उत्तराखंड में स्थित इस मंदिर में महसूस होती है तीव्र कॉस्मिक ऊर्जा, विवेकानंद ने भी लगाया था यहां ध्यान

उत्तराखंड का धाम

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उत्तराखंड का धाम

उत्तराखंड जिसे देवों का स्थान यानि देवनगरी कहा जाता है। यह नाम इस पूरे स्थान को इसलिए दिया गया क्योंकि वाकई यहां मौजूद विभिन्न पहाड़ियों, जंगलों और मंदिरों में वो आध्यात्मिक ऊर्जा है जो दैवीय लगती है। यहां मौजूद मंदिर वो आध्यात्मिक स्थान हैं जहां एक अलग प्रकार की ऊर्जा महसूस की जाती है। ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ भारतीयों का विश्वास है। दुनिया की कई बड़ी और मशहूर हस्तियों के नाम भी उत्तराखंड के विभिन्न मंदिरों से जुड़े हैं।

कसार देवी मंदिर

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कसार देवी मंदिर

आज के लेख में हम बात करेंगे उत्तराखंड में मौजूद कसार देवी मंदिर के बारे में। जहां इतनी तीव्र कॉस्मिक एनर्जी महसूस होती है जिसे बयां करना मुश्किल है। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित है कसार देवी मंदिर। ये अद्वितीय और चुंबकीय शक्ति का केंद्र है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह मंदिर वैन एलन बेल्ट पर स्थित है। वैन एलन बेल्ट तीव्र रेडिएशन बेल्ट मानी जाती है जहां इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड होता है। ऐसा कहा जाता है कि इस तरह के रेडिएशन बेल्ट में रुका नहीं जा सकता लेकिन यह मंदिर इन सारी बातों को झूठा साबित कर देता है। हालांकि वैज्ञानिकों ने इसे तब तक सुरक्षित बताया है जब तक कोई यहां ज्यादा देर तक ना रुके। इस मंदिर में कॉस्मिक एनर्जी भी तीव्र है। जिसे कई बार भक्त महसूस भी कर चुके है।

मंदिर में मौजूद ऊर्जाएं

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मंदिर में मौजूद ऊर्जाएं

कई लोग जो इस मंदिर का दौरा कर चुके हैं अपने अनुभव में यहां की ऊर्जाओं के बारे में जिक्र करते हैं। ये लोग बताते हैं कि मंदिर के आसपास पहुंचते ही आध्यात्मिक ऊर्जा महसूस होती है। जो कि मन को शांति का अनुभव कराती है। इतना ही नहीं, मंदिर में लोगों को एक मादक एहसास होता है जैसे वो वहां चल रही हवा में हल्के होकर उठ गए हों। यह अनुभव सिर्फ उन्हीं लोगों को हुआ है जो आध्यात्मिक तौर पर थोड़े भी जागरुक हों।

100 सीढ़ियां पार कर पहुंचते हैं मंदिर

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100 सीढ़ियां पार कर पहुंचते हैं मंदिर

कसार देवी मंदिर तक पहुंचने के लिए 100 से अधिक सीढ़ियां चढ़नी होती हैं। पहाड़ पर इतनी सीढ़ियां चढ़ने के बाद आमतौर पर लोगों को लगता है कि वह थका हुआ महसूस करेंगे लेकिन जैसे ही वो इन सीढ़ियों को पार कर लेते हैं उन्हें एक अलौकिक एहसास होता है। यह एहसास मंदिर में मौजूद ब्रह्मांडीय शक्तियों के कारण होता है। इन्हीं शक्तियों को हम अध्यात्म की भाषा में कॉस्मिक एनर्जी कहते हैं।

कई दार्शनिक आए हैं यहां

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कई दार्शनिक आए हैं यहां

मंदिर के अंदर जिस तरह की शांति और ऊर्जाएं हैं वह विभिन्न आध्यात्मिक लोगों, दार्शनिकों और योगियों को यहां खींच लेती हैं। इस मंदिर में स्वामी विवेकानंद और कई बड़े दार्शनिक, आध्यात्मिक लोग आ चुके हैं। स्वामी विवेकानंद ने मंदिर के पास एक गुफा में ध्यान भी लगाया था। इतना ही नहीं रवींद्रनाथ टैगोर, बॉब डायलन,डीएच लॉरेंस, तिब्बती बौद्ध गुरु लामा अनगरिका गोविंदा, उमा थुरमन और ना जाने कितने ही लोगों का नाम इस मंदिर से जुड़ा है।

मंदिर की संरचना

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मंदिर की संरचना

ऐसी मान्यता है कि कसार देवी मंदिर को 2 हजार साल पुरानी गुफा काटकर बनाया गया था और बिड़ला परिवार के द्वारा 1948 में इसका जीर्णोद्धार कराया। यहां हर साल सैलानी माता के दर्शन के लिए आते हैं और अपने जीवन की कई परेशानियां यहां से खत्म कर जाते हैं लेकिन जो व्यक्ति यहां आध्यात्मिक ज्ञान के लिए आता है वह यहां से जीवन का ज्ञान प्राप्त करके जाता है।