IPL Final: रात भर सो नहीं पाए मोहित शर्मा, फाइनल में हार के बाद बुरी तरह टूट चुका था गुजरात टाइटंस का पेसर

Mohit Sharma: भले ही आखिरी दो गेंद खराब गई, लेकिन आईपीएल का 16वीं सीजन मोहित शर्मा के लिए काफी अच्छा गया। 26 विकेट के साथ पर्पल कैप की लिस्ट में वो शुमार रहे। 34 साल की उम्र में ऐसा कमबैक दूसरे क्रिकेटर्स के लिए मिसाल है।

नई दिल्ली:आईपीएल 2023 का फाइनल जीतने के लिए चेन्नई सुपरकिंग्स को आखिरी ओवर में 13 रन बनाने थे और इन रनों को बचाने की जिम्मेदारी गुजरात टाइटंस के कप्तान हार्दिक पंड्या ने मोहित शर्मा को सौंपी। 34 साल के मोहित बीते आठ से साल से टीम इंडिया से बाहर चल रहे हैं, लेकिन इस सीजन कमाल की वापसी की। ऐसे में उनका आत्मविश्वास सातवें आसमां पर था। एक ही ओवर में दो विकेट लेकर वह गुजरात की मैच में वापसी भी करवा चुके थे। 20वें ओवर की शुरुआती चार गेंदों में सिर्फ तीन रन ही दिए। मगर पांचवीं में छक्का और छठी में चौका मारकर रविंद्र जडेजा ने मोहित शर्मा समेत गुजरात टाइटंस के करोड़ों चाहने वालों का दिल तोड़ दिया।
रविंद्र जडेजा के विनिंग शॉट लगाते ही रविंद्र जडेजा की आंखों में आंसू साफ देखे जा सकते थे। हार्दिक पंड्या फौरन अपने अनुभवी हरियाणवी बोलर को हिम्मत देने पहुंचे। गले से लगा लिया, वरना मोहित वहीं टूट जाते। इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में मोहित शर्मा हार के बाद की कहानी सुनाते हैं। बताते हैं कि कैसे उन दो बॉल्स ने रातों की नींद उड़ा दी।

मुझे क्या करना है ये क्लियर था। नेट्स में मैंने ऐसे हालातों की खूब प्रैक्टिस की। इससे पहले भी मैं ऐसे हालातों से गुजर चुका था इसलिए मैंने यॉर्कर को ही अपने बतौर हथियार चुना। चार बॉल के बाद हार्दिक मुझसे बात करने आया। वह मेरा प्लान जानना चाहता था, मैंने बताया कि मैं यॉर्कर ही फेकूंगा। मगर बॉल वहां गिरी, जहां उन्हें लैंड नहीं करना था। और जडेजा उसमें अपना बल्ला लगाने में कामयाब रहा। मैंने कोशिश की। मैंने अपनी बेस्ट देने की कोशिश की।
इंडियन एक्सप्रेस से मोहित शर्मा

आखिरी दो गेंदों में छक्का और फिर चौका मारकर हीरो बने रविंद्र जडेजा ने मैच के बाद बताया था कि, ‘मेरे दिमाग में बस यही चल रहा था कि मुझे बैट जोर से घुमाना है। बॉल कहां जाएगा, मैं इसके बारे में नहीं सोच रहा था। मैंने खुद को बैक किया। मैं बॉल को सीधा मारना चाहता था क्योंकि जानता था कि मोहित स्लोअर भी बढ़िया डाल सकता है।

नॉन स्ट्राइक एंड पर खड़े शिवम दुबे को भी जडेजा की काबिलियत पर पूरा भरोसा था। मुंबई के इस लेफ्ट हैंड बैटिंग ऑलराउंडर का खेल धोनी की कप्तानी में निखरकर सामने आया है। उन लम्हों को याद करते हुए शिवम दुबे कहते हैं, ‘जब जड्डू ने पांचवीं बॉल पर छक्का मारा तब वह राहत भरा क्षण था। अगर आखिरी बॉल का बल्ले से कनेक्शन नहीं होता तो हम दौड़ने के लिए तैयार थे। तीन रन लेना असंभव था, लेकिन कुछ भी करके कम से कम हमें मुकाबला टाई तो करना ही था। लेकिन हम जीत गए।’