एक छोटी सिलाई दुकान से 225 करोड़ टर्नओवर का साम्राज्य बनाने वाले दो भाईयों की प्रेरक कहानी

समय की गणना, दृढ़ता और 10 वर्षों के अथक प्रयास के बाद ऐसा लगता है मानो रातों रात सफलता मिल गई हो” ऐसा मानते हैं ‘जेड ब्लू’ के संस्थापक जितेन्द्र चौहान। अपने भाई विपिन चौहान के साथ मिल कर जितेन्द्र ने पुरुष परिधान के क्षेत्र में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के पीनस्ट्रीप सूट जिसपर छोटे-छोटे अक्षरों में उनका नाम लिखा था, उस पर जेड ब्लू का ही तुकमा लगा था। इस सूट की बोली 4 करोड़ 31 लाख की लगी और ‘जेड ब्लू’ को विश्व में पहचान मिली। यद्यपि रातों रात सफलता मिलने की यह यात्रा उतनी आसान नहीं जितनी यह प्रतीत होती है।

अहमदाबाद से 100 किलोमीटर दूर लिम्बडी में यह परिवार छह पीढ़ियों से सिलाई का काम किया करता था। जितेन्द्र के पिता चिमनलाल चौहान ने लिम्बडी, मुंबई, कोलकत्ता में भी सिलाई की दुकान चलाई। पर वह कहीं भी स्थाई न रह सके। धार्मिक प्रवृति और दयाभाव से परिपूर्ण जितेन्द्र के पिता स्वंय का शर्ट भी उतार कर जरुरतमंदों को दे दिया करते थे। जितेन्द्र उस वक्त सिर्फ 5 साल के थे जब अचानक उनके पिता ने संन्यास धारण करने का निर्णय लिया और जूनागढ़ की पहाड़ियों में चले गए। पिता के चले जाने के बाद सारी जिम्मेदारी माँ के कंधे पर आ गई। जितेन्द्र के पिता की एक सिलाई दुकान ‘चौहान टेलर्स’ साबरमती आश्रम के पास हुआ करती थी। वही आय का एकमात्र जरिया था।

एक वर्ष के बाद पूरा परिवार रतनपोल, अहमदाबाद चला आया जहाँ जितेन्द्र का ननिहाल हुआ करता था। जितेन्द्र अपने मामा की दुकान पर काम करना शुरु कर दिए। उनके मामा की दुकान का नाम ‘मकवाना ब्रदर्स’ था। उस वक्त जितेन्द्र 13 साल के थे। इसके बावजूद भी वे नियमित रुप से स्कूल जाया करते थे। ‘मकवाना ब्रदर्स’ में काम करते हुए जितेन्द्र ने सिलाई की कुशलताओं को सीखा और बटन में छिद्र बनाने की मशीन का संचालन भी सीखा।

कालांतर में, 1975 में जितेन्द्र के बड़े भाई दिनेश ने अपनी स्वयं की सिलाई दुकान खोली और नाम रखा ‘दिनेश टेलर्स’। जितेन्द्र उस वक्त काॅलेज की पढ़ाई कर रहे थे। अपने भाई की दुकान में काफी वक्त दिया करते थे और इस प्रकार उन्होंने सिलाई की तमाम बारीकियों को सीखा। वह प्रतिदिन 10-12 शर्ट सील लिया करते थे। इस दरम्यान उन्होंने मनोविज्ञान में स्नातक की भी पढ़ाई पूरी की।

1981 में जितेन्द्र ने स्वयं का एक बिस्पोक टेलरिंग एण्ड फेब्रिक स्टोर शुरु किया। बैंक लोन की मदद से 1.5 लाख में 250 स्काॅयर फीट की जगह में ‘सुप्रिमो क्लाॅथिंग एण्ड मेन्सवेयर’ के नाम से शुरु किये गये इस उपक्रम में नाप लेना, कपड़े काटना, स्टाईल देना, सिलाई से लेकर सेल्समैन तक का सभी काम जितेन्द्र अकेले ही देखा करते थे। 1986 में उन्होंने अपना पहला कदम रिटेलिंग की ओर रखा और एक मुंबई की कंपनी के लिए कपड़े बनाए। दुर्भाग्यवश वह सारा भेजा हुआ माल वापस आ गया। मगर इससे जितेन्द्र ने खुद का एक रेडिमेड का दुकान खोला और नाम रखा ‘द पीक प्वाइंट’ जहाँ बने बनाए शर्ट उपलब्ध थे। एक साल के बाद जितेन्द्र ने पतलुन बनाने भी शुरु कर दिये। जितेन्द्र अपने व्यवसाय में बेहतर करते हुए आगे की ओर बढ़ते चले गये। जितेन्द्र कहते हैं कि इन सबके पीछे फैशनेबल डिजाइन, ग्राहकों के अनुरुप सेवा और ज़बानी माध्यम है।

