कृषि और बागवानी गतिविधियों सहित हर क्षेत्र की सफलता में महिलाओं द्वारा निभाई गई भूमिका प्रशंसनीय
है। यह विचार डॉ॰ वाईएस परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के कुलपति डॉ परविंदर
कौशल द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस समारोह के दौरान व्यक्त किए। यह समारोह विश्वविद्यालय के महिला
शिकायत और निवारण प्रकोष्ठ द्वारा ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड में आयोजित किया गया जिसमें हर
विभाग से महिला प्रतिनिधियों ने भाग लिया। मुख्य परिसर से छात्रों और कर्मचारियों के अलावा, नेरी और
थुनाग महाविद्यालयों के संकाय ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया।
कार्यक्रम की शुरुआत छात्रों द्वारा नारी शक्ति गीत के भावपूर्ण गायन से हुई। महिला शिकायत और निवारण
प्रकोष्ठ की प्रेसीडिंग अधिकारी डॉ सुनीता चंदेल ने इस वर्ष के महिला दिवस की थीम- वुमेन इन लीडरशिप:
कोविड़ 19 दुनिया में एक समान भविष्य’ पर अपने विचार रखे। उन्होनें कहा कि कोविड़ के दौर ने हमें हर क्षेत्र
में महिला लीडरों के कई उदाहरण सामने आए। अपने संबोधन में डीन औदयानिकी महाविद्यालय डॉ अंजू
धीमान ने महिलाओं के अधिकारों के बारे में महिलाओं सहित पुरुषों को जागरूक करने की आवश्यकता पर जोर
दिया और सभी की भागीदारी का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि महिला दिवस को केवल एक दिन तक
सीमित नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि इसके लोकाचार को हर दिन मनाया जाना चाहिए।
इस अवसर पर डॉ परविंदर कौशल ने कहा कि प्रत्येक वर्ष के साथ विश्वविद्यालय में छात्राओं का प्रतिशत
बढ़ता देखना बहुत ही खुशी का विषय है। उन्होंने कहा कि यह, महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार द्वारा
अपनाई गई नीतियों का परिणाम है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई उदाहरणों का हवाला देते हुए, डॉ
कौशल ने विश्वविद्यालय के महिला कर्मचारियों और छात्रों से अपने नेतृत्व गुणों को दुनिया के सामने प्रदर्शित
करने के लिए उद्यमिता के अवसरों का उपयोग करने का आग्रह किया। डॉ कौशल ने कहा कि छात्रों को सफल
उद्यमिता मॉडल विकसित करने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा किए गए टाई-अप का सहारा लेना चाहिए। डॉ
कौशल ने कहा कि विश्वविद्यालय महिलाओं के लिए अन्य सुविधाओं को विकसित करने की दिशा में कार्य
करेगा ताकि परिसर महिलाओं के अनुकूल बनने के साथ साथ अन्य परिसरों के लिए एक रोल मॉडल भी बन
सके।
कानूनी विशेषज्ञ और विश्वविद्यालय की महिला शिकायत और निवारण प्रकोष्ठ की सदस्य स्वाति शर्मा ने
कार्यस्थल में महिला उत्पीड़न अधिनियम के कानूनी पहलुओं की जानकारी दी। उन्होंने 10 से अधिक महिलाओं
वाले किसी भी कार्यस्थल में समिति के गठन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी।
विश्वविद्यालय के वैधानिक अधिकारी, विभागअध्यक्ष, महिला शिकायत निवारण प्रकोष्ठ के दोनों सदस्य डॉ
डीडी शर्मा और सीमा वर्मा, और छात्रों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की
छात्राओं- नेहा मिश्रा, स्मृति पठानिया और मनीषा ठाकुर को शैक्षणिक और पाठ्येतर गतिविधियों में उनके
अनुकरणीय प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया। डॉ डीडी शर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।