Irrfan Khan Best Movies : इरफ़ान की वो 17 फ़िल्में, जिन्हें सिनेमा पसंद करने वाली हर पीढ़ी सहेज कर रखेगी

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इरफ़ान ख़ान(Irrfan Khan) हमारे बीच में नहीं हैं और अभी भी ये यक़ीन करना मुश्किल ही है लगता है. 53 बरस की उम्र में वो हम सबको छोड़कर चले गए. मगर वो हमारे लिए बक्सा भरकर अपनी फ़िल्में छोड़ गए हैं, ताकि हम उन्हें इन फ़िल्मों के ज़रिये याद कर सकें. हम कह सकें कि हम उस दौर में पैदा हुए, जिस दौर में इरफ़ान हुए. वही इरफ़ान, जो अपने अभिनय की सादगी, सधी हुई अदाकारी और कैरेक्टर के अंदर घुस जाने के हुनर से लोगों का दिल चुरा लेता था. वही इरफ़ान, जो बनना तो क्रिकेटर चाहता था, मगर उसे किस्मत ने एक बेजोड़ अभिनेता बना दिया. एक ऐसा अभिनेता, जिसका कोई सानी नहीं.

इरफान खान की 17 बेस्ट फिल्में (Best Movies of Irrfan Khan)

अगर अच्छे सिनेमा को कुछ फ़िल्मों में क़ैद किया जा सकता, तो उस लिस्ट में इरफ़ान ख़ान की ये फ़िल्में ज़रूर होती:

1. हासिल, (Haasil), 2003

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साल 2003 में आई इस फ़िल्म में इरफ़ान नेगेटिव रोल में थे. एक छात्र नेता के रूप में उनका निभाया ‘रणविजय’ का किरदार आज भी लोगों को याद है. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की छात्र राजनीति पर आधारित इस फ़िल्म के एक दृश्य में जब वो मुख्यमंत्री से मिलने जाते हैं और सीएम का एक प्रतिनिधि उनसे कहता है, ‘अभी मिलना मुश्किल है कल आना.’ तब जिस अंदाज़ में इरफ़ान कहते हैं, ”भईया पार्टी-वार्टी चल्ल्यी है, पर हम भी कोई ऐसे-वैसे नहीं हैं. छात्र नेता हैं. मारे साला सीटी तो दस हज़ार लौंडा इकठ्ठा हो जाएगा, घेर के बैठ जाएगा. फ़िर खाओगे मंत्री जी से गाली तुम”

इस डायलॉग ने दिल जीत लिया था.

2. मकबूल (Maqbool), 2003

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विशाल भारद्वाज के निर्देशन में बनी इस फिल्म में इरफ़ान लीड रोल में थे. फ़िल्म की कहानी उनके यानी मकबूल के इर्द-गिर्द घूमती नज़र है. मकबूल अंडरवर्ल्ड डॉन अब्बा जी का एक वफ़ादार सिपाही होता है, जिसे अब्बा जी की रखैल निम्मी से प्यार हो जाता है. इसी प्यार के चक्कर में वह तब्बू के कहने पर अपने आका अब्बा जी का ख़ून कर देता है. कुल मिलाकर फिल्म की कहानी रोचक है, जो एकदम पकड़कर रखती है.

3. लाइफ ऑफ़ पाई (Life of Pi) 2012

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हॉलीवुड की सफ़ल फ़िल्म में इरफ़ान एक लेखक को अपनी जिंदगी की कहानी सुनाते हुए देखे जा सकते हैं. इरफ़ान का बचपन कैसा रहा, वो कैसे बड़े हुए. इरफ़ान सबके के बारे में बात करते हैं. इस क्रम में वो अपने जीवन के उस किस्से का जिक्र करते हैं, जिसमें उन्होंने एक नाव पर लंबा वक्त एक शेर के साथ बिताया था. फ़िल्म के अंदर इरफान बताते हैं कि खुद भूखे पेट रहकर एक भूखे शेर के सामने बैठना आसान नहीं होता. यह बिल्कुल वैसा होता है, जैसे आप मृत्यु के बिल्कुल पास बैठे हैं. इस फिल्म का निर्देशन ताईवान के निर्देशक आंग ली ने किया है, जिसकी खूब सराहना हुई.

