बाल मज़दूरी हमारे समाज में व्याप्त कई अभिशापों में से एक है. पेट भरने के लिये बहुत से बच्चे बाल मज़दूरी के दलदल में ढकेले जाते हैं. बहुत से बच्चे इस दलदल में फंसे रह जाते हैं और कुछ दूसरों की सहायता से इस अंधेरे से निकलने में क़ामयाब हो जाते हैं. आज हमारे सामने एक ऐसे ही युवक की प्रेरणादायक कहानी है, जिसे एक NGO की मदद से बाल मज़दूरी के दलदल से निकाला गया. अब उसने अपनी ज़िन्दगी ही पलट दी.
21 वर्षीय लक्ष्मण डुंडी (Laxman Dundi) को एनजीओ लोकद्रुष्टी ने आंध्र प्रदेश की एक ईंट भट्टी से रेस्क्यू किया. लक्ष्मण का नुआपाड़ा, ओड़िशा के सरकारी सीज़नल हॉस्टल में पुर्नवास करवाया गया.
The New Indian Express
The New Indian Express की रिपोर्ट के अनुसार, कोटामल (Kotamal) गांव के लक्ष्मण को विज्ञान विषय हमेशा आकर्षित करता था और उसे विज्ञान पढ़ने का मौका मिला. लक्ष्मण ने रानीमुंडा हाई स्कूल (Ranimunda High School) से पढ़ाई की और अच्छे अंक प्राप्त किये. अच्छे मार्क्स होने की वजह से लक्ष्मण को खरियर गवर्मेंट कॉलेज (Khariar Government College) में एडमिशन मिल गया जहां उसने विज्ञान चुना.
आज लक्ष्मण ऐसे इनोवेटिव चीज़ें बना रहा है जिससे सरकार और जनता की मदद हो सकती है. इस युवा इनोवेटर ने ऐसा ऑक्सिजन कन्सनट्रेटर बनाया है जिसकी क़ीमत बाज़ार में मौजूद कन्सनट्रेटर से कम है. लक्ष्मण का दावा है कि उसके द्वारा बनाया गया कन्सनट्रेटर भी बाज़ार के कन्सनट्रेटर जैसा ही काम कर सकता है.