. छत्तीसगढ़ के धमतरी शहर का व्यस्त गोल बाजार इलाका, जहां ज्यादातर सराफा और कपड़े की दुकानें हैं. इन्हीं में से एक है हरि ओम वस्त्रालय. इसी दुकान के अंदर जाने पर बीच में है पीपल का पेड़. यह पेड़ हर आने जाने वाले का ध्यान खींचता है. लोग इसे देख कर हैरान हो जाते हैं.. क्योंकि ये देखने में बिल्कुल असाधारण है. दीवार से चिपका हुआ इसका तना गोला नहीं बल्कि चपटा है. इतना ही नहीं लगभग पांच भागों में बंटा हुआ तना करीब 15 फीट तक एक ही लाइन में फैला हुआ है. तने का निचला हिस्सा कुछ इस तरह से आकार लिये हुए है कि मानो मंदिर बना हो.
दुकानदार ने नीचे में खूबसूरत पत्थरोंं से चबूतरा बनवा दिया है, जिसमें अलग अलग धर्म संप्रदाय के आस्था के प्रतीकों की मूर्तियां या तस्वीरें रखी हुईं है. रोजाना सुबह और शाम मालिक और कर्मचारी एक साथ मिलकर यहां पूजा भी करते हैं. दरअसल पहले इस जगह पर दीवार थी. दो दीवारों के बीच पता नहीं कब पीपल के बीज पहुंच गए और पौधा उग आया. ये पेड़ दो दवारों के बीच जितनी जगह मिली, उसी में खुद को बढ़ाने लगा और विशाल वृक्ष में बदल गया. इसी कारण इसका तना गोल नहीं हो सका और चपटा रह गया. दुकान के पुनर्निर्माण के लिये जब दीवार तोड़ गई तो सामने पीपल का चपटा पेड़ दिखाई दिया. दुकानदार ने उसी दिन से इसे देवता मान लिया.
खतरा नहीं मानते दुकानदार
बता दें कि पीपल उन पेड़ो में से है, जो कई सौ साल तक जीते हैं और लगातार अपनी जड़ों और शाखाओं को बढ़ाते रहते हैं. ये पेड़ कहीं भी उग जाते हैं. इनकी जड़ों का विस्तार अगर किसी भवन में हो जाए तो मजबूत से मजबूत निर्माण को भी फाड़ देते हैं. इसिलिये इस कपड़े की दुकान की बिल्डिंग के लिये भी ये पीपल खतरनाक साबित हो सकता है, लेकिन दुकान के मालिक भारत भूषण इसे खतरा नहीं बल्कि देवता मानते हैं. दुकान के अंदर इसका होना अपना सौभाग्य मानते हैं. उन्होंने इस पीपल को सहेज कर रखने का संकल्प ले रखा है.
इस दुकान में एक दो नहीं बल्कि 48 कर्मचारी भी काम करते हैं, जो अलग अलग धर्म संप्रदायों से ताल्लुक रखते हैं. सभी की आस्था इस पीपल के पेड़ से जुड़ी हुई है. कर्मचारी देवेन्द्र कुमार और आकांक्षा भारती कहती हैं कि सभी ने अपने धार्मिक आस्था के प्रतीको की मूर्तियां या तस्वीरें यहां रखी हुई हैं. इनमें भगवान हनुमान की मूर्ति भी मिलेगी. संत घासीदास और मुस्लिम संत फकीर की तस्वीर भी एक साथ एक कतार में रखी मिलेगी.