खेले लेकिन कहीं भी इनकी मैच जिताने वाली साझेदारी देखने को नहीं मिली. वरना पहले हर मैच में इन तीनों में से कोई एक बड़ी पारी ज़रूर खेल जाता था.
अगर कोहली चेज़ मास्टर रहे हैं तो शिखर धवन को भी बड़े लक्ष्य को साधना काफी रास आता है. लेकिन, वन-डे इतिहास के इन दोनों बेहतरीन खिलाड़ियों ने पिछली 36 पारियों में मिलकर भी एक शतक नहीं जड़ा है.
लेकिन ये समस्या सिर्फ़ दो दिग्गजों के साथ ही नहीं बल्कि भविष्य के दिग्गज के तौर पर देखे जाने वाले ऋषभ पंत के साथ भी कमोबेश कुछ ऐसा ही होता दिख रहा है. पंत को नंबर 4 पर चेज़ मास्टर का रोल दिया जा रहा है लेकिन टीम मैनेजमेंट पंत के आकंड़ों को नहीं देख रहा है कि 26 मैचों में अब तक पंत का औसत करीब 47.75 का है.
लेकिन, सिक्के का असली पहलू ये है कि पहले बल्लेबाज़ी करते हुए पंत तो बेहद सजग दिखते हैं लेकिन जीत के लिए लक्ष्य का पीछा करते हुए वो बेहद ही साधारण खिलाड़ी बन जाते हैं. उनका औसत गिरकर 13 से भी कम रन प्रति मैच का हो जाता है.
लेकिन, बल्लेबाज़ों को दोष देने से पहले गेंदबाज़ी आक्रमण की भी चर्चा होनी चाहिए. ओवल की तरह यहां भी ख़राब शुरुआत करने वाली इंग्लैंड को गेंदबाज़ों ने जमने क्यों दिया.
रोहित ने प्रेस कांफ्रेस में ये माना कि आने वाले दिनों में रनों का पीछा नहीं कर पाने की बीमारी से छुटकारा पाना ज़रूरी है.
रोहित के चेहरे के भाव को देखते हुए ये साफ था कि भले ही इंग्लैंड ने ये मैच जीत लिया हो लेकिन सीरीज़ में जीत पक्की करने का रोहित का इरादा पक्का है.