शिमला , 17 सितंबर : सोलन जिला की सबसे हॉट माने जाने वाली नालागढ़ सीट पर चुनावी संघर्ष बेहद दिलचस्प होने की उम्मीद है। कांग्रेस से वापिस भाजपा में लौटने वाले विधायक लखविंद्र सिंह राणा के इस मूव के चलते यह लड़ाई रोचक हुई है।
गौरतलब है कि पिछले 4 साल से यहां भाजपा के पूर्व विधायक व वरिष्ठ नौकरशाह रहे केएल ठाकुर फील्ड में जी-जान लगाकर डटे हुए है। उनके समर्थकों में लखविंदर राणा को भाजपा में शामिल किए जाने से काफी रोष है। कार्यकर्ता इसे प्रदर्शित भी कर चुके है। अब देखना है कि भाजपा दोनों राजपूत नेताओं में से किसे भाजपा के टिकट पर चुनावी वैतरणी में उतारती है। वहीं कांग्रेस की ओर से कभी स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के खासमखास रहे इंटक नेता बाबा हरदीप सिंह चुनावी ताल ठोक रहे है। भाजपा को राणा व ठाकुर में से एक को मैदान में उतारने से अंदर खाते विद्रोह की स्थिति पैदा होगी। अब भाजपा पार्टी के इंटरनल डैमेज को कैसे मैनेज कर पाएगी यह भविष्य के गर्भ में है।
विदित रहे कि नालागढ़ पंजाब से सटी विधानसभा है। यहां चुनाव में धन-बल का जम कर इस्तेमाल होता है। इस विधानसभा क्षेत्र में राजा विजेंदर सिंह सबसे अधिक 5 बार विधायक रहे। 1977 से 1993 तक उन्हें कोई हरा नहीं पाया। वह हिमाचल कैबिनेट में मंत्री भी रहे। इसके बाद 1998 में पहले दफा उन्हें हर का मुँह देखना पड़ा। स्वर्गीय सरदार हरी नारायण सिंह सैनी को भाजपा ने इस सीट से पहली दफा चुनाव मैदान में उतारा। उसके बाद वह लगातार 2003 व 2007 में भी विधायक रहे। उन्हें भी एक दफा मंत्री पद से नवाजा गया।
2007 में उन्हें शांता गुट का होने के कारण मंत्री पद से वंचित होना पड़ा। 2011 में उनका निधन हो गया। जिसके बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस के लखविंदर राणा ने पहली दफा यहां से जीत हासिल की। 2012 के मुख्य चुनाव में भाजपा ने केएल ठाकुर को भाजपा उम्मीदवार बनाया। राणा को चुनाव में हार का मुँह देखना पड़ा। मगर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
वर्ष 2017 में लखविंदर राणा कांग्रेस में चले गए और धमाकेदार जीत हासिल की। इस विधानसभा क्षेत्र में राजपूत व सिख बिरादरी के वोटर डिसाइडिंग फैक्टर माने जाते है। बाबा हरदीप सिंह सिख बिरादरी से है। यदि कांग्रेस ने उन्हें टिकट दिया तो इस सीट पर मुकाबला बेहद नजदीकी होगा। फिलहाल टिकट आवंटन पर सबकी निगाहें टिकी है।