4. द लंचबॉक्स (The Lunchbox), 2013

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‘द लंच बॉक्स’ एक अद्भुत फिल्म है. इस फ़िल्म में इरफ़ान ने एक 55-60 साल के एक क्लर्क Sajan Fernandes का रोल किया है, जिसका खाने का डिब्बा किसी दूसरी महिला इला के पति के डिब्बे से बदल जाता है. साजन को खाना इतना अच्छा लगता है कि वो थैक्यू की एक चिट्ठी उस डिब्बे में छोड़ देता है. इसके बाद शुरू होता है चिट्ठियों का आदान-प्रदान, जोकि दोनों के बीच एक प्रेम कहानी को जन्म देता है. इस फ़िल्म को भारत के बाहर भी सराहा गया था.

5. हिंदी मीडियम (Hindi Medium), 2017

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इस फिल्म के अंदर दिखाया गया कि कैसे भारत के अंदर गलत अंग्रेजी बोलने पर व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता पर सवाल खड़े किए जाते हैं. यही नहीं, अगर हिंदी माध्यम से पढ़े-लिखे माता-पिता अपने बच्चे का दाखिला किसी अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में कराने की कोशिश करते हैं, तो उनके सामने क्या चुनौतियां होती हैं. मीता (सबा क़ामर) और उसके पति राज बत्रा यानी इरफ़ान ख़ान अपनी इस फ़िल्म की मदद से लोगों का दिल जीतने में कामयाब रहे. साथ ही यह बताने में कामयाब रहे कि कोई भी भाषा ‘क्लासी’ या ‘दोयम’ नहीं होती. भाषा, आखिर भाषा होती है, उसके आधार पर एक खास राय बनाना सही नहीं है.

6. क़रीब क़रीब सिंगल (Qarib Qarib Singlle), 2017

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यह एक नए जमाने की फ़िल्म है, जिसमें एक विधवा महिला जया और कवि योगी की कैमिस्ट्री को दिखाया गया है. ये दोनों एक डेटिंग साइट की मदद से एक-दूसरे के संपर्क में आते हैं. आगे योगी जया को अपनी पुरानी गर्लफ्रेंड से मिलाने के लिए एक यात्रा पर निकलता है और देशभर में घूमता है. फिल्म के अंदर कवि योगी के रोल इरफ़ान ने अदा किया है, वहीं एक्ट्रेस पार्वती जया के रूप पर पर्दे पर दिखी. फ़िल्म में इरफ़ान का बेबाक अंदाज़ और अभिनय काफ़ी एंटरटेनिंग है. इसे तनुजा चंद्रा ने डॉयरेक्ट किया है. इस फ़िल्म के सबजेक्ट की ख़ूब तारीफ़ हुई थी.

7. पीकू (Piku) 2015

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पीकू एक पिता और बेटी के रिश्ते की मार्मिक कहानी है. इस फ़िल्म में इरफ़ान ने एक ट्रैवल एजेंसी के मालिक का रोल अदा किया है, जोकि पीकू यानी दीपिका पादुकोण के अच्छे दोस्त होते हैं. पीकू के पिता यानी भास्कर बनर्जी (अमिताभ बच्चन) को कब्ज़ की शिकायत होती है और यही फ़िल्म का केंद्र बिन्दु है. एक लाइन में कहना हो तो यह एक ऐसी फिल्म है, जो पारिवारिक रिश्तों और रोज़मर्रा की परेशानियों को दर्शाती है. साथ ही रिश्तों की अहमियत को बताती है. शुजीत सरकार ने इसका निर्देशक किया है.

8. तलवार (Talvar), 2015

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यह फ़िल्म बहुचर्चित आरुषि हत्याकांड से संबधित थी. कहानी टंडन परिवार की है, जिसमें टंडन दंपत्ति पर अपनी बेटी श्रुति टंडन के मर्डर का आरोप होता है.निर्देशक मेघना गुलज़ार ने इस फ़िल्म की मदद से इस पूरे मामले को लोगों के सामने परोसने की कोशिशि की थी. इरफ़ान इस फ़िल्म में सीबीआई अफसर अश्विन कुमार के रोल में है, जो इस मामले की छानबीन में लगा रहता है. इरफ़ान के अलावा इस फ़िल्म में नीरज काबी, कोंकणा सेन, तब्बू, सोहम शाह, गजराज राव, और अतुल कुमार जैसे एक्टर्स ने काम किया है.