1995 में 2800 स्क्वाॅयर फीट के क्षेत्र में जितेन्द्र ने ‘जेड ब्लू’ की स्थापना रखी। बिस्पोक टेलरिंग, फैब्रिकस और प्राईवेट लेबल पर फोकस किया। 1999 में इसका विस्तार करते हुए 5500 स्क्वाॅयर फीट के एरिया में अपने कार्य की रुपरेखा को बदलते हुए बहुब्रांड का आउटलेट बनाया, जहाँ 12 राष्ट्रीय प्रीमियम ब्रांड के पुरुष प्रसाधनों को रखा। इस माध्यम से उन्होंने पुरुष परिधानों के सभी भाग को एक आवरण के तहत रखने का प्रयास किया। अगले दो वर्षों में जीन्स और विशिष्ट सांस्कृतिक कपड़े भी ‘जेड ब्लू’ के स्टोर में उपलब्ध कराए। 2003 में ग्राहकों की माँग के मद्देनजर उन्होंने ‘ग्रीनफाईबर’ स्टोर की स्थापना की यहाँ एक नई उत्पाद श्रृंखला मध्यम कीमत स्तर पर उपलब्ध कराया। वर्तमान में ‘ग्रीनफाईबर’ के 30 आउटलेट हैं जिनमें से 8 फ्रेंचाईसी पर हैं।

अपने 22 स्टोर के साथ 18 शहरों में उपलब्ध ‘जेड ब्लू’ राष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपलब्धता दर्ज की है। जल्द ही 4 नये स्टोर की योजना है। जिनमें एक जामनगर और भोपाल में जबकि दो इंदौर में खोलने का विचार है। जितेन्द्र बताते हैं कि यद्यपि शहरी भारत में जीवनशैली तेजी से बदल रही है परंतु छोटे शहर और ग्रामीण भारत की जानकारी ने उन्हें आश्चर्यचकित कर दिया। उन्होंने कहा कि इन शहरों में उच्च स्तरीय फैशन बहुत तेजी से बढ़ रहा है, कई मेट्रो शहरों के मुकाबले। इस प्रचलन को पहचानते हुए उदयपुर, रायपुर, वापी, भावनगर, जामनगर, आनंद, वलसाड़ में अपने स्टोर चालू किए हैं।

आज चौहान बंधु व्यक्तिगत रुप में प्रसिद्ध राजनीतिज्ञों जैसे नरेन्द्र मोदी, अहमद पटेल और उद्योगपति गौतम अदानी, कर्शन भाई पटेल जैसे लोगों को सिलाई की सेवा प्रदान करते हैं। इतना ही नहीं 225 करोड़ टर्नओवर वाली ‘जेड ब्लू’ के परिवार समूह में पूरे देश में 1200 कर्मचारी कार्यरत हैं।

जितेन्द्र अपना मैनेजमेंट मंत्र केनफ़ोलिओ़ज के साथ साझा किया वह आश्वस्त हैं कि ये आकांक्षी उद्यमियों के लिए मददगार होगा:

  • अपने मूल सामर्थ्य के साथ लगन रखें: आप किसमें बेहतर हैं खोज करें। ईश्वर ने हरेक को कौशल का तोफहा दिया है। किसी में वह भाग कुछ अधिक होता है मगर यह कहना आवश्यक है कि कोई भी जो कर रहा होता है वह किसी और काम करने से बेहतर होता है।
  • अधिकतम सहभागिता: प्रबंधन व्यवस्था को व्यवस्थित करना और उसके कार्यान्वयन को सहभागिता से सुचारु करना। आपके कर्तव्य को आपसे बेहतर कोई नहीं कर सकता है।
  • अपने टीम का निर्माण करें।
  • परिकलित जोखिम लें: जब आप ट्रेडमिल पर चलते हैं तो आपके पास विकल्प होता है सिर्फ चलने का और तेजी से चलने का। जोखिम लेने में समय का आकलण सबसे महत्वपूर्ण है।
  • त्वरित निर्णय क्षमता: यदि आप यह आज नहीं करते हैं तो कल कोई और कर लेगा।
  • सुनना: आपको यह नहीं पता होता है कि कब कहाँ से अापको अद्भुत सुझाव मिले।
  • निरंतर अपने ब्रांड को पोषित करे: नजर ले दूर, दिमाग ले दूर।

जितेन्द्र चौहान ने विपरीत परिस्थियों के बावजूद अपने कौशल के विकास में लगे रहे। उनकी कौशलता का परिणाम आज सफलता के हर रुप में उन्हें मिला है। दौलत और शोहरत आज उनकी परछाई बन कर उनके साथ है। यह एक सबक है उन युवाओं के लिए जिन्हें अपनी क्षमता और कौशल पर शंका है। निरंतर प्रयास ही सफलता की एक मात्र कुँजी है। हमेशा पूरे लगन और जोश से अपने प्रयास में लगे रहना चाहिए।