महिला कबड्डी का दिलचस्प Video; गांव की चाची-भाभी और ताई को बेटियों ने दी मात, बोलीं- हार कर भी जीत गए

पुष्पेन्द्र मीणा/दौसा. राजस्थान में चल रहे खेलों का महाकुंभ राजीव गांधी ग्रामीण ओलंपिक में दिलचस्प नजारे देखने को मिल रहे हैं. दौसा जिले में एक तरफ पुरुष धोती कुर्ते में खेल-खेल रहे हैं तो वहीं महिलाएं अपने पारंपरिक परिधानों में कबड्डी खेल रही हैं. इस महाकुंभ से महिलाओं में छुपी प्रतिभा भी सामने आ रही है तो वहीं महिलाएं भी अपने अति व्यस्ततम समय से समय निकालकर खेलों में भाग ले रही हैं. महिलाओं का कहना है कि बचपन में खेल खेला करते थे, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पहल पर हम कई सालों बाद खेल रहे हैं, जिससे हमें बहुत अच्छा लग रहा है और दिमाग भी हल्का हो गया है.

हार कर भी जीतीं
दौसा जिले के महुआ उपखंड में स्थित समलेटी पंचायत में हुए महिलाओं और बेटीओ के कबड्डी खेल में महिला टीम हार गई. हालांकि खेल के बाद उन्होंने कहा कि हम हाथ कर भी जीत गए. क्योंकि हमें तो घर संभालना है, लेकिन हम चाहते हैं कि हमारी बच्चियां आगे बढ़कर हमारा नाम रोशन करेंगी. हार-जीत हमारे लिए कोई मायने नहीं रखती, लेकिन इस प्रतियोगिता के माध्यम से हमारी बेटियां को तो आगे बढ़ने का मौका मिलेगा.

कलेक्टर ने लगाएं चौके-छक्के
ग्रामीण ओलंपिक प्रतियोगिताओं को देखने के लिए दौसा जिला कलेक्टर कमर चौधरी भी क्षेत्र में निरीक्षण करने के लिए पहुंचे थे तो समलेटी गांव में उन्होंने भी बेट बॉल के माध्यम से खूब चौके-छक्के लगाए. प्रतियोगिता में जमकर जिला कलेक्टर ने भी पसीने भाए हैं और क्रिकेट मैच खेला था.

इनका यह कहना
समलेटी सरपंच और महिला कबड्डी टीम की कप्तान रचना मीणा ने कहा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह एक अनूठा महाकुंभ है, जो राजस्थान में पहली बार देखने को मिला इसे लेकर राजस्थान के लोगों में जोश है उत्साह है. इस महाकुंभ से गांवों में जो प्रतिभा छुपी हुई थी वह उभर कर सामने आई हैं. ग्रामीण अंचल में महिलाओं को बहुत कम समय मिलता है, लेकिन हमारे गांव में महिलाएं भी खेल में भाग लेने पहुंची. मेरी टीम की महिलाएं ने कभी कबड्डी नहीं खेली, फिर भी पहली बार खेल के मैदान में उतरी यहीं हमारी सबसे बड़ी जीत थी. हमारी टीम की महिलाओं ने घूंघट की ओट में झिझक छोड़कर खेल में भाग लिया यहीं सबसे बड़ी मेरी और मेरी टीम की जीत है.

महिला कबड्डी टीम की सदस्य सुमन ने बताया कि हमें कबड्डी खेल कर बहुत अच्छा लगा है. हमने बेटियों के साथ मैच खेला तो हमें पिछली यादें याद आ गई. हम बचपन में कबड्डी का खेल खेलते थे वह यादें ताजा हो गईं मैं करीब 20 साल के बाद कबड्डी खेलने के लिए मैदान में उतरी हूं, हमें घर का कार्य भी करना होता है और खेल में भी हम ने भाग लिया है और यह प्रतियोगिताएं आगे भी सरकार चलाती रहे तो हमारी यादें ताजा होती रहें.

वहीं स्कूल की टीम की सदस्य रीया मीणा ने कहा कि सरकार की खेलकूद की पहल बहुत अच्छी है. हमें कबड्डी खेल कर बहुत अच्छा लगा. क्योंकि हम हमारी भाभियों, मम्मी, चाची, ताई के साथ में कबड्डी का खेल खेला है. बहुत अच्छी पहल है, जो कि हम कई पीढ़ी एक साथ खेल रहे हैं और खेल मैदान से खेलने के बाद जब मम्मी- भाभी और ताई-चाची घर पर मिलते हैं तो खेल के बारे में खूब चर्चा करते हैं. ऐसी पहली बार प्रतियोगिता आयोजित हुई है और चर्चा में खेल के बारे में हम उनकी कमियों को बताते हैं और हमारी कमियों को भाभी मम्मी चाची ताई बताती है.

ग्रामीण महिलाओं ने घुंघट की ओट में खूब किए मैदान में दो दो हाथ
ग्रामीण ओलंपिक प्रतियोगिता में सरपंच और महिला कबड्डी टीम कप्तान रचना मीणा के नेतृत्व में घुंघट की ओट में ग्रामीण महिलाओं ने अपनी ही बेटियों से दो-दो हाथ किए, लेकिन महिलाओं को खेल की ठीक से जानकारी नहीं होने के कारण बाहर का भी सामना करना पड़ा. हुआ यूं कि महिलाओं को कबड्डी खेल के नियमों के बारे में सही जानकारी नहीं थी. क्योंकि महिलाएं कई सालों बाद घुंघट की आड में कबड्डी खेलने के लिए मैदान में उतरी थीं.