9. पान सिंह तोमर (Paan Singh Tomar), 2010

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इरफ़ान की फ़िल्मों में व्यक्तिगत तौर पर मुझे ‘पान सिंह तोमर’ सबसे ज्यादा पंसद हैं. इस फ़िल्म के लिए इरफ़ान राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार से सम्मानित किए गए थे. फ़िल्म की कहानी पान सिंह तोमर नामक किरदार की कहानी है, जो सेना में भर्ती होता है और भारतीय राष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण पदक जीतता है. मगर रियारमेंट के बाद जब प्रशासन के द्वारा उसके साथ सही सलूक नहीं किया जाता, तो वह चम्बल का एक मशहूर डाकू बन जाता है. एक तरह से यह फ़िल्म बताती है कि कई बार परिस्थितियां इंसान को डाकू बनने पर मजबूर कर देती हैं. इस फिल्म का निर्देशन तिग्मांशु धूलिया ने किया है.

10. सलाम बॉम्बे (Salaam Bombay), 1988

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सलाम बॉम्बे उस दौर की फ़िल्म है, जब इरफ़ान फ़िल्म जगत में जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे. 1988 में इस फ़िल्म में अपने दौरा की नामचीन फिल्मकार मीरा नायर ने बनाया था, जिसमें मुंबई की सड़कों और झोपड़पट्टी में अपनी जीवन गुजारने वाले लोगों की दर्द को पर्दे पर उकेरा गया था. इस फिल्म में इरफ़ान ख़ान के साथ रघुवीर यादव, अनीता कंवर, नाना पाटेकर, अंजान, अमृत पटेल, और चन्द्रशेखर नायडू जैसे कलाकारों ने काम किया था. मोंट्रियल फिल्म समारोह में यह फिल्म सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म का पुरस्कार जीतने में कामयाब रही थी.

11. इन्फर्नो (Inferno), 2016

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इस फिल्म में इरफान को हॉलिवुड के नामचीन स्टार टॉम हैंक्स और फेलिसिटी जांस के साथ काम करने का मौका मिला. ऐक्शन और थ्रिलर को पसंद करने वालों के लिए यह एक एक बढ़िया फिल्म है. फिल्म के अंदर विख्यात हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का सिम्बोलॉजिस्ट रॉबर्ट लैंगडॉन यानी टॉम हैंक्स एक दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं.

आनन-फानन में उन्हें एक अस्पताल में भर्ती कराया जाता है. डॉक्टर उनको बचाने में कामयाब रहते हैं, मगर टॉम अपनी याददाश्त खो देते हैं, जिसके बाद कहानी आगे बढ़ती है. इस फिल्म का निर्देशन रॉन हॉवर्ड ने किया है, जोकि एक एकेडमी अवॉर्ड विनर डॉयरेक्टर हैं. पूरी दुनिया में उनका बड़ा नाम है.

12. मदारी (Madaari), 2016

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मदारी एक आम इंसान की कहानी है, जिसका बेटा एक पुल गिरने से दब कर मर जाता है. पिता इसके लिए सत्ता को दोषी मानता है और बदला लेने के लिए देश के गृहमंत्री के ‘राजकुमार’ का अपहरण कर लेता है. दरअसल, यह पिता उन लोगों को सजा दिलाना चाहता है, जिनकी वजह से पुल गिरा.

निर्मल कुमार के रूप में इरफान ने इसमें बढ़िया काम किया है. साथ ही समाज को यह संदेश देने में कामयाब रहे कि जिस तरह मदारी अपने खेल में एक जमूरे को अपने इशारों पर घुमाता है. कुछ उसी तरह सत्ता पर बैठे कुठ लोग आम लोगों की जिंदगी को नियंत्रित करने में कोशिश में रहते हैं. निशिकांत कामत ने इसका निर्देशन किया है.

