हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने निचली अदालतों को निर्देश जारी किए हैं कि दस साल से पुराने मामलों को 31 दिसंबर तक निपटाएं। इसके अलावा पांच साल पुराने केस 31 मार्च, 2023 तक हल करने के लिए कहा है। हाईकोर्ट ने इन केसों के निपटारे के लिए कार्य योजना 2022-2023 तैयार कर दी है। साथ ही निर्देशों की अनुपालना रिपोर्ट भी तलब की है। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से पारित आदेशों को दोहराते हुए कहा कि एक आम आदमी वास्तव में निचली अदालतों के कामकाज से ही न्यायपालिका की कार्यप्रणाली के बारे में धारणा बनाता है। उनके लिए न्यायपालिका की छवि ट्रायल कोर्ट के न्यायाधीशों के बौद्धिक, नैतिक और व्यक्तिगत गुणों पर निर्भर करती है। वर्ष 1992 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेशों में कहा था कि अधीनस्थ अदालतों के न्यायाधीश ही न्याय वितरण में अहम भूमिका निभाते हैं।
वे अदालत में कार्यवाही के दौरान याचिकाकर्ता से सीधे संपर्क में आते हैं और मामले को उचित रूप से समझने या निपटाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों की ओर से पुराने मामलों का निपटारा करना अपना पवित्र कर्तव्य माना जाना चाहिए। यदि न्यायिक अधिकारी प्रत्येक दिन इन्हें निपटाने के लिए कुछ अतिरिक्त समय देते हैं तो अदालतों और वादियों के बीच एक मजबूत संबंध बनेगा। सुप्रीम कोर्ट के इस उद्देश्य को पाने के लिए हाईकोर्ट ने अधीनस्थ न्यायिक अधिकारियों को निर्देश दिए कि पुराने केसों और पुराने आपराधिक मामलों की सुनवाई रोजाना होनी चाहिए। हाईकोर्ट ने जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को निर्देश दिए कि पुराने केस स्थानांतरित करने की अनुमति न दी जाए। केस एक अदालत से दूसरी अदालत में कम से कम स्थानांतरित हों। जिला न्यायाधीशों को मजिस्ट्रेटों के कामकाज की निगरानी करने के निर्देश भी दिए गए हैं।