टाइगर को हिमाचल के राष्ट्रीय उद्यान सिम्बलबाड़ा ( Simbalbara National Park) के साथ-साथ पड़ोसी राज्य हरियाणा के “कलेसर राष्ट्रीय उद्यान” की आबोहवा भी रास आ रही है। हरियाणा के वन्यजीव विभाग ने उद्यान में टाइगर (tiger) की मौजूदगी की दो तस्वीरें साझा की है। ये तस्वीरें 18 अप्रैल और 19 अप्रैल की रात को राष्ट्रीय उद्यान में लगे ट्रैप कैमरा (Trap Camera) में कैद हुई है। इसके बाद विभाग ने अन्य विवरण एकत्रित करने के लिए एक टीम भी गठित की है।
हिमाचल (Himachal) के वाइल्ड लाइफ विभाग (Wild Life) ने टाइगर के पदचिन्ह मिलने के बाद ट्रैप कैमरे लगाए थे,इसके बाद वन्यजीव विभाग के डीएफओ शिमला ने 21 फरवरी को पहली तस्वीर एमबीएम न्यूज़ नेटवर्क से भी सांझा की थी। चूंकि हिमाचल की धरती पर महज चार दिन पहले भी ट्रैप कैमरे तस्वीरें कैद हुई है, लिहाजा माना जा सकता है कि टाइगर हरियणा से वापस हिमाचल की सीमा में लौट आया है। बता दे कि टाइगर उतराखंड की सीमा से यमुना नदी (Yamuna River) पार करने के बाद हिमाचल में दाखिल हुआ था।
हिमाचल वाइल्ड लाइफ माने तो हिमाचल व हरियाणा (Haryana) में एक ही टाइगर कदमताल कर रहा है जो हिमाचल में जनवरी महीने से मौजूद था। एक खास जानकारी के मुताबिक हिमाचल की सीमा में टाइगर की तस्वीरें ट्रैप कैमरे में चार मर्तबा कैद हो चुकी है। जानकर बताते है कि चार दिन पहले भी तस्वीर सामने आई थी।
हरियाणा के वन्यजीव अधिकारियों माने तो हरियाणा की धरती में 110 वर्षों में पहली बार टाइगर पाया गया है। यमुनानगर (YamunaNagar) जिले में स्थित कलेसर उद्यान में टाइगर की तस्वीरें वायरल भी हुई है, जिसमें बाघ को अंधेरे में जंगल के भीतर घूमता देखा जा सकता है। भारतीय वन अधिकारी सुशांत नंदा (IFS Susanta Nanda) ट्वीट में कहा कि क्षेत्र में आखिरी बार बाघ को 1913 में देखा गया था। बता दे कि हिमाचल (Himachal) के सिंबलवाड़ा नेशनल के साथ ही हरियाणा का कलेसर राष्ट्रीय उद्यान (Kalesar National Park) 11,570 एकड़ के क्षेत्र में फैला है। ये दोनों नेशनल पार्क शिवालिक (Shivalik Hills) तलहटी में स्थित है।
लाजमी तौर पर आपके जहन में एक सवाल ये भी उठ रहा होगा कि वन्य प्राणी विभाग द्वारा कम से कम दो सप्ताह के अंतर के बाद ही टाइगर (Tiger) की तस्वीर क्यों शेयर की जाती है। दरअसल, विभाग को जानवर की निजता(Privacy) का भी ख्याल रखना होता है, क्योंकि दुर्लभ वन्यजीव (Rare Wild Animal) पर हमले की आशंका भी होती है। दो सप्ताह में जानवर जगह बदल चुका होता है।
वाइल्डलाइफ शिमला डिवीजन की कार्यवाहक डीएफओ अनीता भारद्वाज ने एमबीएम न्यूज़ नेटवर्क कहा कि कर्नल शेरजंग नेशनल पार्क में टाइगर की मौजूदगी चार बार पाई गई है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि टाइगर को वातावरण पसंद आ रहा है। उन्होंने साफ़ तौर पर कि “एक ही टाइगर” दो अलग -अलग राज्यों के राष्ट्रीय उद्यानों में पाया जा रहा है। डीएफओ ने कहा कि टाइगर स्टडी के आधार शेष बिंदुओं की जानकारी हासिल सकती है।
ये भी खास
उधर, वाइल्ड लाइफ विभाग ने रेणुका जी में टाइगर का जोड़ा (Tiger Pair) लाने की कवायद भी शुरू कर दी है। केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण(CZA) ने टाइगर के अहाता(Enclosure) निर्माण को मंजूरी प्रदान कर दी थी। तकरीबन डेढ़ सप्ताह पहले विभाग ने निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। शुरुआती चरण में 54 लाख की किस्त जारी की गई है। निर्माण पर तकरीबन डेढ़ करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। उम्मीद की जा रही है कि टाइगर एन्क्लोज़र (Tiger Enclosure) का निर्माण अक्टूबर के महीने तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद टाइगर के जोड़े को लाने की कवायद शुरू होगी