भोपाल.कूनो पालपुर अभयारण्य इन दिनों चर्चा में है. पीएम नरेन्द्र मोदी ने दो दिन पहले ही यहां नामीबिया से लाए गए चीते छोड़े हैं. News 18 की टीम भी कूनो पालपुर अभयारण्य पहुंची और यहां की सैर कर देखा कि विदेशी चीते यहां किस हाल में हैं और क्या कर रहे हैं. कूनो में घूमते वक्त कुछ दिलचस्प बातें और किस्से भी सुनाई दिए.
देश में 70 साल बाद चीते लौट आए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन 17 सितंबर को इन चीतों को मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा. News 18 की टीम जब कूनो नेशनल पार्क में पहुंची तब ये चीते आराम कर रहे थे. जैसे ही बाड़े की दूसरी तरफ उन्होंने कर्मचारियों की आहट सुनी तो वे तुरंत चौंकन्ने होकर तन कर खड़े हो गए. चीतों को देखकर पता चलता है कि वे जल्द ही यहां के हालात और माहौल से सामंजस्य बैठा लेंगे. और संतुलन भी बना लेंगे. कूनो नेशनल पार्क को चीतों का ब्रीडिंग सेंटर बनाने की योजना है. उम्मीद है कि ये एशिया में चीतों का सबसे बड़ा ब्रीडिंग सेंटर बनकर उभरेगा.
दिलचस्प कहानी
यहां कूनो की एक दिलचस्प तस्वीर भी दिखी. ये कहावत तो सबने सुनी होगी कि जाको राखे साइयां मार सके ना कोई. दूसरी ये कि बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी. यहां एक ऐसा ही बकरा है जिस पर ये कहावत सटीक बैठती है. ये बकरा बेहद ख़ास है.
20 बार शिकार के लिए छोड़ा-हर बार बच निकला
इस बकरे को आज को करीब 20 बार तेंदुए और बाघ जैसे जंगली जानवरों के शिकार के लिए बाड़े में छोड़ा गया. लेकिन हर बार ये बच निकला. अब तक किसी ने इसका शिकार नहीं किया. तेंदुए शेर तो जंगल से बाहर निकलकर बकरियों का शिकार कर लेते हैं, लेकिन ये बकरा बाड़े में होकर भी शिकार से बच गया. उन्होंने तब भी इसका शिकार नहीं किया, जब ये उनकी जद में मौजूद था. दरअसल कूनो पार्क में चीतों के आने से पहले तेंदुओं को पकड़ा जा रहा था.इस दौरान बकरे को बाड़े में बांधा गया था लेकिन किसी तेंदुए ने बकरे पर अटैक नहीं किया. हालांकि तेंदुए फिर भी पकड़ लिए गए. इस बकरे की खुशकिस्मती से सब हैरान हैं. लेकिन एक कहावत और है…’बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएगी’…अब देखना है कि क्या चीतों से ये बकरा बच पाता है.