गाजियाबाद. जब भी कहीं आग लगती है, तो सबसे पहले अग्निशमन विभाग जेहन में आता है. वहीं, समय पर मदद मिलने की वजह से जान माल का नुकसान होने से भी बच जाता है. इस बीच News 18 Local आपके लिए एक विशेष और महत्वपूर्ण पड़ताल लेकर आया है. दरअसल हम आपको बताएंगे कि आपके जिले का अग्निशमन विभाग बड़ी घटनाओं के लिए कितना तैयार हैं? क्या कंट्रोल रूम सुचारू रूप से काम कार रहा है? इन सभी सवालों का जवाब जानने के लिए लोकल 18 टीम गाजियाबाद के अग्निशमन विभाग वैशाली हेडक्वार्टर पहुंची.
वहीं, फायर ऑफिसर कुंवर सिंह की मदद से हमने फायर उपकरण के काम करने के तरीके को जाना. इसके अलावा आग की घटना के वक्त दूसरों की जान बचाते हुए फायर फाइटर खुद को कैसे सुरक्षित रखते हैं, यह भी जानने की कोशिश की.
फायर टेंडर: फायर विभाग की गाड़ियों में इसका सबसे बड़ा योगदान रहता है. फायर टेंडर तत्काल एक्शन के लिए इस्तेमाल किया जाता हैं. इसमें 25000 लीटर पानी की कैपेसिटी होती है, जो बड़ी आग को भी आसानी से काबू कर लेता है.
वाटर बाउसर: वाटर बाउसर का उपयोग उस समय किया जाता है. जब पानी की कमी होने लगती है. 12 लीटर टैंक का ये बाउसर काफी तेजी से पानी को आग पर फेंकता है.
हाइड्रोलिक प्लेटफार्म: गाड़ी में 42 मीटर का लगा हाइड्रोलिक प्लेटफार्म गाजियाबाद जैसी जगहों के लिए बेहद ही आवश्यक है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस प्लेटफार्म की मदद से बहुमंजिला इमारतों में घुसकर आग पर काबू पाया जाता है. वहीं, आपातकालीन स्थिति में जब लिफ्ट भी नहीं चलती है, तब उन ऊंची इमारतों में फंसे लोगों कों इस हाइड्रोलिक प्लेटफार्म के जरिए रेस्क्यू भी किया जाता है.
रेस्क्यू टेंडर: कभी-कभी ऐसा होता है कि आग लगने के बाद कुछ लोग फंस जाते हैं. ऐसे लोगों को बचाने के लिए फायर विभाग के रेस्क्यू टेंडर अपनी टीम के साथ जाते हैं और फंसे हुए लोगों को सुरक्षित बाहर निकालते हैं. इस रेस्क्यू टेंडर को खास इस तरीके से ही बनाया जाता हैं, ताकि ये मुश्किल से मुश्किल वक्त में भी जान बचाने के लिए सक्षम हो.
बता दें कि वैशाली फायर विभाग में करीब 50 लोगों की फायर फाइटर टीम है, जो किसी भी घटना के लिए तैयार रहती है. कंट्रोल रूम में अलार्म बजते ही ये घटनास्थल के लिए निकल पड़ते हैं. न्यूज़ 18 लोकल ने अपनी पड़ताल में गाजियाबाद के अग्निश्मन विभाग को किसी भी घटना को रोकने के लिए सक्षम पाया है.