कोविड19 पैंडमिक के दौरान लाखों लोगों की ज़िन्दगियां अस्त-व्यस्त हो गईं. कई लोगों की जान गई और कई लोगों की कमाई का ज़रिया छिन गया. बहुत से लोग डिग्री होने के बावजूद मजबूरी में कम पगार में दूसरी नौकरियां करने पर मजबूर भी हुए. इन लोगों ने हार नहीं मानी और ज़िन्दगी में कुछ करने की कोशिशें करते रहे और ऐसे ही एक शख़्स हैं, शेख़ अब्दुल सत्तार (Sheikh Abdul Sathar)
खाने की डिलीवरी करते थे अब बने सॉफ़्टवेयर इंजीनियर
अद्बुल डिलीवरी एजेंट के तौर पर काम करते थे. लॉकडाउन में पढ़ाई के साथ-साथ घर चलाने के लिए ये काम ढूंढा था लेकिन अब उनकी पढ़ाई रंग लायी। उन्होंने अपनी कहानी LinkedIn पर शेयर की है.
घर चलाने के लिए पढ़ाई के साथ शुरू किया काम
वायरल पोस्ट में अब्दुल ने लिखा कि उनके पिता कॉनट्रैक्ट वर्कर हैं. घर चलाने के लिए वे जल्द से जल्द नौकरी करना चाहते थे. शर्मीले स्वभाव के अब्दुल ने डिलीवरी बॉय का काम करते हुए काफ़ी कुछ सीखा. एक दिन किसी ने उन्हें कोडिंग सीखने की एडवाइस दी. दोस्त से एक कोर्स के बारे में पता चला और अब्दुल ने कोर्स जॉइन कर लिया. शाम 6 बजे से रात के 12 बजे तक वे डिलीवरी करते. पॉकेट मनी से वे घर की छोटी-मोटी ज़रूरतें पूरी करते.
मेहनत रंग लाई और अब्दुल की नौकरी लग गई
धीरे-धीरे अब्दुल कोडिंग सीखने लगे और उन्होंने वेब एप्लीकेशन्स बनानी भी शुरू कर दी. कुछ प्रोजेक्ट्स में काम करने के बाद उन्होंने विभिन्न कंपनियों में काम करना शुरू किया. डिलीवरी बॉय के अनुभव से उनकी कम्युनिकेशन्स स्किल्स भी अच्छी हो गई. अब्दुल की मेहनत रंग लाई और Probe Information Services Pvt Ltd (Probe42) में बतौर सॉफ़्टवेयर इंजीनियर उन्हें नौकरी मिल गई. अब्दुल ने बताया कि एक समय था जब उन्हें हर रुपये का हिसाब रखना पड़ता था और अब वो कुछ महीनों की सैलरी से अपने माता-पिता का सारा कर्ज़ा चुका सकते हैं.