13. जुरैसिक वर्ल्ड (Jurassic World), 2015

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‘जुरासिक वर्ल्ड’ इरफान के करियर की एक यादगार फ़िल्म रही. इस फ़िल्म के रिलीज के वक्त इरफान फ्लोरेंस के मेयर द्वारा सम्मानित किए गए थे, जोकि उनके लिए एक बड़ी बात थी. फिल्म में अभिनय को लेकर हॉलीवुड निर्देशक कॉलिन ट्रेवोर ने भी उनकी ख़ूब तारीफ़ की थी. इरफ़ान ख़ान ने इस फ़िल्म में जुरैसिक पार्क सीईओ और मालिक साइमन मसरानी की भूमिका निभाई थीं.

14. द वॉरियर (The Warrior), 2001

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‘द वारियर’ ने इरफ़ान की अलग तरह की फ़िल्म है. इस फ़िल्म में इरफ़ान एक योद्धा के रूप में दिखे. इसमें अपने शानदार अभिनय और डायलॉग डिलिवरी के बल पर वह इस फ़िल्म की मदद से अपनी अंतर्राष्ट्रीय पहचान बनाने में कामयाब रहे. इस फ़िल्म ने कई पुरस्कार जीते थे.

15. स्लमडॉग मिलियनेयर (Slumdog Millionaire), 2008

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2008 में बनी इस फिल्म इरफ़ान ने एक पुलिस इन्सपेक्टर का रोल अदा किया था. फ़िल्ममेकर डैनी बॉयल द्वारा बनाई गई इस फ़िल्म की कहानी मुंबई के स्लम में पैदा हुए दो भाइयों जमाल और सलीम पर आधारित है. जमाल वक्त के साथ बड़ा होता है और ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में भाग लेता है.

फ़िल्म में जमाल का रोल देव पटेल और सलीम के रोल में मधुर मित्तल ने काम किया था. इस फ़िल्म ने ऑस्कर में 8 अवॉर्ड्स जीतकर सभी का ध्यान अपनी तरफ़ ख़ींचा था. यही वो फ़िल्म है, जिसके लिए ए.आर रहमान को बेस्ट ओरिजिनल सॉन्ग के लिए ऑस्कर मिला था.

16. ए माइटी हार्ट (A Mighty Heart), 2007

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यह फिल्म 2003 में आई मैरियन पर्ल के संस्मरण पर आधारित बताई जाती है. इसकी कहानी मैरियन के पत्रकार पति डैनियल पर्ल की पाकिस्तान में हुई बेदर्द हत्या के बाद से शुरू होती है. 2007 में आई इस फिल्म में इरफ़ान के साथ हॉलीवुड सुपरस्टार एंजेलिना जोली ने काम किया था. जोली फिल्म में मैरियन पर्ल के किरदार में थीं, जबकि इरफ़ान ने कराची के पुलिस प्रमुख ज़ीशान क़ाज़मी की भूमिका निभाई थी. वहीं फ़िल्म के निर्देशन की जिम्मेदारी माइकल विंटरबॉटम ने निभाई थी.

17. अंग्रेज़ी मीडियम ( Angrezi Medium), 2020 (Last Movie of Irfan Khan)

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यह फ़िल्म इरफ़ान के करियर की आखिरी फिल्म साबित हुई. उनके साथ इस फ़िल्म में करीना कपूर खान, राधिका मदान, दीपक डोबरियाल और पंकज त्रिपाठी ने काम किया. यह ड्रामा फ़िल्म है. कैंसर जैसी बीमारी से जूझते हुए इरफ़ान ने इस फ़िल्म में जिस तरह का काम किया, वह समझने के लिए काफ़ी है कि वो इस दौर के सबसे Effortless अभिनेता क्यों कहे गए. इस फ़िल्म के निर्देशक होमी अदजानिया हैं. फ़िल्म की कहानी मिठाई वाले चंपक बंसल की है, जिसके लिए अपनी पत्नी के निधन के बाद उसकी बेटी तारिका ही सबकुछ होती है. फ़िल्म की पटकथा औसत दर्जे की मानी गई, लेकिन इरफ़ान के काम को सभी ने पसंद किया.