INX घोटालाः पी. चिदंबरम के साथ आरोपी IAS अफसर प्रबोध सक्सेना को दागी अधिकरियों की सूची में नहीं डाला, हिमाचल HC ने मांगा जवाब

हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर 3 सप्ताह में जवाब तलाब किया है.

हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर 3 सप्ताह में जवाब तलाब किया है.

शिमला.हिमाचल प्रदेश के सीनियर आइईस अधिकारी प्रबोध सक्सेना को दागी अधिकरियों की सूची में ना डालने को लेकर दायर याचिका की सुनवाई करते हुए प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर 3 सप्ताह में जवाब तलाब किया है. प्रबोध सक्सेना आईएनएक्स मीडिया कथित घोटाले में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम के साथ आरोपी हैं.

उनके ख़िलाफ़ दिल्ली की सीबीआई अदालत में आरोप पत्र दायर हो चुका है. इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश एए सईद ओर न्यायमूर्ति ज्योत्सना रेवाल दुआ की खंडपीठ के समक्ष हुई. मामले पर सरकार ने कहा कि अभी सक्सेना के ख़िलाफ़ अभी आरोप तय नहीं हुए हैं, इसलिए उन्हें दागी अफ़सरों की सूची में नहीं डाला गया है.

एडवोकेट जनरल अशोक शर्मा ने कहा कि यह मामला केवल एक अधिकारी का नहीं है. यह मामला पिछले कई वषों से हाईकोर्ट में चल रहा है. इसमें कोर्ट ने तीन सप्ताह के अंदर सरकार से जवाब माँग है. उन्होंने कहा कि जिस सीनियर अधिकारी का ज़िक्र हो रहा है, वह किसी भी तरह से ऑफ़िसर विध डाउटफ़ुल इंटिग्रिटी में नहीं आता है.

क्या है पूरा घोटाला

एफआईपीबी की 18 मई 2007 को हुई बोर्ड मीटिंग में आईएनएक्स मीडिया के आईएनएक्स न्यूज प्राइवेट लिमिटेड में निवेश को मंजूरी नहीं दी थी. आरोप है कि इसके बाद एफआईपीबी के अप्रूवल को मैन्यूपुलेट किया गया. आईएनएक्स मीडिया ने आईएनएक्स न्यूज प्राइवेट लिमिटेड में 305 करोड़ का निवेश किया, जबकि इसके लिए एफआईपीबी का अप्रूवल नहीं था. इसके महीनों बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट हरकत में आया. एफआईपीबी, जो वित्त मंत्रालय के अधीन है, से इस बारे में जवाब-तलब किया गया. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने निवेश के बारे में और एफडीआई को किस आधार पर मंजूरी दी गई, इस बारे में जानकारी मांगी थी.  इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से दबाव बढ़ने पर एफपीआईबी ने आईएनएक्स मीडिया से इस बारे में जवाब-तलब किया, जिसके बाद आईएनएक्स मीडिया ने कार्ति चिदंबरम की सेवाएं लीं. सीबीआई का आरोप है कि मामले को सुलझाने के लिए कार्ति चिदंबरम ने तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम के साथ अपने रिश्तों का गलत इस्तेमाल किया. सीबीआई ने दावा किया था कि कार्ति चिदंबरम ने एफआईपीबी के कुछ ब्यूरोक्रैट्स की मदद ली थी. फिलहाल मामला अदालत में विचाराधीन है.